व्यक्तित्व विकास 

व्यक्तित्व विकास में मानव का सम्पूर्ण परिकलन छिपा है यह एक दिन में नहीं गढ़ा जा सकता। मानव व्यक्तित्व परिमार्जन उसकी निरन्तर विकास यात्रा का परिणाम है। स्वभाव की चन्द विमाएँ न तो इसका प्रतिनिधित्व कर सकती हैं न स्वयं का आकलन सर्वश्रेष्ठ निर्णय हो सकता है । दुनिया दीर्घकाल में आपको बार बार परख कर आपके व्यक्तित्व पर दृढ विश्वास जमाती है। व्यक्तित्व को दिशा देने वाली पिताश्री के मुख से सुनीं चन्द पंक्तियाँ जेहन में आ रही हैं, जो याद आता है आपकी झोली में रखता हूँ –

 आदमी वह है जो मुसीबत में परेशान न हो

कोई मुश्किल नहीं ऐसी है जो आसान न हो

यह है दुनियाँ यहाँ दिन ढलते ही शाम आती है

सुबह हर रोज लेकर नया पैगाम आती है

यह हमेशा से है इस दौर औ दुनियाँ का चलन

चाँद सूरज को भी लग जाता है इक रोज ग्रहण

जानी बूझी हुई बातों से अनजान न हो

आदमी वह है जो मुसीबत में परेशान न हो .

आज जो कहने जा रहा हूँ, वह बहुत सामान्य है और आपको लगेगा कि आपको पता था यह थोड़ा सा परिवर्तन जीवन का परिवर्तक बिन्दु भी हो सकता है हम सँवर सकते हैं बात किताबी नहीं है बल्कि अनुभव के खजाने के कुछ विचार हैं मुझे लगता है ये व्यक्तित्व को सही आयाम देने में अवश्य सक्षम होंगे .

व्यक्तित्व विकास के आठ उपाय  / Eight tips of personality development –

1 – स्वयम् से प्यार / Love yourself

2 – परिधान /Apparel

3 – सद् सङ्गति / Good fellowship

4 – धैर्य व जोश का समागम / Patience and passion

5 – अद्यतन जानकारी / updated information

6 – सम्प्रेषण कौशल / communication skills

7 – मुस्कराहट का सम्यक प्रयोग / use of smile

8 – व्यापक दृष्टिकोण अभ्युदय / Comprehensive outlook

1 – स्वयम् से प्यार / Love yourself –

सृष्टि ने मानव शरीर के रूप में अद्भुत देन हमें दी है साथ दिया है विचार विश्लेषण में सक्षम मानस। हम विचार सकते हैं कि यह शरीर वह आलम्ब है जो जीवन पर्यन्त कर्म करेगा। अतः इसको व्यवस्थित रखना हमारा परम दायित्व है प्राणायाम, व्यायाम, योगासन, मालिश आदि के द्वारा इसे दीर्घ काल तक सक्षम, सुडौल, सुन्दर, आकर्षक रखा जा सकता है तो फिर क्यों न हम इश्वर प्रदत्त का सर्वोत्तम उपयोग उक्त रूप में करें। स्वयम् से प्यार के प्रतिफल में  चुस्ती, फुर्ती, सक्षमता, के रूप में आकर्षक व्यक्तित्व आपको प्राप्त होगा।

2 – परिधान /Apparel –

अपनी विकास यात्रा के प्रारम्भिक काल में परिधान की आवश्यकता व शक्ति को हमने पहचान लिया था इसीलिये पेड़ की पत्तियाँ, छालें, विभिन्न पशु चर्म के उपयोग से आगे बढ़कर आज के आकर्षक परिधानों तक की यात्रा हमने पूर्ण की है। आज विभिन्न आकार, प्रकार, का आकर्षक रंगों में परिधान उपलब्ध हैं। हमें अपनी कद, काठी, मर्यादा, क्षमता, समय  ध्यान में रखकर अपने अनुरूप चरण से शीर्ष तक परिधान चयनित करने चाहिए। सही चयन आपके व्यक्तित्व को और आकर्षक बना देगा।

