(वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समय से कदम ताल करता धार्मिक अनुष्ठान)
चित्रगुप्त पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह पर्व मुख्य रूप से कायस्थ समाज द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में चित्रगुप्त पूजा 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को मनाई जाएगी। यह तिथि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वित्तीया तिथि के दिन आती है। इस वर्ष दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक है सामान्यतः समय के स्थान पर दिन में सूर्योदय के बाद सभी समय शुभ माना जाता है। इस दिन लोग भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा कर अपने कर्मों के प्रति सजग रहने और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
चित्रगुप्त पूजा क्यों ?
पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार, चित्रगुप्त को यमराज के सचिव के रूप में जाना जाता है। वे प्रत्येक मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। मृत्यु के बाद इसी आधार पर व्यक्ति को स्वर्ग या नरक प्राप्त होता है। माना जाता है कि चित्रगुप्त जी कलम और दवात के प्रतीक हैं, इसलिए इस दिन लेखनी की पूजा भी की जाती है। छात्र, व्यापारी और नौकरीपेशा लोग नए खाते-बही की शुरुआत करते हैं। आजकल विविध विद्वत समाज इस दिन अपने कम्प्यूटर, लैपटॉप, कार्य में प्रयुक्त अन्य संसाधन यथा मोबाइल या अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान, डायरी, समय सारिणी और इस वर्ष निर्धारित ध्येय को लिखकर पूर्ण करने हेतु चित्रगुप्तजी के समक्ष रखकर पूर्ण श्रद्धा से पूर्ण करने की शपथ लेते हैं और अपने को कार्य सिद्धि के अनुरूप बनाने का प्रयास करते हैं। आज आत्मबल को अध्यात्म का विशिष्ट सम्बल प्राप्त होता है। आगामी क्रियान्वयन की सम्पूर्ण रूप रेखा के साक्षी भगवान् चित्र गुप्त व साधक स्वयं होता है। इसे अद्यतन पूजन में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। इसी कारण समय से कदमताल करते हुए अभीष्ट लक्ष्य प्राप्ति सुगम हो जाती है आडम्बर से मुक्त यह संकल्प को दृढ करने का बविषिष्ट अवसर है।
पूजा का महत्व और विधि
इस दिन परिवारजन मिलकर घर में चित्रगुप्त जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करते हैं। कलम, दवात, कागज तथा लेखा-बही को साफ करके पूजा की जाती है। फिर प्रसाद चढ़ाया जाता है और सब लोग धर्म परायणता और ईमानदारी से कर्म करने की प्रतिज्ञा लेते हैं। प्रसाद का सेवन करते हुए भी अपने संकल्प को अधिक दृढ़ बनाने हेतु तत्परता व यथार्थ आधारित निर्णय को मनो मष्तिष्क में स्थापित करते हैं। ज्ञान के महत्त्व को सभी के द्वारा पूर्ण मनोयोग से स्वीकारा जाता है। यथार्थ आधारित कार्य योजना का निर्माण, अवलम्बन व व्यावहारिक उपयोग आज से ही शुरू किया जाता है जीवन के विविध क्षेत्रों में प्रगति हेतु अपने मंतव्यों और गंतव्यों को क्रिस्टल क्लियर मानस में स्थापित किया जाता है।
अधो वर्णित क्रियाओं व संकल्पों की वजह से इस पूजन का महत्त्व आधुनिक काल में सर्व स्वीकार्य बन जाता है –
01- कलम, दवात, कागज़ जैसे परम्परागत साधन के साथ प्रगति सहयोगी लैपटॉप अद्यतन लेखन साधन, इलेक्ट्रॉनिक संसाधन बोर्ड आदि को श्रद्धा के दायरे में लाना।
02 – अपने साथ, अपने परिवार व समाज को इस आध्यात्मिक धार्मिक अनुष्ठान में शामिल करना।
03 – पूजन में सभी वैचारिक साम्य वाले लोगों का यथा योग्य आगमन स्वीकार्य।
04 – निकृष्टतम विचार व लोगों से दूरी व ध्येय के प्रति पूर्ण समर्पण भाव।
05 – विगत अनुभवों के आधार पर भविष्य में प्रगति के विविध सोपानों पर विश्लेषणात्मक अध्ययन व निष्कर्ष।
06 – यथार्थ अवलम्बित कार्य योजना
07 – अध्ययन, अधिगम व नवीन कौशल के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व स्वयं के साथ समायोजन।
08 – अध्यात्म व धार्मिक इस अनूठे आयोजन के समय विगत हारों को मानते हुए प्रगति का दृढ सुनिष्चयीकरण।
09 – सकारात्मकता को स्व व्यक्तित्व का अनिवार्य आवश्यक अंग बनाना।
10 – व्यसनों से दूरी व लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण।
चित्रगुप्त पूजा न केवल आध्यात्मिक, धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह सत्य, न्याय और जिम्मेदारी का प्रतीक भी है। इस दिन लोग अपने पिछले कर्मों पर विचार करते हैं और बेहतर भविष्य के लिए संकल्प लेते हैं।
ऊँ श्री चित्र गुप्ताय नमः।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःख भाग्भवेत।

