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शिक्षा

INCLUSIVE EDUCATION

May 3, 2024 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

समावेशी शिक्षा

समावेशी शिक्षा से विस्तृत परिक्षेत्र सम्बद्ध है यहाँ अधोलिखित तीन बिन्दुओं पर मुख्यतः विचार करेंगे।

1 – समावेशन की अवधारणा और सिद्धान्त /Concept and principles of inclusion

2 – समावेशन के लाभ / Benefits of inclusion

3 – समावेशी शिक्षा की आवश्यकता / Need of inclusive education

समावेशन की अवधारणा और सिद्धान्त /Concept and principles of inclusion –

जब हम समावेशन की बात करते हैं तो यह जानना परमावश्यक है कि यह किनका करना है। समाज में बहुत से लोग हाशिये पर हैं शिक्षण संस्थाओं में अधिगम करने वाले विविध वर्ग हैं कुछ में शारीरिक, कुछ में मानसिक क्षमताएं, अक्षमताएं  विद्यमान हैं। हमारे विद्यालयों में अध्यापन करने वाला व्यक्ति समस्त अधिगमार्थियों से उनकी क्षमतानुसार अधिगम क्षेत्र उन्नयन हेतु पृथक व्यवहार कर सभी का समावेशन करना चाहता है।

समावेशन वह क्रिया है जो विविधता युक्त व्यक्तित्वों में निर्दिष्ट क्षमता समान रूप से स्थापन करने हेतु की जाती है।

गूगल द्वारा समावेशन सिद्धान्त तलाशने पर ज्ञात हुआ –       

“समावेशी शिक्षण और शिक्षण सभी छात्रों के सीखने के अनुभव के अधिकार को पहचानता है, जो विविधता का सम्मान करता है, भागीदारी को सक्षम बनाता है, बाधाओं को दूर करता है और विभिन्न प्रकार की सीखने की आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर विचार करता है।“

“Inclusive teaching and learning recognizes the right of all students to a learning experience that respects diversity, enables participation, removes barriers and considers a variety of learning needs and preferences.”

समावेशन का यह प्रयास विविध क्षेत्रों में विविध प्रकार से हो सकता है लेकिन यदि हम केवल शिक्षा के दृष्टिकोण से इस पर विचार करें तो प्रसिद्द शिक्षाविद श्री मदन सिंह जी(आर लाल पब्लिकेशन) का यह विचार भी तर्क सङ्गत है –

“शिक्षा के क्षेत्र में समावेशी शिक्षा का अर्थ है – विद्यालय के पुनर्निर्माण की वह प्रक्रिया जिसका लक्ष्य सभी बच्चों को शैक्षणिक और सामाजिक अवसरों की उपलब्धता से है। ” 

“In the field of education, inclusive education means the process of restructuring of schools aimed at providing educational and social opportunities to all children.”

समावेशी शिक्षा की प्रक्रियाओं  में अधिगमार्थी की उपलब्धि, पाठ्य क्रम पर अधिकार, समूह में प्रतिक्रया, शिक्षण, तकनीक, विविध क्रियाकलाप, खेल, नेतृत्व, सृजनात्मकता आदि को शामिल किया जा सकता है।

समावेशन के लाभ / Benefits of inclusion –

चूँकि हम शैक्षिक परिक्षेत्र में सम्पूर्ण विवेचन कर रहे हैं अतः समावेशी शिक्षा के लाभों पर मुख्यतः विचार करेंगे। इस हेतु बिन्दुओं का क्रम इस प्रकार संजोया जा सकता है।

01- स्वस्थ सामाजिक वातावरण व सम्बन्ध / Healthy social environment and relationships

02- समानता (दिव्याङ्ग व सामान्य) / Equality

03- स्तरोन्नयन / Upgradation

04 – मानसिक व सामाजिक समायोजन / Mental and social adjustment

05- व्यक्तिगत अधिकारों का संरक्षण / Protection of individual rights

06- सामूहिक प्रयास समन्वयन / Coordination of collective efforts

07- समान दृष्टिकोण का विकास / Development of common vision

08- विज्ञजनों के प्रगति आख्यान / Progress stories of experts

09- समानता के सिद्धान्त को प्रश्रय / Support the principle of equality

10- विशिष्टीकरण को प्रश्रय / Support for specialization

11- प्रगतिशीलता से समन्वय / Progressive coordination 

12- चयनित स्थानापन्न / Selective  placement

समावेशी शिक्षा की आवश्यकता / Need for inclusive education –

जब समावेशी शिक्षा की आवश्यकता क्यों ? का जवाब तलाशा जाता है तो निम्न महत्त्वपूर्ण बिन्दु दृष्टिगत होते हैं –

01- सौहाद्रपूर्ण वातावरण का सृजन /  Creation of harmonious environment

02- सहायता हेतु तत्परता / Readiness for help

03- परस्पर आश्रयता की समझ का विकास / Development of understanding of mutual support

04- जैण्डर सुग्राह्यता / Gender sensitivity

05- विविधता में एकता / Unity in diversity

06- सम्यक अभिवृत्ति विकास / Proper attitude development

07- अद्यतन ज्ञान से सामञ्जस्य / Alignment with updated knowledge

08- विश्व बन्धुत्व की भावना को प्रश्रय / Fostering the spirit of world brotherhood

09- हीनता से मुक्ति / Freedom from inferiority

10- मानसिक प्रगति सुनिश्चयन  / Ensuring mental progress

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विविध

शुभांशु शुक्ला अन्तरिक्ष से …..

