Gandhiji’s three monkeys and today’s human
आज लगभग सर्व स्वीकार्य कथन आपके बीच रखने का मन है वह यह है कि – “अच्छा जहाँ से मिले स्वीकार करना चाहिए।” – चाहे वह विचार हो, सिद्धान्त हो, प्रेरक वाक्य हो, प्रेरक व्यक्तित्व हो, यथार्थ हो, कड़वा लेकिन सच तथ्य हो, आँख खोलने वाला प्रसंग हो, विशिष्ट भेंट हो आदि आदि। इसी क्रम में हमारे श्रद्धेय गांधीजी को चीन के प्रतिनिधि मण्डल से भेंट स्वरुप तीन बन्दरों की आकृति प्राप्त हुई जो जापान के थे और वहाँ की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते थे।
तीनों बन्दरों के नाम व आशय / Names and meanings of the three monkeys –
1 – MIZARU / मिज़ारू – बुरा न देखो का पावन सन्देश देते हुए यह बन्दर अपनी आँखों को बन्द किए हुए है।
2 – KIKAZARU / किकाजारु – ‘बुरा न सुनो’ का सन्देश सम्प्रेषित करने वाला यह बन्दर अपने कान बन्द किए हुए है।
3 – IWAZARU / इवाजारु – ‘बुरा न बोलो’ का महत्त्व पूर्ण सन्देश प्रदान करते हुए यह बन्दर अपना मुख बन्द किये हुए है।
गांधीजी को यह बन्दर अत्याधिक प्रिय थे और अपने सिद्धान्तों के निकट प्रतीत होते थे। अतः उन्होंने इन्हे अपने गुरु स्वरुप मानकर जीवन भर संजों कर रखे। गांधीजी के सत्य अहिंसा और बुराई से दूर रहने के विचारों को उक्त बन्दरों के संदेशों से प्रश्रय मिला।
MIZARU, KIKAZARU, IWAZARU और आज का मानव –
आज सूचनाएं विद्युत् की गति से उड़ रही हैं और सम्पूर्ण विश्व एक वैश्विक परिवार सा महसूस होता है यदि हम शोध, विज्ञान,दर्शन,उच्च शिक्षा, उच्च तकनीकी आदि विशिष्ट ज्ञान से हटकर सामाजिक परिदृश्य सम्बन्धी दृश्य श्रव्य सामग्री व प्रदर्शित चित्र आदि का विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि समाज पतन के गर्त की और जा रहा है जो सन्देश गांधीजी के उक्त तीनों बन्दरों ने दिए उसके विपरीत कार्य कर रहा है और इसमें हमारे हर आयु वर्ग के लाल और ललनाएँ शामिल हैं। तथाकथित बुद्धिजीवी भी बिगड़ते परिदृश्य के जिम्मेदार हैं अकेले शासन व्यवस्था पर दोष मढ़ना तर्क सांगत नहीं है। वह शर्म, हया, गलती का डॉ मानों किताबी बातें हो गई हों यथार्थ नहीं।
यहाँ हम वृहत परिदृश्य पर बात न कर केवल श्रव्य दृश्य सामग्री का विश्लेषण गांधीजी के तीन बन्दरों और आज के परिदृश्य पर कर रहे हैं –
[i] – MIZARU और हम [ii] – KIKAZARU और हम [iii] – IWAZARU और हमनिष्कर्ष / Conclusion –
यदि आज की मानवीय पीढ़ी स्वयं को संरक्षित करते हुए भविष्य को सचमुच सकारात्मक दिशा देना चाहती है तो उसे गांधीजी के तीनों बन्दरों का विशिष्ट आचरण धारण करना होगा।