सर्व राक्षस सङ्घाना राक्षसा ये च पूर्वजाः। अलमेकोअपि नाशाय वीरो वालिसुतः कपिः।।

उक्त पंक्तियों में गीता प्रेस ,गोरख पुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण ,द्वितीय खण्ड के एकोनषष्टितमः सर्गः के   14वें श्लोक में हनुमान जी की परिकल्पना है कि :- सम्पूर्ण राक्षसों व उनके पूर्वजों को भी यमलोक पहुँचाने हेतु वाली के वीर पुत्र कपिश्रेष्ठ अङ्गद ही पर्याप्त हैं।

वास्तव में परिकल्पना अन्तिम उत्तर न होकर सुझाया गया कथन या प्रस्ताव ही है।

आशय व परिभाषा [Meaning and Definitions]:-

परिकल्पना से आशय उस कथन से होता है जो सिद्ध होने पर सिद्धान्त के रूप में बदल जाता है। परिकल्पना को आंग्ल भाषा में Hypothesis कहा जाता है यहाँ Hypo से आशय सम्भावित  व  thesis से आशय समाधान  से है

इस प्रकार संभावित समाधान ही परिकल्पना है जिसे सामान्य रूप में सुझाया गया उत्तर कहा जा सकता है।

यह वह अभिकथन होता है जो शोध की दिशा तय करता है। इसे अलग अलग विद्वानों ने इस प्रकार शब्दों में बाँधा है

जॉन सी टाउनसेण्ड के अनुसार-“शोध के तहत समस्या समाधान हेतु सुझाया गया उत्तर,परिकल्पना है।”

“Hypothesis is a suggested answer to the problem under investigation.” -J.C. Townsand

एम 0 वर्मा के अनुसार –  “परिकल्पना सिद्धान्त का वह रूप है जो परीक्षण रूप कथन के रूप में लिखा जाता है और जिसकी स्पष्ट रूप से प्रदत्तों के आधार पर या प्रायोगिक निरीक्षण के आधार पर पुष्टि की जाती है। “

“A Theory when stated as a testable proposition formally and clearly and subjected to empirical or experimental verification is known as hypothesis.”                                                   -M.Verma

फ्रेड एच करलिंगर ने बताया -“एक परिकल्पना दो या दो से अधिक चरों सम्बन्ध के  विषय में एक कल्पनात्मक कथन होता है। “

“A hypothesis is a conjectural statement of the relation between two or more variables.”-Fred N Karlinger. 

शोध परिकल्पना के प्रकार  [Types of Research Hypothesis]:-

शोध हेतु की गयी परिकल्पनाएं शोध का मूल आधार हैं। परिकल्पना तर्क व बुद्धि के आधार  शोध दिशा तय करने वाली क्रिया है,इसके निर्माणोपरान्त शोधकर्त्ता परीक्षण के माध्यम उसकी अस्वीकार्यता या स्वीकार्यता पर समूचा ध्यान केन्द्रित कर देता है शोध कार्य के अनुरूप परिकल्पनाएं (उपकल्पनाएँ )विविध प्रकार की होती हैं जिन्हे अध्ययन की सुगमता व सहज अधिगम हेतु इस प्रकार विवेचित किया जा सकता है :-

(1 )-सामान्य परिकल्पना [Simple Hypothesis]-

इसमें सरल परिकल्पना स्वीकार्य है जिसमें दो चरों के बीच सह सम्बन्ध ज्ञात किया जाता है।

(2 )-जटिल परिकल्पना [Complex Hypothesis]-

इसमें सह सम्बन्ध ज्ञात करने के लिए उच्च सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग करते हैं।

(3)-तार्किक परिकल्पना [Logical Hypothesis]-

तार्किक परिकल्पना से आशय उस परिकल्पना से है जिसे तार्किक रूप से प्रमाणित किया जा सके।तार्किक परिकल्पना  की व्याख्या सीमित साक्ष्य रखने वाले तर्क के रूप में की जाती है।

(4)-अनुभवजन्य  परिकल्पना [Empirical Hypothesis]-

जब किसी समस्या के परिक्षेत्र में सर्वेक्षण का आधार सामान्य अनुभव होता हैऔर जिसे वैज्ञानिक विधि द्वारा सर्वेक्षण कर  प्रमाणित किया जा सके।अनुभवजन्य  परिकल्पना कहलाती है। इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष निरीक्षण से ज्ञान का अनुभव समाहित है।

(5)-सांख्यकीय परिकल्पना [Statistical Hypothesis]-

सांख्यकीय परिकल्पना वास्तव में वह परिकल्पना है जिसे शून्य परिकल्पना भी शामिल है जब कि एक अन्य दृष्टिकोण के अनुसार इसमें निम्न दोनों को शामिल किया जाता है

(A)- शून्य परिकल्पना [Null Hypothesis]

 (B)- वैकल्पिक परिकल्पना [Alternative Hypothesis] या  प्रायोगिक परिकल्पना [Experimental Hypothesis]