3 – सद् सङ्गति / Good fellowship –

यह बहुत बड़े आयाम को अपने अन्दर समेटे है और इसीलिये यह हमें अंदर  बाहर दोनों परिक्षेत्रों में सुदर्शनीय स्थिति में लाती है यह सङ्गति अच्छे आवश्यक साहित्य, अच्छे विचार, सार्थक व्यक्तित्वों, दिशा बोधक वर्तमान व पुरातन प्रेरक प्रसंगों की भी हो सकती है। हमारे यहां के चित्र उपस्थिति सामग्री सभी हमारे व्यक्तित्व पर प्रभाव डालते हैं इसलिए बहुत सावधानी पूर्वक जिन्दगी बितानी चाहिए। याद रखें सद् सङ्गति प्रवृत्तियों को संयमित रखती है और हमारे आचरण व चरित्र का उच्चीकरण करती है और इसी पुनीत भाव से जुडी कुछ पंक्तियाँ आभार सहित प्रस्तुत करता हूँ किसी विशिष्ट व्यक्तित्व की –

श्वाँस खींचने से पूर्व ठीक से विचार लो, कि;

श्वाँस धारने की कौन नीति होनी चाहिए,

मान या गुमान, अभिमान का विधान हो या;

कर्म में मनुष्यता प्रतीत होनी चाहिए,

काँच के खिलौने  सी छुई मुई जिन्दगानी,

बड़ी सावधानी से व्यतीत होनी चाहिए,

और;भूल करना तो स्वभाव है मनुष्य का

पर मूल में तो भावना पुनीत होनी चाहिए।

उक्त सब कुछ सम्भव होगा यदि हम सद् सङ्गति में होंगे।

4 – धैर्य व जोश का समागम / Patience and passion –

याद रखें हमारे दो प्रमुख शत्रु आलस्य और अधैर्य हमें चतुरता पूर्वक गिरफ्त में ले लेते हैं और अच्छा खासा व्यक्तित्व बेचारे की श्रेणी में जा कर खड़ा हो जाता है। होश के साथ जोश हो तो सोने पर सुहागा है। वरना यही कहोगे की वो तो अभागा है। असल में धैर्य वह आलम्ब है जो हमको यथोचित व्यवहार सिखाता है और हम सफलता की सीढ़ियां अपने सही निर्णय के आधार पर चढ़ते जाते हैं। याद रखें धैर्य व जोश का समागम  वह कार्य करा जाता है जिसका अनुकरण करने को दुनिया विवेश होती है।आभार सहित लेता हूँ  पँक्तियाँ जिनमें क्या खूब कहा गया है। –

है वही सूरमा इस जग में जो अपनी राह बताता है,

कोई चलता पद-चिन्हों पर, कोई पद-चिन्ह बनाता है।

मुझे लगता है की यदि  व्यक्तित्व गढ़ना है तो पद चिन्ह बनाने की अपनी सक्षमता सिद्ध करनी ही होगी।

5 – अद्यतन जानकारी / updated information-

समय के साथ चलते हुए यदि उससे आगे निकलना है तो अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी पड़ेगी। इसलिए यह परम आवश्यक है की हम अपनी जानकारी के स्तर को अद्यतन रखें। प्रत्येक समस्या  समाधान में हमारा प्रयास समाधान की ओर ले जाने वाला होना चाहिए उलझाने और लटकाने वाला नहीं। विचार विनिमय, प्रभावशाली विश्लेषण तभी सम्भव होगा जब उसकी अद्यतन जानकारी हमारे पास होगी और तभी हम अपनी या अपने व्यक्तित्व की कोइ छाप छोड़ सकेंगे। त्वरित समस्या को यदि त्वरित समाधान मिल जाए तो समस्या विकराल होने से बच जाती है और यह त्वरित संज्ञान और निदान क्षमता पर निर्भर करती है। अतः अद्यतन जानकारी परम आवश्यक है।

