जीवन में एैसे कर्म का वरण करना चाहिए,

सर्वजन कल्याण हो, वह कर्म करना चाहिए,

अपने लिए अपनों के हित कर्म करते हैं सभी,

विश्व का कल्याण मार्ग प्रशस्त करना चाहिए।

धर्मअर्थ काममोक्ष हित सद्कर्म करना चाहिए।।

पुरुष हैं पुरुषत्व का ही वरण करना चाहिए,

लिङ्ग भेद कारण ना बने कर्म करना चाहिए,

स्वजन के उत्थान हित, तो काम करते हैं सभी,

जगत कल्याणार्थ हमको करम करना चाहिए।

धर्मअर्थ काममोक्ष हित सद्कर्म करना चाहिए।।

रक्त बह चुका बहुत, रस धार बहना चाहिए,

कटुताप्रश्रय है बहुत सदवचन कहना चाहिए,

क्रोध का अवलम्ब ले सर गरम करते हैं सभी,

करुणा रस आधार ले आचरण करना चाहिए।

धर्मअर्थ काममोक्ष हित सद्कर्म करना चाहिए।।

प्रत्येक रोम महन्त हो वह सन्त बनना चाहिए,

घृणा प्रसरण हो नहीं यह धरम बनना चाहिए,

अपने ज़रा से कार्य पर हम गर्व करते हैं सभी,

कर्मफल जिनका जगत उसे नमन करना चाहिए।

धर्मअर्थ काममोक्ष हित सद्कर्म करना चाहिए।।

भ ग व अ न के अर्थ का प्रसार करना चाहिए,

भू गगन वायु अगन नीर पावस रहना चाहिए,

अपने अपने ईश को ले, क्यों झगड़ते हैं सभी,

ईश्वर सभी का एक है, यह मान लेना चाहिए।

धर्मअर्थ काममोक्ष हित सद्कर्म करना चाहिए।।

त्रितापहारिणी शक्ति शिव मनन करना चाहिए,

दैहिक,दैविक,भौतिक ताप हरण करना चाहिए,

अर्थ शिव कल्याण है क्यों अनजान बनते हैं सभी,

सकल जग कल्याण हित ही करम करना चाहिए।

धर्म अर्थ काम मोक्ष हित सद्कर्म करना चाहिए।

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