 (A)- शून्य परिकल्पना [Null Hypothesis]-

इस परिकल्पना में दो चरों के बीच कोई सार्थक अन्तर नहीं माना जाता है Null जर्मनी भाषा का शब्द है ,इस परिकल्पना में अन्तर के शून्य होने की स्थिति रखी जाती है। इसे एच जीरो परिकल्पना भी कहा जाता है ,

(B)- वैकल्पिक परिकल्पना [Alter native Hypothesis]-

वैकल्पिक उपकल्पना वास्तव में शून्य उपकल्पना का वह विकल्प है जिसे सामान्यतःवास्तविक परिणामों के आधार पर निरीक्षित किया जा सके कि इसमें दो चरों के बीच परस्पर सार्थक सम्बन्ध हैंअर्थात यह वह अवधारणा है जो शून्य परिकल्पना के अलावा कुछ भी भविष्यवाणी करती है।इसे प्रायोगिक परिकल्पना [Experimental Hypothesis ]-भी कहा जाता है, यह समूह के व्यवहारों में अन्तर का अभिकथन करती है इसे एच वन परिकल्पना भी कहा जाता है इसमें धनात्मक [Positive ] व ऋणात्मक या नकारात्मक [Negative ] परिकल्पना को शामिल किया जाता है।

शोध के प्रकारों के सम्बन्ध में सभी शिक्षा शास्त्री एक मत नहीं हैं इसलिए विभिन्न वर्गीकरण देखने को मिलते हैं जैसे कि गुड तथा हैट ने  परिकल्पना को आनुभविक एकरूपता परिकल्पना (Existing Empirical Hypothesis),जटिल परिकल्पना (Complex Hypothesis ) एवं विश्लेषणात्मक चर आधारित परिकल्पना (Analytical variable based Hypothesis ) तीन भागों में बांटा है।

जब कि मैकगुइन ने अपने अनुभव के आधार पर परिकल्पना को अस्तित्वपरक परिकल्पना (Existential Hypothesis) व सार्वभौमिक परिकल्पना (Universal  Hypothesis) दो भागों में बांटा है।

हेज महोदय परिकल्पनाओं के दो प्रकारों को स्वीकारते हैं:- (A )-सरल परिकल्पना (Simple Hypothesis),(B)-जटिल परिकल्पना(Complex Hypothesis )

प्रो 0 एस 0 पी0 गुप्ता ने इन्हें पांच भागों में वर्गीकृत किया है पहले में अन्तर की परिकल्पना व सह सम्बन्ध की परिकल्पना को,द्वित्तीय में दिशापरक, दिशाविहीन व शून्य परिकल्पना को तृतीय में सकारात्मक व नकारात्मक परिकल्पना को चतुर्थ वर्गीकरण में पूर्व कथित ,उत्तर कथित व वर्णित परिकल्पना को एवं पञ्चम वर्गीकरण में अनुसंधान व सांख्यकीय परिकल्पना को स्थान दिया है।

कुछ विद्वान परिकल्पना के दो भाग अनुसंधान परिकल्पना (Research Hypothesis) व सांख्यिकीय परिकल्पना (Statistical Hypothesis ) के रूप में व कुछ अन्य प्रायोगिक (Experimental) व अप्रायोगिक (Non Experimental) परिकल्पना के रूप में करते हैं।

अन्ततः स्वीकार किया जा सकता है कि स्वरूप,प्रकृति ,चरों की संख्या,विशिष्ट उद्देश्य व नवाचार के आधार पर इन्हे विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत व अधिगमित किया जा सकता है।

अनुसंधान परिकल्पना के स्रोत (Sources Of Research Hypothesis ) :-

शोधार्थियों के मनोमष्तिष्क में परिकल्पना के उद्गम के बारे में जानकारी अभाव या भ्रम की स्थिति के कारण परेशानी महसूस की जाती है जबकि विविध स्रोतों की जानकारी होने पर कार्य सुगम बन पड़ेगा। शोध परिकल्पना के विभिन्न स्रोतों को इस प्रकार व्यवस्थित क्रम दिया जा सकता है :-

(1)-पूर्व परिकल्पनाओं का विश्लेषणात्मक अध्ययन (Analytical Study Of Previous Hypothesis )

(2)-सम्बन्धित  साहित्य (Related Literature)

(3) -अनुभवी व्यक्तियों से परिचर्चा (Discussion With Experienced Person )

(4 )-स्व अनुभव( Personal Experience)

(5 )-अवलोकन (Observation )

(6 )-संस्कृति (Culture )

(7 )-सामाजिक परिवर्तन व मूल्यों का अध्ययन (Study Of Social Change and Value Education)

(8 )-विज्ञान (Science)

(9 )-सृजनात्मक चिन्तन (Creative Thinking )

(10 )-सादृश्यता (Analogy )

(11 )-सूझ (Insight )

(12 )-विशिष्ट क्षेत्रों के शोध (Research IN Specific Field )

(13 )-नवीन वैश्विक शोध के विश्लेषणात्मक अध्ययन द्वारा (Analytical Study Of New Global Research )

(14 )-तार्किक चिन्तन (Logical Thinking )

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