June 29, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

आज कुम्भ राशि के जातक शुभांशु शुक्ला को अधिकाँश भारतीय बुद्धिजीवी जानते हैं। माता आशा शुक्ला और पिता शम्भु दयाल शुक्ला के तीसरे बच्चे के रूप में इनका जन्म हुआ, प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के सिटी माण्टेसरी स्कूल से प्रारम्भ हुई, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA)से स्नातक करने के उपरान्त भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) बैंगलोर से M.Tech की उपाधि प्राप्त की। कालान्तर में इन्होने दन्त चिकित्सक कामना मिश्रा से विवाह किया।

2006 में भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाला यह नौजवान आज 2000 घंटे की उड़ान भर चुका है और Su -30 MKI, मिग-21, MIG -29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और AN -32 उड़ाने का अनुभव प्राप्त कर चुका है शुभांशु शुक्ला ग्रुप कैप्टन मार्च 2024 में बने।

10 अक्टूबर 1985 को जन्मे इस बालक ने 2019 में रूस के यूरी गॉगरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेण्टर से अंतरिक्ष यात्री का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इन्हें गगन यान कार्यक्रम हेतु इसरो के द्वारा चयनित किया गया और आज ये एक निजी तौर पर वित्तपोषित एक्सिओम मिशन -4 (X -4 )के पायलट के रूप में सुर्ख़ियों में हैं इस मिशन को एक्सिओम स्पेस व NASA के सहयोग से आयोजित किया गया है अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (ISS ) की यह यात्रा परम शुभ रहे। 140 करोड़ भारतीयों ने ये दुआ और कामना की है।

भारतीय प्रधान मन्त्री और शुभांशु की बातों का सार संक्षेप –

28 जून 2025 को यशस्वी भारतीय प्रधान मन्त्री श्रीयुत नरेन्द्र मोदी जी और ग्रुप कैप्टन शुभांशु की बातचीत का सार बताने से पहले यह बताना उचित होगा कि इनकी  माँ जी और दादीजी दोनों का ही नाम आशा है और आज शुभांशु भारतीय आशा का अवलम्ब व मानक है –  

आज से 41 वर्ष पूर्व भारत के राकेश शर्माजी अन्तरिक्ष में गए थे और तत्कालीन प्रधान मन्त्री महोदया से उनकी बात हुई थी। आज इतिहास उसे दोहरा कर आगे की पटकथा लिख रहा है – जब भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीजी ने अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से वीडिओ लिंक के माध्यम से बात चीत की तो शुभांशु ने बताया। –

“यहां से भारत बहुत भव्य और बड़ा दिखता है। अनेकता में एकता का भाव साकार होता दिखता है। “

लगभग 1020 सेकण्ड की वार्ता में पीछे लगा भारतीय राष्ट्रीय चक्रध्वज आने वाले सशक्त भारत की आहात को हरदम महसूस करा रहा था। उत्साह से परिपूर्ण शुभांशु ने कहा -“बहुत नया  अनुभव है ऐसी चीजें हो रही हैं, जो दर्शाती हैं कि हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है।”

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल ने अपनी अन्तरानुभूति को साझा करते हुए कहा की पृथ्वी से ऑरबिट तक 400 किलोमीटर की छोटी यात्रा सिर्फ मेरी नहीं मेरे देश भारत की भी यात्रा है। उन्होंने आगे कहा यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और मैं गर्व महसूस कर रहा हूँ कि मैं यहाँ अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूँ।

इस भारतीय लाल ने अन्तरिक्ष से 28000 Km /H  की गति से उड़ते हुए यह अति महत्त्वपूर्ण तथ्य इंगित किया –

“पृथ्वी बिलकुल एक दिखती है, कोई सीमा रेखा दिखाई नहीं देती। ” 

भारतीय वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को पोषित करने वाला यह वाक्यांश दिल को छू गया इसके आलोक में यह अक्षर स्वर्णिम आभा से दमकते हुए महसूस किये जा सकते हैं। –

सर्वे  भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।

अपना एक और विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा –

हम भारत को मैप पर देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है और भारत का कितना ? वह सही नहीं होता, क्योंकि हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D पेपर पर उतारते हैं। उनके शब्द –

“भारत सच में बहुत भव्य और बड़ा दीखता है जितना हम मैप पर देखते हैं उससे कहीं ज्यादा बड़ा। अनेकता में एकता का भाव साकार होता है। ”

ऐसा लगा जैसे अथर्ववेद का पुनः उद्घोष हुआ हो –

अथर्ववेद में भी विविधता में एकता के सिद्धांत का उल्लेख है- “जनं बिभ्रति बहुधा विवाचसं नानाधर्मान् पृथिवी यथौकसम्।”

इसका अर्थ है, “पृथ्वी अनेक भाषाओं और धर्मों वाले लोगों को एक घर की तरह धारण करती है।”

अन्तरिक्ष यात्री भारतीय लाल ने सूर्यास्त और सूर्योदय को लेकर कहा कि वे दिन में 16 बार सूर्य को उदय और अस्त होते हुए देख  रहे हैं अपने पैरों के बंधे होने की बात बताते हुए उन्होंने प्रत्युत्तर में गाजर और मूँग दाल हलवे तथा आम रस का जिक्र भी किया।

बिना गुरुत्वाकर्षण के स्थिति कितनी जटिल होगी इसका अहसास हुआ छत, जमीन, या दीवार कहीं भी बमुश्किल सोया जा सकता है। गुरुत्वाकर्षण के अभाव में छोटी छोटी चीजें कितनी मुश्किल होंगी अनुभव करने वाला ही जान सकता है।

शुभांशु – मोदी जी – भारतीय सपना –

यह एक सुखद उम्मीद जगी है। दैनिक जागरण ने एक बॉक्स इसे सुन्दर ढंग से परिलक्षित किया और शीर्षक दिया। –

“हमें खुद का अन्तरिक्ष स्टेशन बनाना है” –

कृतज्ञता युक्त आभार के साथ दैनिक जागरण में छपे शब्द यहाँ प्रस्तुत हैं –

पी एम के कहने पर उन्होंने युवा पीढ़ी के लिए सन्देश दिया की भारत आज जिस दिशा में जा रहा है,हमने बहुत साहसिक और ऊंचे सपने देखे हैं उन सपनों को पूरा करने  लिए हमें आप सभी की जरूरत है। अन्त में पी एम मोदी ने भारत के संकल्प उनसे साझा किये और कहा कि हमें मिशन गगन यान को आगे बढ़ाना है। हमें अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है चन्द्रमा पर भारतीय की लैण्डिंग भी करानी है। इन सारे मिशनों में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। भारत दुनिया के लिए अंतरिक्ष की नई सम्भावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा ,बल्कि भविष्य में नई उड़ानों के लिए मञ्च तैयार करेगा।

अन्त में शुभांशु और हमारे प्रधान मंत्रीजी ने भारत माता की जय कहकर वार्ता को विराम दिया और Education Aacharya भी यह कह  कर विराम लेगा –

भारत माता की जय

धन्यवाद

जयहिन्द, जय भारत।

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वाह जिन्दगी !

स्वप्न दृष्टा बनें और बनाएं।/Be a dreamer and create it.