6 – सम्प्रेषण कौशल / Communication skills

    यहाँ  यह समझना नितान्त आवश्यक है कि सम्प्रेषण बोलकर और लिख कर दोनों तरीके से किया जाता है और यह प्रभावी तब होता है जब यह उस भाषा में हो, जिस तक पहुँचाना है। जिस तरह संस्कृत निष्ठ बाल्मीकि रामायण का जब बाबा तुलसी ने सरल भाषा में प्रस्तुतीकरण किया तो यह सहज सम्प्रेषणीय बन गयी।

जब बुद्ध जी से पुछा गया की ज्ञान किस भाषा में सम्प्रेषित हो तब उनका जवाब था जिस भाषा में समझ में आये।

    सम्प्रेषण की कला जादू सा प्रभाव रखती है और इसमें निपुण जादुई व्यक्तित्व वाला स्वीकार किया जाता है। इन शब्दों और कहने के अन्दाज से बहुत बड़ी जान संख्या को प्रभावित किया जा सकता है। शास्त्री जी, इन्दिरा जी, विनोबाजी, विवेका नन्द जी और वर्तमान में मोदीजी इसी श्रेणी में हैं। एक ही कथा अलग अलग श्री  अलग अलग प्रभाव छोड़ती है। इसीलिये कहा जाता है सफल वक्ता सफल व्यक्तित्व। मेरा कहना हे कि –

प्रेम और सद्भाव का झरना, तब झर-झर बहता जाता,

यदि तथ्य निरूपण में हमको सम्प्रेषण कौशल आता।

7 – मुस्कुराहट का सम्यक प्रयोग / Use of smile –

     मुस्कराहट कई प्रश्नों का जवाब है, इससे कई चिन्ताओं को हवा में उड़ाने की ताक़त मिलती है यदि आपके पास बच्चों सी निस्वार्थ मुस्कान है तो समझिए आप सौभाग्यशाली हैं। मुस्कराहट इसलिए नहीं होती कि जिंदगी में खुशियाँ बहुत हैं बल्कि यह इसलिए होती है कि जिन्दगी में हार न मानने का जज्बा अधिक है। किसी ने क्या खूब कहा है कि –

बाँटो मुस्कुराहट इतनी कि

किसी आँख में पानी न हो।

जियो जिन्दगी जिन्दादिली से

जीत कभी बेमानी न हो।

विषम स्थिति में आपकी मुस्कुराहट आपके बहुत से गुणों की अभिव्यक्ति करती हैं याद रखिये रोते हुए उतने समाधान नहीं मिलते जितने सहज मुस्कान के साथ मिलते हैं। आपकी मुस्कराहट आपके व्यक्तित्व में गजब का इजाफा करती है। आपक व्यक्तित्व खुशनुमा व्यक्तित्व कहलाता है। दूरदर्शन पर रामायण के राम और महाभारत के कृष्ण की मुस्कराहट से आप प्रभावित तो हुए ही होंगे जब कि यह अभिनय था। सत्य कितना प्रभावी होगा।

8 – व्यापक दृष्टिकोण अभ्युदय / Comprehensive outlook-

     वह व्यक्तित्व ज्यादा प्रभावी होता है जो जितने बड़े क्षेत्र के उत्थान में योग देता है और जो केवल अपने लिए नहीं जीता। इस संस्कृत श्लोक में कितने सहजता से यह बात कही गयी है –

अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम्

उदारचरितानां तू वसुधैव कुटुम्बकम।

भारतीय दर्शन, अष्टाङ्ग योग इतनी क्षमता रखते हैं की यदि इनका अध्ययन किया जाए तो संकीर्ण दृष्टिकोण विकसित हो ही नहीं सकता। गीताएं, वेद, पुराण इसी क्रम में आते हैं। इसीलिए यथा सम्भव इनका अध्ययन किया जाए।  लोग आपके व्यक्तित्व के कायल हो जाएंगे।

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