मानव का मानवता से मिलन  हो  रहा है।

कालिमा का निजमन से गमन हो रहा है।

सद्भाव से सरल मन का सृजन हो रहा है।

भूमण्डल पर  ‘क्षमापर्व’  वरण हो रहा है।   मानव स्वभावतः आनन्द की खोज का कार्य हमेशा से कर रहा है। आनन्द से परमानन्द की और बढ़ते हुए होने वाली गलतियाँ मानव मन को उद्वेलित करती हैं और वह पश्चाताप की अग्नि में जलता है इस दग्धता से बचाव का एक ही उपाय है –क्षमा । आइए, क्षमा पर्व 26 Sept 2018, को सार्थक करने हेतु इस पर विचार करें।

क्या है क्षमा (What is forgiveness ):-

क्षमा एक जादुई अद्भुत करिश्माई शब्द है ,जो यह क्षमता रखता है की दोनों मन ,क्षमा करने वाला व क्षमा देने वाला आनंदित हो उठते हैंव सरल, सहज,गरिमा युक्त व्यक्तित्व का गठन होता है। मन मष्तिस्क की सारी कलुषताएँ धूल जाती हैं क्षमा सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने में ,प्रेम के उद्भव में, दायित्व बोध निर्वहन ,स्नेह संवर्धन हेतु महत्त्वपूर्ण कारक है क्षमा हेतु शक्ति संजोने को आवश्यक कारक मानते हुए राम धारी सिंह दिनकर कहते हैं :-

क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके  पास  गरल हो,

उसको क्या जो दन्तरहित,विषरहित विनीत सरल हो।

क्षमा की आवश्यकता क्यों (Need of forgiveness) :-

वर्तमान में भारतीय जनमानस एक विशिष्ट अन्तर्द्वन्द से गुजर रहा है। तनाव ,भग्नाशा ,अवसाद ,चिड़चिड़ापन ,कलह मानव स्वभाव का अंग बनाता जा रहा है और जब हम इसका मूल तलाशते हैं तो हमें ज्ञात होता है की उक्त समस्याओं का निवारण ‘क्षमा’में निहित है।

जातिवाद , क्षेत्रवाद,संकीर्णता की दीवारें क्षमा से अनायास ही ढह जाती हैं व्यक्तिगत स्तर पर तो यह संकीर्णता को धता बताकर सद्भाव मार्ग प्रशस्त कर देता है। क्षमा की आवश्यकता बारम्बार सिद्ध होती रही है यह विश्वसनीयता () और वैधता ()के सारे प्रतिमानों पर खरी है,इसके आनन्द का उपभोग तो क्षमा करने वाला व क्षमा पाने वाला ही जान सकता है।

क्षमा कैसे माँगे  (How to get pardon) :-

क्षमा माँगने का महत्त्वपूर्ण ज्ञान जैन संस्कृति की विशेष देन है क्षमा वाणी या क्षमा पर्व किसी न किसी रूप में सभी लोचयुक्त धर्मों द्वारा अंगीकार किया गया है। जिस व्यक्ति में यह गुण नहीं है वह इसे आचरण में ढाल इसका आनन्द उठा सकता है।

क्षमा की शुरुआत स्वयं से करें ,स्वयं का आत्म निरीक्षण कर खुद के कषायों को छोड़ें ,प्रतिशोध की भावना स्वप्न में भी नहीं आनी चाहिए। अपने को समझाने हेतु प्रारब्ध सिद्धान्त स्वीकार किया जा सकता है। मष्तिष्क  में क्षमा का सॉफ्टवेयर धारण करने पर सात्विक प्रेम उत्पन्न होगा वैमनस्यता धराशायी हो जाएगी।रहीम जी ने कहा –

क्षमा बड़न को चाहिए ,छोटन को उत्पात,
का रहीम हरि को घट्यो,जो भृगु मारी लात।

याद रखें,हमारा क्षमा माँगने का अधिकार ,क्षमा देने की बुनियाद पर खड़ा है। यह निर्विवाद सत्य है की क्षमा से होकर आनन्द का अजस्र श्रोत बहता है और इसे Education Aacharya स्वीकार करता है। क्षमा मांगने के गुण का विस्तारण व्यक्ति से समग्र की ओर होने पर मानवता का कल्याण अवश्यम्भावी होगा।

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