पनीर का उद्भव –
पनीर आज भारत में बहुत लोकप्रिय है। ‘पेनिर’ शब्द फारसी है इसका तुर्की और फ़ारसी में इसका आशय पनीर है। पनीर को संस्कृत में क्षीरज या दधिज कहते हैं। इसे प्रनीरम् कहा जाता है कुछ ग्रन्थों में इसे तक्र पिण्डक भी कहा गया है। पनीर को अंग्रेजी में कॉटेज चीज़ कहा जाता है ,इसे स्पेनिश में Queso कहते हैं। यहाँ हम सहज सम्प्रेषण हेतु पनीर शब्द ही प्रयोग करेंगे।
भारत में प्रमुखतः बिकने वाला पनीर / Mainly sold cheese in India –
भारत पनीर का बहुत बड़ा बाजार है और यहाँ पनीर की माँग में लगातार इजाफा हो रहा है। मुख्य रूप से यहाँ बिकने वाले पनीर को तीन श्रेणी में रख सकते हैं।
01 – असली पनीर / Real Paneer –
02 – एनालॉग पनीर /Analog Paneer –
03 – नकली पनीर / Fake Paneer –
पनीर उत्पादन व खपत / Cheese production and consumption –
भारत में हर साल 5 लाख टन पनीर की खपत का अनुमान है। यह भारत का एक महत्त्वपूर्ण उद्योग है और भारत में उत्पन्न दूध की कुल मात्रा में 7 % का प्रयोग पनीर बनाने में किया जाता है 5 किलोग्राम दूध से लगभग एक किलोग्राम पनीर बनता है। भारत में 5 शीर्ष दुग्ध उत्पादक राज्य मिलकर 54 % दुग्ध उत्पादित करते हैं वे हैं – उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपने भारत के लोग पनीर को प्रोटीन का प्रमुख स्रोत मानते हैं और इस पर 65 हजार करोड़ प्रति वर्ष वर्तमान में खर्च कर रहे हैं और सन 2033 तक यह खर्चा 2 लाख करोड़ तक पहुँच सकता है। भारत में खपत लगभग 5 लाख टन पनीर प्रतिवर्ष है जो कि 250 करोड़ लीटर दूध से बन सकेगा। एक आँकड़े के अनुसार 7 % पनीर दूध से बनता है बाकी का अन्दाजा आप लगा ही सकते हैं।
भारतीय पनीर से सम्बन्धित कुछ चौंकाने वाले तथ्य / Some surprising facts related to Indian Paneer –
आप अगर नित्य प्रति का समाचार पत्र ध्यान से देखें तो आये दिन नकली पनीर की खबर से रूबरू होंगे। कुछ समय पूर्व देश की राजधानी से निकट नॉएडा में पुलिस ने 1400 किलो नकली पनीर पकड़ा जो काफी चर्चित रहा। यह उत्तर प्रदेश की अलीगढ स्थित फैक्ट्री में खतरनाक केमिकल की मदद से बनाया गया जिसे पुलिस ने सील भी कर दिया। इससे पहले भी नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा के फ़ूड डिपार्टमेण्ट ने 122 पनीर के सैम्पल की जाँच की इसमें 83 % में तो मिलावट पाई गई और 40 % में ऐसे तत्व थे जिन्हें खाने से गंभीर बीमारी का खतरा था। इसी तरह कर्नाटक में पनीर के 163 सैम्पल की जांच करने पर चार ही पास हुए बाकी फेल। लखनऊ में भी पनीर के 50 % नमूने फेल हुए। कुल मिलाकर ये स्वीकार करने के बहुत से कारण हैं कि हमें मिलाने वाला पनीर घोर शंका से घिरा है।
विगत वर्षों का पनीर उत्पादन और खपत वृद्धि के कारण / Cheese production over the past years and reasons for consumption growth –
विविध आँकड़े ये दर्शाते हैं कि पनीर उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2014 से 2019 तक उत्पादन वृद्धि प्रति वर्ष 2.2 % थी। 2014 -15 दुग्ध उत्पादन 146. 3 मिलियन टन था जो 5. 62 % की वृद्धि दीखता हुआ 2023-24 में 239 .30 मिलियन टन पर पहुँच गया। FOOD SPECTRUM के अनुसार 2024 में भारतीय पनीर बाजार का मूल्य 107.54 बिलियन रुपये था जो 2033 तक 593 .47 बिलियन रुपए तक पहुँचाने की उम्मीद है। यहाँ पनीर उत्पादन वृद्धि के जो कारण हैं उन्हें इस प्रकार दिया जा सकता है।
01 – डेयरी उद्योग
02 – पनीर उत्पादन
03 – आय वृद्धि
04 – उपभोक्ता की माँग
05 – सुविधाजनक
06 – प्रोटीन सम्बन्धी विश्वास
07 – पैकेजिंग
08 – बनाने में सरल, सुविधाजनक
09 – सहज उपलब्धता
वर्तमान परिदृश्य पनीर की माँग में लगातार वृद्धि का है आवश्यकता इसके शुद्धतम स्वरुप के उत्पादन व विपणन की है। आशा है भविष्य में वे तरीके निकाले जाएंगे जिससे पनीर किसी की सेहत को नुकसान न पहुँचा सके। आज की स्थिति को देखकर जनमानस इसे सर्वाधिक मिलावटी खाद्य पदार्थ का दर्जा दे तो कोइ अतिश्योक्ति न होगी। आगामी राष्ट्रीय पनीर दिवस 12 जून तक क्या परिवर्तन होगा यह भविष्य के गर्त में है।