June 25, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

स्वप्न दृष्टा बनें और बनाएं। / Be a dreamer and create it.

सपना होता क्या है ? क्यों आता है ? कैसे आता है ?ऐसे बहुत सारे प्रश्न जब मानव मस्तिष्क को झिंझोड़ते हैं तब यह बात साफ़ हो जाती है कि इन्हें दो हिस्से में बाँट सकते हैं

i – बन्द आँखों से देखा जाने वाला सपना।

ii – खुली आँखों से देखा जाने वाला सपना।

यहाँ हम मुख्य रूप से जो विचार करने जा रहे हैं वह आँखों की खुली स्थिति में देखे जाने वाले सपनों से है। हमारे परम प्रिय श्रद्धेय ऋषि व राष्ट्रपति ए ० पी ० जे ० अब्दुल कलाम ने कहा भी था –

“सपना वह नहीं है जो आप सोते समय देखते हैं, बल्कि यह वह है जो आपको सोने नहीं देता।”

आँग्ल अनुवाद

“A dream is not what you see while sleeping, it is what does not let you sleep.”

सपना और हिम्मत / Dream and Courage –

सपना किसी भी प्रकार का हो उनका सम्बन्ध कहीं न कहीं हमारी इच्छाओं से होता है। फ्रायड सपनों को दमित वासनाओं का प्रतिफल मानें तो मानें। भारतीय ऋषिकुल परम्परा हमेशा व्यापक सकारात्मक दृष्टिकोण की हामी रही है। हमारे दृष्टिकोण के अनुसार उनकी व्यापकता बढ़ जाती हैं। बहुत से लोगों के सपने इतने अलग होते हैं हैं या गुप्त होते हैं कि जिन्हें वह अपने करीबी दोस्तों से भी साझा नहीं कर पाते। जाग्रत स्थिति में देखे जाने वाले सपने को लिपिबद्ध कर उसके लिए रणनीति बना कर प्रयास करने वालों के बारे में कहा जा सकता है कि उनके पास सचमुच हिम्मत है।

इसी लिए गूगल हमें लैंग्स्टन ह्यूजेस के शब्द दिखाता है –

सपनों को मजबूती से थामे रहो,

क्योंकि अगर सपने मर जाते हैं तो

जीवन टूटे पंखों वाला पक्षी है

जो उड़ नहीं सकता। 

सपनों को मजबूती से थामे रहो,

क्योंकि जब सपने चले जाते हैं तो

जीवन

बर्फ से जमी एक बंजर जमीन बन जाती है।जाग्रत स्वप्नदृष्टा कौन ?/ Who is the waking dreamer? –

वह व्यक्ति जो अपनी काल्पनिक इच्छाशक्ति को यथार्थ का जामा पहनाने की शक्ति रखता है। पलायनवादी सोच के ठीक विपरीत जब कोई यथार्थ के कठोर ठोस धरातल पर खुली आँखों सपना देख उन्हें फलीभूत करने का योजनाबद्ध ढंग से प्रयास करता है तो उसे ही जाग्रत स्वप्नदृष्टा कहा जाता है। मैंने अपनी कविता “बैठ चिता पर हवन न होते हैं में कहा –

“खुली आँखों देखकर सपना लक्ष्य संजोते हैं

लक्ष्य प्राप्त करने की धुन में जुनूनी होते हैं

स्थाई जीवन की चाह में, न रोते – धोते हैं

सफलता हेतु लगन व निष्ठा साथी होते हैं।

कुछ जाग्रत सपने संयुक्त रूप से पूरे होते हैं जैसे घर संजोने का युगल द्वारा या ग्रुप द्वारा ध्येय का, अध्यापक और शिक्षार्थी द्वारा, इसी सम्बन्ध में मैंने अपने गीत -“लक्ष्य पर पूरा समर्पण में लिखा –

आचार्य ये कहता नहीं कि मैं भी रुकना जानता हूँ

क्योंकि अपने शिष्य का हर एक सपना जानता हूँ

उसके सपनों में हैं शामिल उसकी आशाएं सभी,

उसकी आशाओं में गहरा रंग भरना जानता हूँ

ये बता सकता नहीं कि थकना कहते हैं किसे

लक्ष्य पर पूरा समर्पण और मिटना जानता हूँ।

स्वप्न दृष्टा क्यों बनें बनायें ?/Why become a dreamer and create one?-

वाल्ट डिजनी महोदय ने कहा –

“अगर आप सपना देख सकते हैं तो आप उसे पूरा भी कर सकते हैं।”

“If you can dream it, you can achieve it.”

23 वें पोप जॉन के ये शब्द भी महत्ता रखते हैं –

“अपने डर के बारे में नहीं, बल्कि अपनी उम्मीदों और सपनों के बारे में सोचें। अपनी निराशाओं के बारे में नहीं, बल्कि अपनी अधूरी संभावनाओं के बारे में सोचें। इस बात पर ध्यान न दें की आपने क्या प्रयास किया और असफल रहे, बल्कि इस बात पर ध्यान दें कि आप के लिए अभी भी क्या संभव है।”   

“Think not of your fears, but of your hopes and dreams. Think not of your disappointments, but of your unfulfilled possibilities. Focus not on what you have tried and failed, but on what is still possible for you.”

स्वप्न दृष्टा क्यों बनें बनायें के समर्थन में निम्न वास्तविक तथ्य दिए जा सकते हैं। 1 – सृजनात्मक शक्ति के विकास हेतु/ For the development of creative power

 एलेनोर रूजवेल्ट – “भविष्य उन लोगों का है जो अपने सपनों की सुंदरता में विश्वास रखते हैं.”

“The future belongs to those who believe in the beauty of their dreams.”

2 – आत्मबल की वृद्धि हेतु / To increase self-confidence एक विद्वान् के शब्द रास्ता किस जगह नहीं होता सिर्फ हमको पता नहीं होता छोड़ दें डरकर  ही हम ये कोइ रास्ता नहीं होता।3 – समस्या समाधान योग्यता अभिवृद्धि / Problem solving ability enhancement

कोबे यामादा – “अपने सपनों का पीछा करो, वे रास्ता जानते हैं। “

 “Follow your dreams, they know the way.” 4 – भय मुक्ति व शक्ति विकास / freedom from fear & power development

नॉर्मन वॉन –

“बड़े सपने देखो और असफल होने का साहस रखो।” / “Dream big and have the courage to fail.”

