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शिक्षा

Creativity

March 26, 2025 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

सृजनात्मकता

ज्यों ही हमारी आँख एक नवजात शिशु के रूप में खुलती है हमें विलक्षण जगत के दर्शन होते हैं और बहुत सारे बन्धनों से हम बँधते जाते हैं इस अद्भुत सृष्टि का सृजन करने वाला सृष्टा हमारी ज्ञान परिधि से दूर रहता है और हम उसे ईष्ट या ईश कहते हैं और हम सब ईश अंश है वह पूर्ण है हम उसके अंश मात्र हैं सृजन की सम्पूर्ण शक्ति उस परम पिता में सन्निहित है लेकिन वह सृजन की शक्ति मानव में भी निहित है। जिसे सृजनात्मकता कहते हैं।

सृजनात्मकता  से आशय / Meaning of creativity –

दुनियाँ में विध्वंश और सृजन की शक्तियाँ विद्यमान हैं जिन व्यक्तित्वों को दीर्घ काल तक याद रखा जाता है वे सृजन की शक्ति से संपन्न होते हैं आज विद्यार्थियों को सृजनात्मकता से जोड़ने के लिए यह परमावश्यक है कि उन्हें प्रारम्भ से एक वातावरण प्रदान किया जाए जो नवनिर्माण में सहयोगी हो। सृजनात्मकता से आशय उन शक्तियों से है जो आने वाले कल के लिए नव सिद्धान्त, नव वस्तु, नवोन्मेषी नियम या उस विचार को जन्म देते हैं जो आने वाले कल की प्रगति में सहयोगी हो।ऐसी शक्ति या क्षमता सृजनात्मकता कहलाती है।

सृजनात्मकता सम्बन्धी विविध परिभाषाएं

Various definitions of creativity –

विविध विज्ञ जनों ने अपने विचार स्तर के आधार पर सृजनात्मकता को पारिभाषित करने का प्रयास किया है कुछ प्रसिद्द विचारकों की परिभाषाएं दृष्टव्य हैं।

क्रो एवम् क्रो के अनुसार

“सृजनात्मकता मौलिक परिणामों को व्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है।”

“Creativity is a mental process to express the original outcomes.”

ड्रेवडाहल (Drevdahal) के अनुसार –

“सृजनात्मकता व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह उन वस्तुओं या विचारों का उत्पादन करता है जो अनिवार्य रूप से नए हों और जिन्हे वह व्यक्ति पहले से न जानता हो।”

“Creativity is the capacity of a person to produce composition, products or ideas which are essentially new or novel and previously unknown to the producer.”

Skinner(स्किनर) महोदय के अनुसार

“सृजनात्मक चिन्तन का अर्थ है कि व्यक्ति की भविष्यवाणियां या निष्कर्ष नवीन, मौलिक, अन्वेषणात्मक तथा असाधारण हों। सृजनात्मक चिन्तक वह है जो नए क्षेत्र की खोज करता है, नए निरीक्षण करता है, नई भविष्यवाणियां करता है और नए निष्कर्ष निकालता है।”  

“Creative thinking means that the predictions and or inferences for the individual are new, original, ingenious, unusual. The creative thinker is one who explores new areas and makes new observations, new predictions, new inferences.” 1973 p 529

स्टेन (Sten) महोदय के अनुसार

“जब किसी कार्य का परिणाम नवीन हो, जो किसी समय में समूह द्वारा उपयोगी मान्य हो, वह कार्य सृजनात्मक कहलाता है।”

“When it results in a novel work that is accept as tenable or useful or satisfying by a group at some point in time.”

कॉल एवम् ब्रूस (Colle and Bruce) के अनुसार

“सृजनात्मक एक मौलिक उत्पादन के रूप में मानव मन को ग्रहण करके अभिव्यक्त करने और गुणांकन करने की योग्यता एवम् क्रिया है।”

“Creativity is an ability and activity of man’s mind to group, express and appreciate is the form of an original product.”

सृजनात्मकता के कारक / Factors of creativity –

सृजनात्मक मानव होने के लिए उसमें कुछ तत्वों का समावेशन आवश्यक है जिन्हे कुछ विद्वानों ने आवश्यक सोपानों के रूप में भी वर्णित किया है। मन (Munn)महोदय ने सृजनात्मकता के चार कारकों का वर्णन किया है जो इस प्रकार हैं।

01 – तैयारी (Preparation )

02 – इन्क्यूबेशन Incubation -(समस्या से अलगाव) 

03 – प्रेरणा व सहज बोध (Motivation & Illumination)

04 – जाँच पड़ताल व पुनरावृत्ति (Verification & Revision)

गिलफोर्ड [Guilford, J.P] के अनुसार

इन्होंने भी सृजनात्मकता हेतु चार कारकों को महत्त्वपूर्ण माना, जो इस प्रकार हैं –

01 – वर्तमान परिस्थिति से परे जाने की योग्यता (Ability to go beyond the current situation)

02 – समस्या की पुनर्व्याख्या (Re- explanation of Problem)

03 – सामन्जस्य (Adjustment)

04 – अन्यों के विचारों में परिवर्तन (Changing the thought of others)

सृजनात्मकता का पोषण / Nurturing of creativity –

सृजनात्मकता पर न तो किसी का एकाधिकार है और न यह प्रतिभा सम्पन्न लोगों की चेरी है। यह एक दिन में नहीं आती बल्कि निरन्तर चिंतन का परिणाम है। माता, पिता, अध्यापक, विद्यालय, मोटिवेशनल स्पीकर,पुस्तकें सभी इसमें अपनी भूमिका अभिनीत करते हैं। यह ईश्वर प्रदत्त व अर्जित ऐसा गन है जो स्वभाव का अंग बन जाता है और फिर उसी तरह की आदतों का निर्माण होता है। संस्थानों व अध्यापकों द्वारा निम्न बिन्दुओं के आलोक में सृजनात्मकता का पोषण किया जा सकता है।–

01 -स्वप्रेरकत्व को प्रश्रय / fostering self-motivation

02 – स्वविवेक आधारित उत्तर देने की स्वतन्त्रता / Freedom to answer based on one’s own discretion

03- स्वअभिव्यक्ति के अवसर / Opportunities for self expression

04 – मौलिकता को प्रोत्साहन / Encourage originality

05 – लचीलेपन की ग्राह्यता / Flexibility of acceptance

06 – उचित अवसरों की उपलब्धता / Availability of appropriate opportunities

07 – स्वस्थ आदतों का विकास / Development of healthy habits

08 – स्वयं के आदर्श का प्रस्तुतीकरण / Presentation of self-ideal

09 – मूल्याँकन प्रणाली में सुधार / Improvement in the evaluation system

10 – सामुदायिक सृजनात्मक प्रस्तुतियाँ / Community creative presentations

11 – सृजनात्मक चिन्तन अवरोध से बचाव / Avoiding the blockage of creative thinking

12 – झिझक दूर करना / remove hesitation

13 – उचित वातावरण प्रदान करना / provide appropriate enviro

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