बलिदानों की मिट्टी से रज-कण चन्दन  हो जाता है,

शीश  गिरे जब सीमा पर माँ का वन्दन हो जाता है,

चढ़े जभी अरिछाती पर,अरिघर क्रन्दन हो जाता है,

वरण हमें जय करती है,माँ अभिनन्दन हो जाता है।

बगिया के रखवाले हैं, बाग  की कीमत जानते हैं,

रक्त से सींचा है हमने वतन की अस्मत जानते हैं,

हम देश प्रेम  के दीवाने, प्रेम की भाषा जानते हैं,

नहीं समझता जो इसको उससे ही हम ठानते हैं।

 

जो देशद्रोह के हामी हैं,आओ उन्हें पहचानते हैं,

प्रेम से  समझाने पर भी , यदि वो नहीं मानते हैं,

तो देशोत्थान के यज्ञ में,आहुति उनकी डालते हैं,

देश-द्रोही  भावना को, आओ अभी निकालते हैं।

 

हम सीधे-साधे बन्दे हैं  और लड़ना नहीं जानते हैं,

ये मेराअपना भारत है, इसीको सबकुछ मानते हैं,

भारतवंशी भारत के, उत्थान पर ही  सब वारते हैं,

भारत के रहने वाले हैं भारत की कीमत जानते हैं।

 

मेरे कॉलेज के हर मैडल, दिल  में मुस्कुराते है,

जीत के  मंजर सहित,  सब चेहरे  याद आते  हैं,

सीमा पर देश के बालक वादे अपने  निभाते हैं,

भवानी याद करने से  विजयी  क्षण याद आते है।

 

कलिंग,सिन्धु,हल्दीघाटी के किस्से यही बखानते हैं,

मानवता मारी जाती है,जब युद्ध कहीं हम ठानते हैं,

जो कुर्बानी हुईं  देश हित, हम सबको पहचानते हैं,

भारत माता के बेटे हैं अपना सब कुछ न्योछारते हैं।

 

गंगा,गोदावरी,ब्रह्म-पुत्र हम इनकी रवानी जानते हैं,

नर्मदा,कावेरी,सिन्धु हो इनकी प्रतिध्वनि पहनाते हैं,

इनके जल में मिलकर तो पार्थिव चेतन हो जाता है,

सुनो आवेग प्रबलता  को  जय, जय भारत गाता है।

 

भारतमाता के बेटे हैं निजघर की कहानी जानते हैं,

भारत है ऋषि, मुनियों का हम  गुरुवाणी जानते हैं,

राष्ट्रवाद मानवता रक्षण हित तन-मन वारा करते हैं,

कृतज्ञता ज्ञापन हेतु हम वन्देमातरम गाया करते हैं।

 

नवजीवन से लिखते अध्याय मरकर उसे बदलते हैं,

यदि शेष रहा कुछ करने को,नव-शरीर ले चलते हैं,

हम मरें-जिएंअवसाद नहीं,यहाँ शीश चढ़ाए जाते हैं,

बलिदानी मिट्टी देश की  है, कर्त्तव्य निबाहे जाते  हैं।

 

लघु तन पर बस्ता टांग मन से बोझ हटाया जाता है,

सुना कथाएं शोणित की, शौर्य पाठ पढ़ाया जाता है,

तब माता के प्रति  श्रद्धा का, स्तर ऊँचा हो जाता है,

बच्चे चलते उन चिन्हों पर,जय माता दी हो जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

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