5 – आत्म गौरव व आत्म विश्वास में वृद्धि

मेरी के ० एश –

“जब आप किसी बाधा पर पहुंचते हैं तो उसे अवसर में बदल दें। आपके पास एक विकल्प है। आप उस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।”

“When you come to an obstacle, turn it into an opportunity. You have a choice. You can overcome it.”

6 – कौशल विकास

7 – तनाव से मुक्ति

8 – अनिद्रा समाधान

अन्त में अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश के राम बृक्ष बहादुर पुरी की बात से अपने विचारों को विराम देता हूँ –

आँख खोल कर

 देखो सपने

नींद कहाँ फिर

रातें गिन लो।

सपने बुन लो

गुन लो धुन लो।

हर एक सपना

 ऊँचा देखो

ऊँचा ऊँचा

सोंच समझ कर

खुद ही चुन लो

सपने बुन लो

गुन लो धुन लो।   

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काव्य

कविता में राग ………..

June 23, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

  कर्म योगी था पहला कवि

श्रम जल छलकाया होगा,

कथनी करनी में साम्य रहे

भाव यह चढ़ आया होगा।1 

श्रम से सबकुछ मिलता है

कहीं यह सुन आया होगा,

श्रमकण हरदम जीवन्त रहें

भाव यह गहराया होगा ।2।

जन्म मरण के चक्कर में

प्रारब्ध बोध आया होगा,

इस बार न कोई कमी रहे

यही समझ आया होगा ।3।

दैन्य, दीन निरख निज छवि

ज्ञान, यह मन आया होगा,

कर्म में रत निष्ठा से रहें

मानस ने समझाया होगा ।4।

सत रज तम मंथन से रवि

मनवा में उग आया होगा,

भाव लावा अनवरत बहे

इस लिए गीत गाया होगा।5।

सीमित शब्दों में कहने का

ये ढंग निकल आया होगा,

जिसे बारम्बार गाते ही रहे

ये सौम्य नज़र आया होगा ।6।

बातों बातों में बहस का क्रम

द्वन्द तक, बढ़ आया होगा,

जन गण में सामन्जस्य रहे

मन लय से भाव गाया होगा।7।

तन मन धन सहित निज छवि

का उचित साम्य पाया होगा,

‘नाथ’ कहीं कोई कमी न रहे

कविता में राग गाया होगा ।8।       

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विविध

गांधीजी के तीन बन्दर और आज का मानव

June 16, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

Gandhiji’s three monkeys and today’s human

आज लगभग सर्व स्वीकार्य कथन आपके बीच रखने का मन है वह यह है कि – “अच्छा जहाँ से मिले स्वीकार करना चाहिए।”  – चाहे वह विचार हो, सिद्धान्त हो, प्रेरक वाक्य हो, प्रेरक व्यक्तित्व हो, यथार्थ हो, कड़वा लेकिन सच तथ्य हो, आँख खोलने वाला प्रसंग हो, विशिष्ट भेंट हो आदि आदि। इसी क्रम में हमारे श्रद्धेय गांधीजी को चीन के प्रतिनिधि मण्डल से भेंट स्वरुप तीन बन्दरों की आकृति प्राप्त हुई जो जापान के थे और वहाँ की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते थे।

तीनों बन्दरों के नाम व आशय / Names and meanings of the three monkeys –

1 – MIZARU / मिज़ारू – बुरा न देखो का पावन सन्देश देते हुए यह बन्दर अपनी आँखों को बन्द किए हुए है।

2 – KIKAZARU / किकाजारु – ‘बुरा न सुनो’ का सन्देश सम्प्रेषित करने वाला यह बन्दर अपने कान बन्द किए हुए है।

3 – IWAZARU / इवाजारु – ‘बुरा न बोलो’ का महत्त्व पूर्ण सन्देश प्रदान करते हुए यह बन्दर अपना मुख बन्द किये हुए है।

गांधीजी को यह बन्दर अत्याधिक प्रिय थे और अपने सिद्धान्तों के निकट प्रतीत होते थे। अतः उन्होंने इन्हे अपने गुरु स्वरुप मानकर जीवन भर संजों कर रखे। गांधीजी के सत्य अहिंसा और बुराई से दूर रहने के विचारों को उक्त बन्दरों के संदेशों से प्रश्रय मिला।

MIZARU, KIKAZARU, IWAZARU और आज का मानव –

आज सूचनाएं विद्युत् की गति से उड़ रही हैं और सम्पूर्ण विश्व एक वैश्विक परिवार सा महसूस होता है यदि हम शोध, विज्ञान,दर्शन,उच्च शिक्षा, उच्च तकनीकी आदि विशिष्ट ज्ञान से हटकर सामाजिक परिदृश्य सम्बन्धी दृश्य श्रव्य सामग्री व प्रदर्शित चित्र आदि का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि समाज पतन के गर्त की और जा रहा है जो सन्देश गांधीजी के उक्त तीनों बन्दरों ने दिए उसके विपरीत कार्य कर रहा है और इसमें हमारे हर आयु वर्ग के लाल और ललनाएँ शामिल हैं। तथाकथित बुद्धिजीवी भी बिगड़ते परिदृश्य के जिम्मेदार हैं अकेले शासन व्यवस्था पर दोष मढ़ना तर्क सांगत नहीं है। वह शर्म, हया, गलती का डॉ मानों किताबी बातें हो गई हों यथार्थ नहीं।

यहाँ हम वृहत परिदृश्य पर बात न कर केवल श्रव्य दृश्य सामग्री का विश्लेषण गांधीजी के तीन बन्दरों और आज के परिदृश्य पर कर रहे हैं –

[i]   – MIZARU  और हम

[ii]   – KIKAZARU और हम

[iii] – IWAZARU और हम

निष्कर्ष / Conclusion –

यदि आज की मानवीय पीढ़ी स्वयं को संरक्षित करते हुए भविष्य को सचमुच सकारात्मक दिशा देना चाहती है तो उसे गांधीजी के तीनों बन्दरों का विशिष्ट आचरण धारण करना होगा।

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विविध

शनि उपासना

June 13, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

शनि उपासना

यह एक अत्याधिक महत्त्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है यह मुख्य रूप से शनि देव को प्रसन्न करने और उनके कृपा पात्र बने रहने हेतु किया जाता है इस प्रक्रिया को पूजा मन्त्र जाप व दान द्वारा पूरित किया जाता है।

