मन प्रीत छोटे भाईयों के नाम करता हूँ

मैं हूँ बड़ा बस इसलिए आराम करता हूँ

तुम्हारा रुक कर पढ़ना वो याद है मुझे

उन विगत अग्रजों को राम राम करता हूँ ।1

याद गली मुहल्लों को बारम्बार करता हूँ

जिन वृक्षों ने खिलाया, धन्यवाद करता हूँ

तुम्हारी हर शरारत अब भी याद है मुझे

लोगों के प्रेम जज्बे को सलाम करता हूँ ।2

हर बात पर हास्य, कला याद करता हूँ

बन्द आँखकर ईश से फरियाद करता हूँ

वो अमरुद,आम,जामुन सब याद हैं मुझे

खट्टी मीठी उन यादों में हर वक़्त रमता हूँ ।3

मनस बरसाती स्नान से सानन्द भरता हूँ  

मौसमी बदलावों पर बस, आह भरता हूँ

नाव की हर सवारी अब भी याद है मुझे

त्यौहारी उन रंगों को आँखों में भरता हूँ ।4 

होती आँख नम तुम्हें जब आज लखता हूँ

जिम्मेदारी व दुश्वारियों से आज थकता हूँ

वो जिंदादिली के किस्से सभी याद हैं मुझे

दायित्व डूबे खून में आँसूओं से लिखता हूँ ।5

बेकली बेबसी में अब दिनरात फँसता हूँ

तुम्हारी बात याद कर जब तब हँसता हूँ

माँ पितृ युगल डाँटें अब भी याद हैं मुझे

क्या करूँ दिन में कई कई बार मरता हूँ ।6

मन प्रीत छोटे भाईयों के नाम करता हूँ

मैं हूँ बड़ा बस इसलिए आराम करता हूँ …….    

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