Tulsi will return.

भारत अपने आध्यात्मिक धरातल पर खड़ा है यहाँ जिससे भी हमें कुछ प्राप्त होता है उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना परमावश्यक मानते हैं। इसी क्रम में भारतीय संस्कृति तुलसी को पावन मानती है और इसका वन्दन करती है यह जहाँ हम भारतीयों द्वारा पूजित होती है वहीं भारतीय इसके आध्यात्मिक महत्त्व व औषधीय गुणों से भी परिचित हैं। इसे दन्त रोग, खाँसी, जुकाम, सर्दी,श्वाँस सम्बन्धी रोग व आन्तरिक ऊर्जा वृद्धि हेतु उपयोगी माना जाता है।

तुलसी की विविध प्रजातियाँ / Various varieties of basil – हमारे यहाँ मुख्य रूप से रामा तुलसी और श्यामा तुलसी को लोग अच्छी तरह जानते हैं, रामा तुलसी को ही श्री तुलसी भी कहा जाता है इसकी पत्तियां हरी होती हैं जबकि श्यामा तुलसी की पत्तियाँ श्याम वर्ण की जिसमें बैंगनी रंग की आभा दीखती है। वास्तव में ये दोनों ही ऑसीमम सैक्टम के अन्तर्गत आती हैं इसे भारत में पावस स्वीकारते हैं। कुछ सामान्य प्रजातियों को इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है –

01 – ऑसीमम ग्रेटिसिकम ( वन तुलसी या अरण्य तुलसी )

02 – ऑसीमम अमेरिकम ( काली तुलसी )

03 – ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम ( कपूर तुलसी)

04 – ऑसीमम वैसिलिकम (मरुआ तुलसी)

05 – ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम

06 – ऑसीमम विरिडी

07 – ऑसीमम सैक्टम  

विकीपीडिया के अनुसार –

ऑसीमम सैक्टम  एक द्विबीजपत्रीय तथा शाकीय औषधीय पौधा है। तुलसी का पौधा हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आँगन या दरवाजे पर या बाग़ में लगाते हैं।

तुलसी का महत्त्व या लाभ / Importance or benefits of Tulsi –

कुछ वनस्पतियाँ ऐसी हैं जिनका वर्णन प्रकृति की अनूठी क्षमता व ममता को व्ययाख्यायित करता मालूम होता है। ऐसी ही दिव्य कीर्ति से युक्त है तुलसी।

इससे मानव को मिलने वाले कुछ लाभों को यहाँ एक ख़ास क्रम में वर्णित करने का प्रयास कर रहा हूँ  –

01 – रोग प्रति रोधक क्षमता वृद्धि / Increases immunity

02 – चोट लगने पर / In case of injury

03 – जलन से निजात हेतु / For relief from irritation

04 – तनाव में कमी हेतु / For reduction in stress

05 – सर्दी जुकाम में / In case of cold and cough

06 – बुखार हेतु / For fever

07 – ध्यान संकेन्द्रण में /For meditation concentration

08 – चरणामृत या प्रसाद हेतु / For charanamrit or prasad

09 – ऊर्जा हेतु हर्बल चाय हेतु / For herbal tea for energy

10 – मोबाइल विकिरण रोकथाम / Mobile radiation prevention

11 – एलोपैथी, यूनानी, होम्योपैथी में विविध औषधि निर्माण /   

         Manufacture of various medicines in Allopathy, Unani and Homeopathy –

12 – मृत्यु के समय / At the time of death

            असल में तुलसी में खनिज और विटामिन की प्रचुर मात्रा है इसमें कैल्शियम, जिंक, विटामिन C , क्लोरोफिल और आयरन मिलता है इसके अतिरिक्त इसमें सिट्रिक एसिड, टारटरिक व मैलिक एसिड भी मिलता है। जो विविध रोगों के निवारण हेतु उपयोगी है।

स्थापन स्थल / Installation site –

सामान्यतः यह घर के आँगन में विराजित होता था लेकिन आजकल घरों का स्वरुप बदलने से इसे बालकनी या उसकी खिड़की पर भी लगाया जा सकता है घर के दरवाजे पर भी इसे लगाते हैं। इसे पर्याप्त धुप हवा मिले इसलिए इसे पूर्वाभिमुख करना अच्छा रहता है। इसे नियमित जल व स्वच्छता की आवश्यकता होती है इसे दक्षिण दिशा, अँधेरे स्थल या बेसमेन्ट में नहीं लगाना चाहिए। जहाँ इसे पूर्व में शुभ मानते हैं वहीं ईशान कोण भी स्थापन हेतु शुभ है उत्तर दिशा इस हेतु धन व समृद्धि की दिशा के रूप में स्वीकारी जाती है। इसे एक या विषम संख्यात्मक मान में लगाएं।

उपहार स्वरुप प्रदत्तीकरण / presentation as a gift –

इसको दूसरों को लगाने हेतु देना भी शुभ लक्षण है। रविवार और एकादशी को इसे देना उचित नहीं माना जाता। घर की तुलसी नहीं देनी चाहिए नया पौधा सम्यक व्यक्ति को देना उचित माना जाता है। आपके द्वारा किसी को तुलसी देना उसके प्रति आपके सम्मान व स्नेह का सूचक है। यह ऊर्जा का वाहक है और लेने वाले के यहॉँ समृद्धि लाता है।

सीमित समय में अति विशिष्ट तुलसी चर्चा दुष्कर है फिर भी यह कहना समीचीन होगा कि भगवान् विष्णु को प्रिय यह पौधा माँ लक्ष्मी का ही एक स्वरुप है जिस घर में यह हरा भरा रहता है यह उनके सौभाग्य व समृद्धि का सूचक है। माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहे अतः सही स्थल पर सम्यक रूप से अपने यहां इसका स्थापन कर लाभ उठायें। यदि आप सम्यक रूप से गमले में इसे लगाएंगे व इनका यथेष्ट ध्यान रखेंगे तो तुलसी लौट आएंगी।

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