शनि व्रत की अथ व इति –

व्रत का प्रारम्भ सावन माह के शनिवार या शुक्ल पक्ष के शनिवार से करना विशेष रूप से शुभ है। वैसे किसी भी निर्दोष शनिवार से व्रत शुरू कर सकते हैं। कम से कम शनि व्रत 7 शनिवार का किया जाना चाहिए। और जो भी लोग इसे प्रारम्भ करें इसका उद्द्यापन अवश्य करें।

शनि देव व इनकी उपासना विधि –

हिन्दू धर्म में इन्हे न्याय का देवता कहा जाता है ये सूर्य और छाया के पुत्र हैं इनकी पत्नी चित्र रथ की पुत्री थीं। इन्हें कर्म फल प्रदाता कहा जाता है ये मकर व कुम्भ राशि के स्वामी हैं और तुला राशि में उच्च के होते हैं। शनि देव की पूजा से जीवन में आने वाली परेशानियाँ कम होती हैं व शुभ फल प्राप्त होते हैं। इसमें इन बिंदुओं पर ध्यान अपेक्षित है। –

01 – सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान

02 – स्नानोपरान्त शनि पूजन सङ्कल्प

03 – मूर्ति या चित्र स्थापन

04 – जल तेल फूल काले तेल का अर्पण

05 – शनि देव का मन्त्राभिषेक करें –

ऊँ शं शनैश्चराय नमः

06 – भोग लगाएं – तिल के लड्डू,  गुड़, कोई फल  

07 – आरती उपरान्त पूजन समापन

08 – दान -तेल, काला तिल, वस्त्र

09 – कथा श्रवण व ध्यान से भी शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।

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विविध

अपराजिता

June 7, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

अपराजिता

अपराजिता एक लता है यह दो तरह की मिलती है एक पर सफ़ेद और दूसरी पर नीला फूल आता है। अपराजिता नाम हिंदी व बंगाली में लोकप्रिय है वैसे कई हिंदी भाषी क्षेत्रों में इसे कोयल नाम से भी जानते हैं। इसका पत्ता आगे चौड़ा और पीछे सिकुड़ी सी स्थिति में रहता है। काली मंदिरों में इसी लगाना विशेष शुभ समझा जाता है।

अपराजिता की वल्लरी को विष्णु कान्ता, गो कर्णी, कोयल, काजली, अश्व खुरा आदि नामों से भी जाना जाता है। मुख्यतः वर्षा ऋतू में इस पर फूल व फलियाँ आती हैं। आजकल इसे सौन्दर्य वर्धन हेतु विविध वाटिकाओं में लगाया जा रहा है इसके औषधीय गुण भी मानव का बहुत हित करते हैं।इसके बीजों का रंग काला होता है।

अपराजिता के सामान्य गुण –

अपराजिता के पौधे को घर में लगाने से धन समृद्धि में वृद्धि होती है यह वायु शोधक है इसे ईशान कोण में लगाया जाना मङ्गलकारी माना जाता है। यह महाकाल को अत्यन्त प्रिय है इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है। इसके फूलों को भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।

दोनों प्रकार की अपराजिता कण्ठ को पोषण प्रदान करने के साथ मेधा के विकास में महती भूमिका का निर्वहन करती हैं। यह शीतल, नेत्र विकार से बचाव में सक्षम, बुद्धि वर्धक तथा कुष्ठ, सूजन, त्रिदोष व विष के प्रभाव का शमन करती है।

अपराजिता के विविध भागों का उपयोग –

01 – अपराजिता के पत्तों का प्रयोग बालों पर लगाने व चाय के रूप में किया जाता है।

02 – अपराजिता के बीजों को खाया जा सकता है व चाय के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है।

03 – अपराजिता के फूलों से त्वचा को विशेष पोषण मिलता है व इसकी चाय स्फूर्ति प्रदाता है।

अपराजिता के औषधीय लाभ –

 इसके लाभ बहुत सारे हैं उनमें से कुछ को यहां देने का प्रयास है जिन्हे बार बार सिद्ध होते देखा गया है।

01 – मानसिक स्वास्थ्य – बीज – एकाग्रता व ध्यान संकेन्द्रण में मदद

02 – हृदय का सशक्तीकरण – कोलस्ट्रॉल नियन्त्रण व नियमित रक्त संचरण

03 – पाचन सहायक – बीज – पेट में जलन व अपच में सहायक, उदरमित्र 

04 – प्रतिरोधी क्षमता वृद्धि – बीज – रोग प्रतरोधक क्षमता वृद्धि, सजगता में वृद्धि

05 – त्वचा हेतु – फूल – एण्टी ऑक्सीडेंट से युक्त – चहरे पर चमक – स्वस्थ त्वचा – सूजन में कमी।

06 – केश वृद्धि व केश को झड़ने से बचाने हेतु – पत्ते – केश वृद्धि व झड़ने से रोकने में मददगार।

विविध व्याधियों में प्रयोग –

सिर दर्द – फली का 10 बूँद रस नाक में टपकाने से आराम , जड़ के रस का नस्य सूर्योदय से पहले खाली पेट देने से भी आराम मिलता है।

कुक्कुर खाँसी – जड़ का मिश्री युक्त शर्बत चटाने से लाभ

गर्भ स्थापन – श्वेत अपराजिता की 5 ग्राम छाल या पत्तों को बकरी के दूध में पीसकर व शहद मिश्रित कर देने का जादुई परिणाम देखने को मिला है।

इसकी जड़ 1-1 ग्राम दिन में दो बार  बकरी के दूध में पीसकर व शहद मिश्रित कर कुछ दिन देना गिरते गर्भ को रोकने की क्षमता रखता है।

अण्डकोष वृद्धि व सूजन निवारक – इसके बीजों को पीसकर गरम कर लेप करने से सूजन मिटटी है व लाभ होता है।

सुख प्रसव – कमर पर इसकी बेल लपेटने से आराम आता है लेकिन प्रसवोपरान्त इसे तुरंत हटा देना चाहिए।

अपराजिता के नुकसान –

1 – इसका अधिक सेवन एसिडिटी, त्वचा पर रैशेज, एलर्जी, गैस्ट्राइटिस का कारण बन सकता है।

2 – कम हीमोग्लोविन वाले, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका या इससे बनी चीजों का प्रयोग नहीं करना है।

