KNOWLEDGE MEANING, DEFINITION  AND FACETS

ज्ञान आशय, परिभाषा तथा पहलू 

अथवा

ज्ञान का अर्थ परिभाषा व विभिन्न पहलू –

किसी भी तत्व, वस्तु, तथ्य, विचार के मूल रूपों की एक दीर्घ श्रृंखला है इनसे बुद्धि का रिक्ताकाश भरता है इन मूल रूपों से सङ्गति ज्ञान है। ज्ञान का प्रामाणिक व अप्रमाणिक होना इन मूल रूपों से सङ्गति व असङ्गति पर निर्भर करता है इन मूल रूपों को आदि प्रत्यय भी कहा जाता है उक्त तथ्य के उदाहरण रूपेण कहा जा सकता है कि आयताकार त्रिभुज का विचार अप्रमाणिक या अयथार्थ है क्योंकि तीन भुजा वाला त्रिभुज ही हमारे बौद्धिक रिक्ताकाश में है।

DEFINITIONS OF KNOWLEDGE-

ज्ञान की परिभाषाएं –

स्थान, काल , दिशा के प्रभाव में विभिन्न विद्वतजनों ने ज्ञान को इस प्रकार पारिभाषित किया है-

प्लेटो के विचार में – “विचारों की दैवीय व्यवस्था और आत्मा परमात्मा के स्वरुप को जानना ही सच्चा ज्ञान है। ”

शङ्कर के अनुसार – “ब्रह्म को सत्य जानना ज्ञान है और वास्तु जगत को सत्य जानना अज्ञान है। “

हॉब्स के मत से – “ज्ञान ही शक्ति है। “

बौद्ध दर्शन स्वीकार करता है  -“ज्ञान वह है जो मनुष्य को सांसारिक दुखों से छुटकारा दिलाए। “

आदर्श वाद के अनुसार – “ज्ञान आदर्श का ज्ञान है। “(” Knowledge is the knowledge of ideas.”)

यथार्थ वाद के अनुसार -“ज्ञान वास्तु का ज्ञान है। “

प्रो0 जोड के अनुसार- “ज्ञान हमारी उपस्थिति ,जानकारी और अनुभवों के भण्डार में वृद्धि का नाम है। “

” Knowledge is an addition to our existing, information and experience.”

सुकरात के अनुसार – “ज्ञान सर्वोच्च सद्गुण है। “(“knowledge is the highest virtue.”)

विलियम जेम्स के अनुसार – “ज्ञान व्यावहारिक प्राप्ति और सफलता का दूसरा नाम है। “

” Knowledge is an other name for practical achievement and success.”

स्पेन्सर के अनुसार  “केवल वास्तु जगत का ज्ञान ही सत्य ज्ञान है, आत्मा परमात्मा सम्बन्धी ज्ञान कोरी कल्पना है। ”

 वेबस्टर शब्दकोष के अनुसार -“ज्ञान वह है जो ज्ञात है और जो ज्ञात होने के बाद संचित रहता है या वह जानकारी है जो वास्तविक अनुभव द्वारा प्राप्त होती है। “

डीवी के अनुसार – “केवल वही ज्ञान वास्तविक है जो हमारी प्रकृति में संगठित हो गया है,जिससे हम पर्यावरण को अपनी आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने में समर्थ हो सकें और अपने आदर्शों तथा इच्छाओं को उस स्थिति के अनुकूल बना लें जिसमें की हम रहते हैं। “

रसेल के अनुसार

” ज्ञान वह है जो मनुष्य के मन को प्रकाशित करता है।”

” Knowledge is that which enlightens the human mind.”

उक्त परिभाषाओं के तथ्यात्मक विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि ज्ञान में सत्यता,विश्वासऔर सत्य की प्रमाणिकता सिद्ध करने का गुण समाविष्ट रहता है इससे अनुशासन व चारित्रिक सुगठन की भावना सुदृढ़ होती है। 

Various facets of knowledge

ज्ञान के विभिन्न पहलू –

विद्वानों के ज्ञान सम्बन्धी दृष्टिकोणों के आधार पर इसके विभिन्न पहलू दृष्टिगत होते हैं और उस आधार पर यह द्रव्य ,गुण, क्रिया,शून्यता आदि के रूप में विवेचित किया जाता है इसे बोधगम्य बनाने हेतु इस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है –

द्रव्य के रूप में ज्ञान – सांख्य दर्शन व वेदान्त दर्शन

गुण के रूप में ज्ञान – कुछ विचार धाराएं मानती हैं की इसमें आगन्तुक गुण है जिसे भौतिकवादी दृष्टिकोण युक्त चार्वाक दर्शन व चैतन्यवादी न्याय ,वैशेषिक और प्रभाकर मीमांसा का समर्थन प्राप्त है जब कि जैन एवं रामानुज सम्प्रदाय मानते  हैं कि ज्ञान लक्षण स्वरुप है।

क्रिया रूप में ज्ञान – भाट्ट मीमांसक ज्ञान को क्रिया मानते हैं।

शून्यतावादी दृष्टिकोण – ज्ञान के सम्बन्ध में बौद्धों का मत सर्वथा अलग है वे इसे द्रव्य ,गुण ,क्रिया न मानकर इसे शून्यता अर्थात वाणी से परे मानते हैं।

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