माँ शारदे श्रद्धा सहित पूजन सुमन चुन लाया हूँ।

बसन्त पञ्चमी विशिष्ट शुभ हो प्यार सारा लाया हूँ।

स्वागत है अकिञ्चन द्वारा समस्त आगत लाया हूँ।  

शिरोमणि ज्ञान की देवी सब ही पिपासा लाया हूँ।

हे ऋतुराज तुम्हारी प्यारी प्रकृति को पढ़ आया हूँ ।1।

हे बसन्त मैं शीतऋतु की विदा करा कर आया हूँ।

नई कोपलें झांकेंगी अब विश्वास जगाकर आया हूँ।

सरसों फूलेगी खुश होकर राज बताकर आया हूँ।

धरा पर शुभ ही शुभ होगा ये जतला कर आया हूँ। 

हे ऋतुराज तुम्हारी प्यारी प्रकृति को पढ़ आया हूँ ।2।

रंग बिरंगे फूल खिलेंगे वन माली से कह आया हूँ।

शीतल मन्द बयार चलेगी यह वादा कर आया हूँ।

आम्र वृक्ष को मञ्जरियों की आशा से भर आया हूँ।

फूलों के मादकता किस्से, भँवरों से कह आया हूँ।  

हे ऋतुराज तुम्हारी प्यारी प्रकृति को पढ़ आया हूँ ।3।

रँगीला मौसम आएगा उल्लास भरा दिल लाया हूँ।

मधुवन फिर से चहकेंगे ये प्रेम पगा स्वर लाया हूँ।

प्रकृति नव श्रृंगार करेगी, आस जगाकर आया हूँ।

नयनाभिराम छटा निखरेगी, टेसू से कह आया हूँ।   

हे ऋतुराज तुम्हारी प्यारी प्रकृति को पढ़ आया हूँ ।4।

धरती सारी धानी होगी ये स्वप्न सँजोकर लाया हूँ।

चेहरे दमकेंगे कृषकों के ये चाह जगाकर लाया हूँ।

दामन महकेगा पृथ्वी का साज सजा कर आया हूँ।

मस्ती का मौसम गाएगा गीत मैं लिखकर लाया हूँ।   

हे ऋतुराज तुम्हारी प्यारी प्रकृति को पढ़ आया हूँ।5।

मधुरस फिरसे बरसे जग में यही कामना लाया हूँ।

हे खग तुम सब खूब नाचना मोरों से कह आया हूँ।

मेघ तुम भी छिटपुट आना दृश्य अजब ले आया हूँ।

जिन्दादिली संग रहने वाले, ‘नाथ’ सभी ढंग लाया हूँ।      

हे ऋतुराज तुम्हारी प्यारी प्रकृति को पढ़ आया हूँ ।6।

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