3 – अपराजिता का अधिक सेवन से शरीर में अतिरिक्त पानी जमा हो सकता है।

4 – अधिक पित्त व रक्त की कमी वाले लोग इसका सेवन न करें।

नोट – योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ के निर्देशानुसार उपयुक्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।

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विविध

शंख/ CONCH

June 4, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

शंख/ CONCH  

भारत में शंख का प्रयोग आदि काल से होता आया है। विविध ऋषि, मनीषी, वीर, राजा – महाराजा, महा मानव व हिन्दू धर्म में भगवान् भी शंख से सम्बद्ध हैं। दाधीचि शंख को दक्षिणावर्ती या लक्ष्मी शंख के नाम से भी जानते हैं। दक्षिणावर्ती शंख हिन्दू धर्म में शुभ माना जाता है।

रामायण काल के कुछ प्रमुख शंख / Some important conches of Ramayana period –

 रामायण काल में शत्रुघन को भगवान् विष्णु के शंख के अवतार के रूप में देखा जाता है। महाराजा जनक के शंख को पाञ्चजन्य के नाम से जाना जाता है। रावण के शंख का नाम गंगनाभ था। कुम्भकर्ण के शंख का नाम महा शंख था जबकि मेघनाद के शंख का नाम इन्द्र जीत था। विभीषण के शंख का नाम महापाण्डव था।

महाभारत काल के कुछ प्रमुख शंख/ Some important conches of Mahabharata period  –

 महाभारत काल में भगवान् कृष्ण के शंख का नाम पाञ्चजन्य, अर्जुन का शंख देवदत्त, महाराज युधिष्ठिर के शंख का नाम अनन्त विजय, भीम का शंख पौण्ड्र, नकुल का शंख सुघोष सहदेव का शंख मणिपुष्पक था।भीष्म पितामह के शंख का नाम गंगनाभ था। दुर्योधन का शंख विदारक व कर्ण के शंख का नाम हिरण्यगर्भ था।

शंखनाद को आज भी विश्व की महत्त्वपूर्ण पावन ध्वनियों में स्वीकृत किया जाता है इसीलिये विविध धार्मिक अनुष्ठानों में इसका प्रयोग किया जाता है।

वर्तमान भारत के शंख / Shells of present-day India –

वर्तमान भारत के जो शंख हैं उन्हें प्राचीन शंखों की भाँति सिद्धि व क्षमता युक्त नहीं स्वीकार किया जाता। आज के भारत में भी बहुत से शंख पाए जाते हैं जिनमें दक्षिणावर्ती शंख, मोती शंख, लक्ष्मी शंख, विष्णु शंख आदि प्रमुख हैं। वामवर्ती शंख को शुभ नहीं माना जाता।

वर्तमान में ऐरावत, कामधेनु, गणेश, अन्नपूर्णा, मणि पुष्पक और पौण्ड्र शंख देखने को मिलते हैं।

शंख बजाने के लाभ / Benefits of blowing conch –

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में युद्ध में तो नहीं लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से इसका प्रयोग महत्त्वपूर्ण माना जाता है। आध्यात्मिक रूप से इसकी महत्ता स्वीकारने के साथ इसकी  मानसिक व शारीरिक महत्ता भी कम नहीं है।शंख बजाने की क्रिया आध्यात्मिक, मानसिक व शारीरिक लाभ प्रदान करती है। नित्यप्रति शंख बजाने से स्वास्थ्य व जीवन में सुधार व विकास सम्भव है। इसके लाभों को इस प्रकार क्रम दे सकते हैं। –

01 – श्वाँस क्षमता अभिवृद्धि

02 – थायरॉयड व स्वर यन्त्र व्यायाम

03 – तनाव मुक्ति

04 – फेफड़े की क्षमता वृद्धि

05 – गले के विविध रोगों से मुक्ति

06 – मानसिक शान्ति

07 – गुदाशय, मूत्राशय, मूत्रमार्ग क्षमता अभिवृद्धि

08 – डायफ्राम व छाती की मांस पेशियों को मज़बूती

09 – रोग प्रतिरोधक क्षमता अभिवृद्धि

10 – चहरे की झुर्रियों में कमी

11 – ब्लॉकेज खोलने में सहायक

12 – सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि

            शंख बजाइये और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़िए.

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विविध

Anulom Vilom Pranayam

June 2, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम एक ऐसा प्राणायाम है जो खाना खाने के बाद भी किया जा सकता है। यह एक श्वाँस लेने की तकनीकी है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। इससे तनाव कम होता है अवसाद दूर होता है। फेफड़ों को मज़बूती मिलती है हृदय और पाचन तन्त्र भी शसक्त होता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के लाभ –

01 – तनाव और चिन्ता में कमी

02 – हृदय को उत्तम स्वास्थ्य

03 – पाचन तन्त्र की मज़बूती

04 – फेफड़ों का सशक्तीकरण

05 – मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

06 – गुणवत्ता युक्त नींद

07 – त्वचा का स्वास्थ्य

08 – श्वसन सम्बन्धी बीमारियों से निज़ात

09 – सर दर्द और माइग्रेन से राहत

10 – प्रतिरक्षा तन्त्र का सशक्तीकरण ( इम्युनिटी को बढ़ावा)

11 – ऊर्जा स्तर में वृद्धि

अनुलोम विलोम करने की विधि –

1 – आराम से आलथी पालथी मारकर बैठें

2 – रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठें

3 – एक नाक से पूरी श्वाँस लें और दूसरी से छोड़ दें फिर इसके विपरीत क्रिया करें।

4 – गर्मी में बाईं और जाड़ों में दाईं से शुरू करें

5 – मष्तिष्क के दोनों गोलार्ध में स्वास्थय सुधार को महसूस करें। 

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विविध

जीवन क्या है ?/What is life?

May 31, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

जीवन क्या है ?

यह बोलने में जितना सरल है विचार करने और प्रत्युत्तर खोजने में उतना ही जटिल। बहुत सारे प्रश्न इसके जवाब में उठते हैं मस्तिष्क उनके उत्तर सुझाता है कालान्तर में वे पुनः प्रश्न बन जाते हैं और अन्ततः हम उसी स्थल पर पहुँच जाते हैं जहां से चले थे अर्थात मूल प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाता है कि जीवन क्या है ?

