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वाह जिन्दगी !

DEPRESSION अवसाद

March 6, 2022 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

अवसाद (Depression)एक स्वनिमन्त्रित मानसिक रोग कहा जाता है और अवसादग्रस्तता अनिद्रा, चिड़चिड़ापन,अनायास गुस्सा, नकारात्मकता गुमसुम रहना, अचानक एकान्त प्रियता, असन्तुलित व्यक्तित्व आदि आदि के रूप में पारिलक्षित होने लगता है। यह अवसाद मानव पर जब भारी पड़ने लगता है तो मानव हारने लगता है। यहाँ प्रस्तुत है अवसाद भगाने के अचूक उपाय, जो अवसाद ग्रस्तता के रूप के अनुसार अपनाए जा सकते हैं। –

1- सुबह जल्दी उठें –

ब्रह्म मुहूर्त में उठना या सूर्योदय से पूर्व उठना अपनी दिनचर्या बना लें और उठते ही अपने ईष्ट को जिन्दगी नया दिन, नया अवसर देने के लिए धन्यवाद कहें। जो लोग विभिन्न मन्त्रोच्चार करते हैं करें लेकिन अपनी भाषा अपनी बोली में ईश्वर के प्रति कृतज्ञता अपने शब्दों में अभिव्यक्त करें। नित्य कर्मों से मुस्कुराते हुए आनन्द के साथ निवृत्त हों। नया सुखद समय प्रतीक्षारत है ,याद रखें –

हर सुबह नव जीत का ख़ास पैगाम लाती है।

सद्पात्र को स्वर्णिम अवसर ये बाँट आती है।।

(2) – शरीर को समय दें –

शरीर प्रकृति प्रदत्त एक विशिष्ट नेमत है यह अद्भुत जादुई शक्ति का निमित्त साधन है शरीर को व्यवस्थित रखने हेतु रक्तसञ्चार व्यवस्थित रखना परमावश्यक है। इस हेतु प्रातः भ्रमण, दौड़, व्यायाम, मालिश, प्राणायाम आदि अपनी क्षमता के अनुसार करें। निःसन्देह प्राणायाम इसमें सर्वोत्तम है। यह अवसर चूक न जाएँ। स्नानादि के उपरान्त अपने दैनिक कार्यों के सम्पादन हेतु खुद को खुशी खुशी तैयार करें। ध्यान दें –

काया प्रकृति प्रदत्त अनुपम उपहार है,

क्या इसके साथ सम्यक में व्यवहार है।

सुसमय ही सचेत हों अन्यथा पछतायेंगे,

क्यों कि स्वस्थ तनमन असली श्रृंगार है।

(3) – सहज सुपाच्य भोजन –

अवसाद भगाने का सूक्ष्म तरीका भोजन में छिपा है, गरिष्ठ भोजन का सेवन न करें, भूख से थोड़ा काम खाएं, ताजा खाने का प्रयास करें। भूख से अधिक न खाएं क्योंकि यदि कुण्डलिनी की समस्त शक्ति पचाने में व्यस्त रहेगी तो उन्नति पथ कब प्रशस्त करेगी। तरल, पोषक, रेशेदार,शरीरानुरूप भोजन शान्त मनोरम वातावरण में करें। याद रखें –

सुपाच्य भोजन हम सब को स्वीकार हो जाए।

अवसाद की कड़ी टूटे और बेड़ा पार हो जाए ।

(4) – मादक पदार्थों का त्याग –

आज विविध प्रकार के मादक पदार्थ उपयोग में लाये जाते हैं नशे का एक बहुत बड़ा तन्त्र विकसित हो गया है अनपढ़ से लेकर पढ़ी लिखी मानवता इसकी गिरफ्त में है इसके दुष्चक्र ने अवसाद को मिटाने में बहुत बड़ी बाधा खड़ी की है तत्काल प्रभाव से इसका परित्याग सुनिश्चित करना होगा। educationaacharya.com पर इस सम्बन्ध में ‘नशा छोड़ देते हैं लोग’ शीर्षक से ऐसी पंक्तियाँ लिखी गई हैं कि आप सोचने पर विवश हो जाएंगे। इसीलिए कहना पड़ता है। –

मादक पदार्थ सच में,

हमारी खिल्ली उड़ाते हैं।

हम गटकते हैं उन्हें,

और वो हमें खा जाते हैं।

(5) – शौक पालें –

अवसाद से बचाव हेतु एक सरल मन्त्र है- व्यस्त रहें, मस्त रहें, स्वस्थ रहें। इसीलिए खाली न बैठें। जो भी अच्छा लगता है यथा समाज सेवा, संगीत, लेखन, बागवानी, अध्ययन, भजन, क्रीड़ा कुछ भी करें। खुलकर जियें। अवसाद की फुरसत ही नहीं मिलेगी।   

(6) – सकारात्मक चिन्तन –

जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है,

मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं।

उक्त पंक्तियों में किसी विद्वान ने समाज को दिशा देने का प्रयास किया है। वास्तव में सकारात्मक चिन्तन हमारे व्यवहार में नई ऊर्जा भर देता है समस्याएं तो राम, कृष्ण के सम्मुख भी आईं पर उनके कृत्य हमारे आदर्श हैं। जो भी महान हुआ है वह सकारात्मक चिन्तन से मानस को आकण्ठ डुबाने वाला मष्तिस्क है। दशरथ माँझी, स्वामी रामदेव, ए पी जे कलाम, सरदार बल्लभ भाई पटेल …आदि का उदाहरण लिया जा सकता है।

(7) – क्रोध करने से बचें –

अवसाद पीड़ित अनायास क्रोध करता है, चिड़चिड़ापन का असर कम होने पर ग्लानि अनुभव करता है इसलिए क्रोध आने पर संयम रखें। 3 मिनट गहरी गहरी श्वांस लें और प्रभावी चिन्तन का प्रयास करें। सोलह कला सम्पूर्ण भगवान् श्री कृष्ण चन्द्र महाराज ने श्रीमद्भगवद्गीता में कहा – 

क्रोधाद्भवति सम्मोहः सम्मोहात्स्मृतिविभ्रमः।

स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति ।।

(8) – भरपूर नींद लें –

अवसाद की औषधियों में भरपूर सुलाने की व्यवस्था रहती है इसी लिये खूब श्रम करें। रात्रि में शयन पूर्व गर्म जल से या मौसमानुकूल जल से स्नान करें। हरी इलायची का सेवन करें। खुद को प्रसन्न रखें। अधिगमार्थी अध्ययनोपरान्त सोने की आदत डालें। इतना सोएं कि स्नायु सबल हो सकें व उठने  पर स्वयम् को तरोताज़ा महसूस कर सकें। याद रखें-

नींद केवल, वह नहीं

जो हमको, सुलाती है,

ये औषधि है, गात की

पुनः नवजीवन लाती है।

            यहाँ केवल आठ सरलतम उपाय दिए गए हैं जिन्हे आसानी से अपनाया जा सकता है और दीर्घकालिक दवाओं की नौबत आने से पूर्व स्वयम् को मज़बूत किया जा सकता है।

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