सुविधा की दृष्टि से हमने शिक्षार्थी स्वायत्तता को कुछ भागों में बाँट लिया है।

शिक्षार्थी स्वायत्तता से आशय/ Meaning of learner autonomy

शिक्षार्थी स्वायत्तता का उद्देश्य /Objective of learner autonomy

शिक्षार्थी स्वायत्तता व शिक्षा के अंग /Learner autonomy and part of education

1 – पाठ्यक्रम व शिक्षार्थी स्वायत्तता /Curriculum and learner autonomy

2 – शिक्षक व शिक्षार्थी स्वायत्तता /Teacher and learner autonomy

3 – शिक्षार्थी व शिक्षार्थी स्वायत्तता /learner and learner autonomy

4 – शिक्षण विधि व शिक्षार्थी स्वायत्तता /Method of teaching and learner autonomy

5 – विद्यालय व शिक्षार्थी स्वायत्तता /School and learner autonomy

निष्कर्ष /conclusion

शिक्षार्थी स्वायत्तता से आशय/ Meaning of learner autonomy

शिक्षार्थी की स्वायत्तता को अधिगम कर्त्ता के मनन, चिन्तन, निर्णयन, कार्य इच्छा और और स्वशक्ति पर विश्वास के रूप में परिकल्पित किया जा सकता है। इसे अधिगम कर्त्ता की जिम्मेदारी लेने की क्षमता के रूप में देखा जा सकता है। अधिगम करने वाले को अधिगम हेतु स्वायत्त स्थिति प्रदान करना मानवीय दृष्टिकोण से एक वहनीय जिम्मेदारी है।

शिक्षार्थी की स्वायत्तता के बारे में Henri Holec महोदय का विचार है –

“Autonomy is the ability to take charge of one’s own learning.”

“स्वायत्तता अपने स्वयं के सीखने का प्रभार लेने की क्षमता है।”

Leslie Dickinsion महोदय का विचार है कि 

“Autonomy is a situation in which the learner is totally responsible for all the decisions concerned with his learning and the implementation of those decisions.”

“स्वायत्तता एक ऐसी स्थिति है जिसमें शिक्षार्थी अपने सीखने और उन निर्णयों के कार्यान्वयन से संबंधित सभी निर्णयों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है।”

उक्त विवेचना के आधार पर कहा जा सकता है कि अधिगम कर्त्ता की स्वायत्तता से आशय अधिगम के परिक्षेत्र में उसके सीखने व निर्णयन हेतु स्वयं जिम्मेदारी लेने से है।

शिक्षार्थी स्वायत्तता का उद्देश्य /Objective of learner autonomy

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अपनी जवाबदेही हेतु खुद जिम्मेदारी लेने की प्रवृत्ति को बल मिला है और सभी अपने अपने कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं शिक्षार्थी को गुण  सिखाना ही शिक्षार्थी स्वायत्तता का उद्देश्य है। आज की पीढ़ी निःसन्देह पूर्व पीढ़ी से अधिक जागरूक है और विभिन्न संसाधनों का प्रयोग कर ज्ञान परिक्षेत्र बढ़ा रही है। शिक्षार्थी स्वायत्तता उसे उसके अधिकारों के प्रति सचेष्ट करना एक उद्देश्य मानती है। Phill Bension महोदय लिखते हैं –

“Autonomy is a recognition of the rights of learner within educational system.” 

“स्वायत्तता शैक्षिक प्रणाली के भीतर शिक्षार्थी के अधिकारों की मान्यता है।”

शिक्षार्थी स्वायत्तता का उद्देश्य शिक्षार्थी को प्रभावी निर्णयन क्षमता की दक्षता प्रदान कर उसके परिणामों की जिम्मेदारी स्वीकार करने योग्य बनाती है।

संक्षेप में उद्देश्यों को इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है –

1 – स्वायत्त निर्णय लेने की क्षमता का विकास/Develop the ability to make autonomous decisions

 2 – सहयोग की भावना का विकास / Develop a spirit of cooperation

3 – स्वमूल्यांकन व स्वप्रबन्धन /Self-evaluation and self-management

4 – शिक्षार्थी की सम्प्रभुता को महत्त्व /Importance of learner’s sovereignty

5 – व्यक्तिगत भिन्नता की स्वीकारोक्ति /Acknowledgment of individual difference

6 – आत्मविश्वास वृद्धि /Confidence Increase

7 – सृजनात्मकता का विकास /Development of creativity

8 – शैक्षणिक दवाब में कमी / Reduction of academic pressure

शिक्षार्थी स्वायत्तता व शिक्षा के अंग /Learner autonomy and part of education

परिवर्तन प्रकृति का अटल नियम है शिक्षा जगत को क्रान्तिकारी परिवर्तन के लिए स्वयं को तैयार करना होगा और शिक्षा के समस्त अंगों को बदलते परिदृश्य के अनुसार शिक्षार्थी स्वायत्तता के अनुरूप स्वयं  ढालना होगा। David Little महोदय ने कहा –

“Autonomy is essentially a matter of the learner’s psychological relation to the process and content of learning.”

 “स्वायत्तता अनिवार्य रूप से सीखने की प्रक्रिया और सामग्री के लिए शिक्षार्थी के मनोवैज्ञानिक संबंध का मामला है।

1 – पाठ्यक्रम व शिक्षार्थी स्वायत्तता /Curriculum and learner autonomy

2 – शिक्षक व शिक्षार्थी स्वायत्तता /Teacher and learner autonomy

3 – शिक्षार्थी व शिक्षार्थी स्वायत्तता /learner and learner autonomy

4 – शिक्षण विधि व शिक्षार्थी स्वायत्तता /Method of teaching and learner autonomy

5 – विद्यालय व शिक्षार्थी स्वायत्तता /School and learner autonomy

निष्कर्ष /conclusion

आज के परिप्रेक्ष्य में जब हम शिक्षार्थी स्वायत्तता की बात करते हैं समस्त शिक्षा जगत को शिक्षार्थी स्वायत्तता के हिसाब से स्वयं को परिवर्तित करना होगा। गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कहा –

“The boys were encouraged to manage their own affairs, and to elect their own judge, if any punishment was to be given. I never punished them myself.”

लड़कों को अपने मामलों का प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था, और यदि कोई सजा दी जानी थी, तो अपने स्वयं के न्यायाधीश का चुनाव करने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। मैंने उन्हें स्वयं कभी दंडित नहीं किया।”

निष्कर्षतः कहा  सकता है कि इस अवधारणा द्वारा शिक्षार्थी सशक्तीकरण  का नया अध्याय  हेतु शिक्षा जगत को तैयार रहना होगा। शिक्षार्थी को मानसिक सशक्त बनाने में ही शिक्षक व शिक्षा जगत की खुशी छिपी है।

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