जीवन के बारे में चिन्तन करने वाले चिन्तक यह महसूस करते हैं कि इसका कर्म के साथ घनिष्ट सम्बन्ध है और कर्म की अवधारणा पर चिन्तन करते भारतीय चिन्तक, प्रारब्ध के बारे में चिन्तन को विवश होते हैं।आखिर ये कैसा चक्र है हम कोई कार्य क्यों करते हैं ? हमारे किसी कार्य का निमित्त बनने का कारण क्या हमारा प्रारब्ध है या दैवयोग या उस समय विशेष की मनोदशा ये सारे प्रश्न मन को उद्वेलित करते हैं और भारतीय दार्शनिक इन प्रश्नों के उत्तर देते भी हैं जो यथार्थ के काफी करीब लगते हैं  पर उसे सामान्य जन के स्तर पर लाकर समझा पाना दुष्कर है। उद्धव जैसी मनोदशा हो जाती है। सामान्य मानव के मस्तिष्क को उद्वेलित करने वाला प्रश्न फिर ठहाका लगाने लगता है कि आखिर जीवन क्या है ?

एक अनुत्तरित प्रश्न – अनुत्तरित प्रश्नों की श्रृंखला विविध मनीषियों की अनगिनत वीरान रात्रियों की हमसफर रही है बहुत से विचारकों ने जाड़े ,गर्मी और बरसात की अनेक रात्रियो में जागरण कर इन प्रश्नों के जवाब तलाशने के प्रयास किये हैं परिणाम स्वरुप ढेर सारे विश्लेषणात्मक लेख पढ़ने को मिलते हैं इन सब की यात्रा हमें मंजिल की और बढ़ाती है पर मंजिल पर पहुँचा नहीं पाती। इन प्रश्नों की लड़ी का मुख्य प्रश्न हमें फिर चिढ़ाता है – जीवन क्या है ?

ज्ञान की विविध शाखाएं और मूल प्रश्न – सम्पूर्ण मानवों को विज्ञान, वाणिज्य और कला के खाँचों में रखने का प्रयास किया गया और सभी ने विविध विषय वस्तुओं के अध्ययन के साथ, इस मूल प्रश्न के समाधान का प्रयास किया। कुछ विचारकों ने उत्तर न दे पाने के कारण प्रश्न को ही ‘बकवास’ कहना प्रारम्भ किया लेकिन प्रश्न से भाग जाना प्रश्न का हल नहीं हो सकता। यह पलायन वादिता शीघ्र समझ में आ गयी।

जीवन वह कालावधि है जिसमें श्वासों का निरन्तर आवागमन बना रहता है और हम एक ही शरीर धारण करे रहते हैं। – इस आलोक में तलाशने पर लगता है कि क्या जीवन का कोई मन्तव्य और गन्तव्य नहीं है क्या हम अनायास ही जीते हैं और मानव भी पशुवत जीवन के रंगमंच पर मात्र एक कठपुतली है क्या अरबों खरबों जीवों को नचाने वाली ताक़त इसे केवल इस लिए कर रही है कि लीला सम्पन्न की जा सके। क्या इसका आदि अन्त कुछ समझ में आता है क्या इन प्रश्नों के कोई शिरे नहीं हैं।

ज्ञान के महासागर में ज्ञान के मोती तलाश रहे मनीषियों के बीच इस प्रश्न के रूप में बाधा रुपी पर्वत दीर्घकाल तक अविचलित खड़ा रहने वाला है। बहुत सारे गोल गोल उत्तरों में यह साधारण सा लगने वाला प्रश्न मुस्कुराता सा दीख पड़ता है। हमारी कई पीढ़ियां सरल उत्तर तलाशने के क्रम में कालकवलित हो चुकी हैं। दिन रात के चिन्तन का क्रम, जंगल और तंग कोठरियों का सूक्ष्म विवेचन, विविध प्रयोग शालाओं और विविध कार्य शालाओं में सर पर मँडराता यह प्रश्न वह समाधान कब प्रस्तुत कर पायेगा जो सामान्य समझ की परिधि में लाया जा सके।

रँगमञ्च और यह प्रश्न – ‘जीवन क्या है ?’ -इस प्रश्न के उत्तर की तलाश ऋषियों, मनीषियों, देशी विदेशी विज्ञजनों, विविध विश्लेषकों और संस्थाओं ने अपने अपने ढंग से की है साथ ही हमारी फ़िल्में, हमारा रङ्गमञ्च भी इस प्रश्न का माकूल जवाब खोजना चाहता है जीवन को इस क्रम में जिंदगी भी कहा गया। फ़िल्मी गीतों और ग़ज़लकारों ने इस सम्बन्ध में क्या कहा थोड़ा सा दृष्टिपात करते हैं इस ओर –

            “व्हाट इज लाइफ” जॉर्ज हैरिसन की ट्रिपल एल्बम ‘आल थिंग्स मस्ट पास’ का वह गाना है जो इस अंग्रेजी रॉक संगीतकार ने 1970 में दिया। इसने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्ज़र लैण्ड में तहलका मचा दिया और दूसरे एकल के रूप में 1971 के टॉप टेन में शीर्षस्थ स्थान पर रहा। यूनाइटेड किंगडम में यह ‘माय स्वीट लॉर्ड’ के बी साइड के रूप में दिखाई दिया जो 1971 का सबसे अधिक बिकने वाला एकल था।

            गीतों में जीवन दर्शन को दर्शाने से पहले गहन शोध की गई। ‘जीवन क्या है ?’ तलाशते और इसके आसपास विचरण करते कुछ गीतों के बोल इस प्रकार हैं –

01 – जिन्दगी एक सफर है सुहाना

02 – जिन्दगी हर कदम एक नई जंग है

03 – कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना

04 – मुसाफिर हूँ यारो, न घर है न ठिकाना 

05 – आने वाला कल जाने वाला है

06 – जिन्दगी के सफर में बिछड़ जाते हैं जो मुकाम

07 – जैसी करनी वैसी भरनी

08 – आदमी मुसाफिर है आता और जाता है

09 – मंजिलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह

10 – गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है।

इसके अलावा भी इस सम्बन्ध में बहुत कुछ जानने का अविरल क्रम रहा है असल में इस प्रश्न के साथ दर्शन इतना गुत्थमगुत्था है कि जनमानस समझ नहीं पाता कि जीवन क्या है ? किसी ने कितना सुन्दर कहा –

रात अंधेरी, भोर सुहानी, यही ज़माना है

हर चादर में दुःख का ताना, सुख का बाना है

आती साँस को पाना, जाती सांस को खोना है

जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है

दो आँखों में एक से हँसना,एक से रोना है

जीवन क्या है चलता फिरता एक खिलौना है।

अपनी स्मृति के आधार पर किसी विशिष्ट अज्ञात विद्वान् की मुझे प्रिय पंक्तियाँ इस सम्बन्ध में आपके समक्ष परोसने का प्रयास करता हूँ  –

जीवन क्या है कोई न जाने, जो जाने पछताए

माटी फूलों में छिपकर महके और मुस्काये

माटी ही तलवार का लोहा बनकर खून बहाये

एक ही माटी मुझमें तुझमें रूप बदलती जाए

जीवन क्या है कोई न जाने, जो जाने पछताए .

