मानव का मानवता से मिलन हो रहा है।
कालिमा का निजमन से गमन हो रहा है।
सद्भाव से सरल मन का सृजन हो रहा है।
भूमण्डल पर ‘क्षमापर्व’ वरण हो रहा है।
मानव का मानवता से मिलन हो रहा है।
कालिमा का निजमन से गमन हो रहा है।
सद्भाव से सरल मन का सृजन हो रहा है।
भूमण्डल पर ‘क्षमापर्व’ वरण हो रहा है।
किसी भी क्षेत्र में शोध करने से पूर्व मनोमष्तिष्क में एक तूफ़ान एक हलचल महसूस होती है, शोध परिक्षेत्र की तलाश प्रारम्भ होती है, विषय की तलाश से लेकर परिणति तक का आयाम मुखर होने लगता है और इसी मनोवेग वैचारिक तूफ़ान को शोध एक सृजनात्मक आयाम देता है एवं अस्तित्व में आता है शोध प्रोपोज़ल या शोध प्रारूपिका। हमारे शोधार्थियों में इसके लिए शब्द प्रचलन में है: —-Synopsis.