शैक्षिक विकास के सन्दर्भ में सामाजिक नियंत्रण

विषय वस्तु को अध्ययन व अधिगम के दृष्टिकोण से निम्न भागों में बाँट कर अध्ययन करेंगे :-

1 – सामाजिक नियन्त्रण की अवधारणा (concept of social control)

2 – सामाजिक नियन्त्रण से आशय व विविध परिभाषाएं

    (Meaning and definitions of social control)

3 – शैक्षिक विकास में सामाजिक नियन्त्रण की भूमिका

    (Role of social control in educational development)

4 – निष्कर्ष (Conclusion)

1 – सामाजिक नियन्त्रण की अवधारणा (concept of social control): –

भारत में सामाजिक नियन्त्रण की अवधारणा सर्वाधिक पुरातन व सनातन है सर्व प्रथम ऋषि परम्पराओं व उनके निर्देशों में इनके दर्शन होते हैं और इनका सर्वाधिक व्यवस्थित रूप कर्म प्रधान वर्ण व्यवस्था में द्रष्टव्य होता है विविध राजाओं, कबीलों व समुदायों की व्यवस्था में भी इसके अंश दिखाई देते हैं। कर्म प्रधान वर्ण व्यवस्था पर विविध विद्वत जनों ने कार्य किया है।

            हम स्वभावतः या उदार या गुलाम मानसिकता के चलते हर विचार की जड़ हिन्दुस्तान से बाहर देखना चाहते हैं इस क्रम में अमेरिका के प्रसिद्द समाज शास्त्री E.A.Ross की 1901 में लिखी गई पुस्तक सोशल कन्ट्रोल (SOCIAL CONTROL) का आधार लिया जाता है इन्होने अपनी पुस्तक में व्यवस्थित रूप से समाज के नियन्त्रण कार्य, संस्थाओं में धर्म, विश्वास कानून नैतिकता लोकमत रीति रिवाज व शिक्षा की भूमिकाओं का वर्णन किया है।

2 – सामाजिक नियन्त्रण से आशय व विविध परिभाषाएं

    (Meaning and definitions of social control)

सामाजिक नियंत्रण से आशय उस नियंत्रण से है जिसमें समाज की उन्नति के बीज छिपे होते हैं इस हेतु जिन मर्यादाओं परम्पराओं व नियमों का अनुपालन आवश्यक होता है  उसके सुनिश्चितीकरण का प्रयास किया जाता है। इसके माध्यम से समूह द्वारा निर्धारित नियमों का अनुपालन कराने हेतु बाध्यकारी शक्तियों को भी प्रयोग में लाया जाता है। वस्तुतः सामाजिक उद्देश्यों व सामाजिक आदर्शों के स्थापन हेतु इनका प्रयोग किया जाता है।

प्रसिद्ध समाजशास्त्री रॉस महोदय कहते हैं –

“सामाजिक नियन्त्रण का तात्पर्य उन तमाम व्यक्तियों से है, जिसके द्वारा समुदाय व्यक्तियों को अपने अनुसार ढालता है।

“Social control refers to all those individuals by which the community molds individuals according to itself.”

मैकाइवर व पेज के अनुसार –

“सामाजिक नियन्त्रण से आशय उस तरीके से है जिससे सम्पूर्ण सामाजिक व्यवस्था अपने को संगठित बनाये रखती है।

Social control refers to the manner in which the whole social system keeps itself organized.”

बोगार्ड के अनुसार –

“सामाजिक नियन्त्रण वह पद्यति है,जिसमें एक समूह अपने सदस्य के व्यवहारों को नियन्त्रित करता है।

Social control is the method in which a group controls the behavior of its members.”

लेण्डिस महोदय के अनुसार –

“सामाजिक नियन्त्रण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा सामाजिक व्यवस्था स्थापित तथा बनाये राखी जाती है।

Social control is the process by which social order is established and maintained.”  

आर. जी. स्मिथ महोदय के अनुसार –

सामाजिक नियन्त्रण उन उद्देश्यों की प्राप्ति है जो उन उद्देश्यों के साधनों के प्रति चेतन सामूहिक अनुकूलन द्वारा होती है।

“Social control is the attainment of those objectives by conscious collective adaptation to the means of those objectives.”

3 – शैक्षिक विकास में सामाजिक नियन्त्रण की भूमिका

    (Role of social control in educational development)

01- व्यवहार नियन्त्रण द्वारा शैक्षिक विकास (Educational Development by Behavioral Control) 

02- सामाजिक समानता को प्रश्रय (Supporting social equality)

03- स्वीकृत मूल्यों का स्थापन (Establishment of Accepted Values)

04- एकता स्थापन हेतु (To establish unity)

05- व्यावहारिक प्रतिमानों व सामाजिक बुराइयों के प्रति सजगता (Awareness of practical norms and social evils)

06- शैक्षिक सामाजिक उद्देश्यों का गठन (Formation of Educational Social Objectives)

07- विविध निष्पादित कार्यों में सन्तुलन (Balance in various tasks)

08- सुख, शान्ति स्थापन (Happiness, Peace Establishment)

09- समरसता को बढ़ावा (Promote harmony)

10 – रूढ़िवाद से मुक्ति (Freedom from conservatism)

4 – निष्कर्ष (Conclusion):

      सारतः कहा जा सकता है कि निष्पक्ष सामाजिक नियन्त्रण मानव मात्र की प्रगति का एक सुखद उपागम है इससे अन्ततः मानवीय मूल्यों का संरक्षण होगा और मानव की क्रमिक प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। शिक्षा को नई व्यावहारिक दिशा मिलेगी और यहां की स्थितियों के आधार पर कार्य संपन्न हो सकेंगे।

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