जीवन क्या है ? वास्तव में एक दुष्कर प्रश्नों में से एक है संसार में अनेक जिज्ञासु यह जानना चाहते हैं पर यह प्रश्न आज भी अनुत्तरित है आप क्या सोचते हैं इसके बारे में, ज़िन्दगी की यह तलाश यदि कोई संभावित उत्तर दे तो अवश्य मेरे से साझा कीजियेगा बहुत से विज्ञ जनों तक पहुंचेगा। तब इसे इन पँक्तियों के प्रश्नों की तरह अनुत्तरित माना जाएगा।

ताल मिले नदी के जल में

नदी मिले सागर में

सागर मिले कौन से जल में कोई जाने ना

सूरज को धरती तरसे, धरती को चन्द्रमा

पानी में सीप जैसी प्यासी हर आत्मा,

ओ मितवा रे

बूँद छिपी किस बादल में, कोई जाने ना 

आशा ही नहीं विश्वास है कि इस प्रश्न का सम्भावित उत्तर आपके द्वारा मुझसे साझा किया जाएगा।

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विविध

मधु मक्खी / Honey bee

May 19, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

मधुमक्खी

हमारे जीवन के लिए बहुत से कारक जिम्मेदार हैं जो जीवन में मधुरस घोल जाते है विविध क्रियाएं, जैव विविधता, जीवन चक्र, समुद्र, पृथ्वी, आकाश सभी अपनी भूमिका का स्वतः स्फूर्त ढंग से निर्वहन करते हैं हमारे भोज्य पदार्थ, फल, मसाले, निर्मल जल, निर्मल वायु सभी की अपनी अपनी भूमिका है लेकिन बहुत कुछ इस उत्पादन में परागण की भूमिका है जो विविध जीवों द्वारा निर्वाहित की जाती है और पुष्पन पल्लवन के क्रम को निरन्तरता मिलती रहती है मोम और शहद देने के साथ इस परागण में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत करती है – मधुमक्खी

विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) –

परागण में मधु मक्खी की भूमिका और इसके महत्त्व को ध्यान में रखते हुए इनकी रक्षा व तत्सम्बन्धी जागरूकता आवश्यक है। 2017 स्लोवेनिया के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने इसे प्रारम्भ किया और पहला विश्व मधुमक्खी दिवस (World Bee Day) 20 मई  2018 को मनाया गया। दुनियाँ भर में इसकी 20,000 से भी अधिक प्रजातियाँ हैं और यह समग्र धरातल पर वितरित हैं इनमें से 4000 प्रजातियाँ तो मूल रूप से अमेरिका की हैं। आज इस दिवस की उपादेयता मानव के लिए इसलिए भी अधिक है क्यों कि मधु मक्खी फसल परागण के एक तिहाई के लिए जिम्मेदार है। इतनी सारी प्रजातियों में सबसे उल्लेखनीय शहद की मक्खी है।

मधुमक्खी का छत्ता / Bee hive –

आपने विविध दरारों में, पेड़ों पर, दीवारों, छतों व बड़ी बड़ी पानी की टंकियों से लटके इनके छत्तों के दर्शन किये होंगे। इनको एक साथ स्थानान्तरित होते हुए भी देखा होगा। मधुमक्खी के छत्ते में मुख्यतः तीन तरह की मक्खियाँ रहती हैं  रानी मधु मक्खी, श्रमिक मधु मक्खियाँ और नर मधु मक्खियाँ। रानी मधु मक्खी पूरे छत्ते में एक ही होती है इसी से कालोनी बनती है और यही अण्डे देती है। श्रमिक मधुमक्खियाँ शहद बनाना, लार्वा पालना, छत्ता बनाने का कार्य करती हैं इनमें प्रजनन क्षमता नहीं होती हैं। नर मधुमक्खियाँ रानी मक्खी के साथ वंश वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। नर मधु मक्खी को बड़ी बड़ी आँखों से और रानी मक्खी को लम्बे उदर की वजह से पहचाना जा सकता है। मधु मक्खी की पॉंच आँखे होती हैं जिनमें से दो बड़ी आँखे सिर के दोनों और होती हैं जिन्हें मिश्रित आँखें और शेष तीन सरल आँखें ओसेली आँखें कहलाती हैं। मिश्रित आँखें दृश्य को व्यापकता प्रदान करती हैं। इनकी आँखों में लगभग 6000 लेंस होते हैं।

मधुमक्खियों की महत्ता / Importance of bees –

इनकी महत्ता इन पर आधारित उत्पादन के माध्यम से देखी जा सकती है और यह उत्पादन मुख्यतः तीन कार्यों पर निर्भर है।

01 – परागण क्रिया

02 – मोम निर्माण प्रक्रिया

03 – शहद निर्माण – शहद का भारतीय परिप्रेक्ष्य में इतना अधिक महत्त्व स्वीकारा गया कि इसे प्रकृति का अमृत या स्वर्ण अमृत नाम से भी पुकारा गया।

अब तक की सारी विवेचना से यह स्पष्ट है कि मनुष्य व मधु मक्खी परस्पर एक दूसरे के महत्त्वपूर्ण साथी है इनके कीटनाशकों से बचाव की आवश्यकता के साथ मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इनका संरक्षण परोक्ष रूप में हमारी प्रगति में सहायक होगा। आप सभी को मधुमक्खी दिवस की शुभ कामनाएं। यह मधु मक्खी संरक्षण प्रत्येक स्तर पर पाठ्य क्रम का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए।

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