Education Aacharya - एजुकेशन आचार्य
  • शिक्षा
  • दर्शन
  • वाह जिन्दगी !
  • शोध
  • काव्य
  • बाल संसार
  • विविध
  • समाज और संस्कृति
  • About
    • About the Author
    • About Education Aacharya
  • Contact

शिक्षा
दर्शन
वाह जिन्दगी !
शोध
काव्य
बाल संसार
विविध
समाज और संस्कृति
About
    About the Author
    About Education Aacharya
Contact
Education Aacharya - एजुकेशन आचार्य
  • शिक्षा
  • दर्शन
  • वाह जिन्दगी !
  • शोध
  • काव्य
  • बाल संसार
  • विविध
  • समाज और संस्कृति
  • About
    • About the Author
    • About Education Aacharya
  • Contact
विविध

शरीर को गर्मी में ठण्डा रखने के उपाय. Tips to keep the body cool in summer.

May 16, 2022 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

गर्मी के दिनों में लोग इस बात से परेशान रहते हैं की वे अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पाते। यदि सम्पूर्ण दिन को गर्मी के लिहाज से तीन भागों में बाँटते हैं प्रातः, दोपहर, शाम तो इसमें बीच वाला भाग अर्थात दोपहर सबसे तपिश भरी होती है। बहुत सारे शरीर इस मौसम से इतने अधिक प्रभावित होते हैं कि उन्हें हमेशा गर्मी महसूस होती है जिससे उनके कार्य में बाधा पड़ती है। यहाँ प्रस्तुत हैं –

गर्मी में कूल कूल रहने के आठ उपाय

Eight ways to stay cool in summer

01 – जल का सेवन (Water intake)

02 – तरल खाद्य पदार्थों का उचित सेवन (Suitable intake of liquid foods)

03 – यथोचित प्राणायाम, योग, व्यायाम (Proper pranayama, yoga, exercises)

04 – फल, सब्जी और सुपाच्य भोजन (Fruits, vegetables and nutritious food)

05 – मसालेदार, अधिक तले भुने, अधिक नमक व कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन नहीं

       (Do not consume spicy, excessive fried, high salt and caffeinated substances)

06 –मौसम के अनुसार वस्त्र (Clothing according to the season)

07 – नींद और स्नान (Sleep and bath)

08 – पैर के तलवे की देखभाल (Foot care)

01 – जल का सेवन (Water intake)-

गर्मी के दिनों में जल का सेवन सोच समझ कर किया जाना चाहिए पानी घूँट घूँट करके पिया जाना चाहिए केवल शौच निवृत्ति से पूर्व आप लगातार पानीपी सकते हैं। यदि  गुन गुना  जल नहीं ले सकते तो फ्रिज का बहुत ठण्डा पानी भी वर्जित है सादा जल या घड़े के जल का सेवन किया जा सकता है इसे आप अपने थर्मस में भरकर कार्य स्थल पर भी ले जा सकते हैं। सुबह सुबह, रात्रि को ताँबे के लोटे में रखे जल का सेवन किया जा सकता है। यह पूरे दिन में प्यास के अनुसार या तीन से चार लीटर लिया जा सकता है।गर्मी में बाहर निकलने से पहले पर्याप्त जल का सेवन करना चाहिए। पानी उंकड़ू बैठ कर पीना मुफीद है खड़े होकर नहीं पीना चाहिए।

02 – तरल खाद्य पदार्थों का उचित सेवन (Suitable intake of liquid foods) –

खाद्य सामग्री के मामले में भारत सचमुच बहुत भाग्य शाली है इसमें जहां विविधता पूर्ण व्यञ्जन उपलब्ध हैं वहीं मौसमानुकूल खाद्य सामग्री की बह भरमार है गर्मी में अधिक जल वाले तत्वों का विकल्प चुना जाना चाहिए जैसे नीबू पानी,नारियल पानी, छाछ, आम का पना, पानी की सेंधा नमक वाली शिकन्जी,जौ के सत्तू का शरबत,विविध दोष रहित जूस, दही की लस्सी आदि इनमें आवश्यकतानुसार पुदीना,प्याज,धनिया सौंफ आदि का प्रयोग किया जा सकता है। कृत्रिम शीतल पेय बोतल बन्द या डिब्बे बन्द बासी तरल पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। घाट की राबड़ी जिसमें जौ का दलिया व छाछ होता है, लिया जा सकता है।

03 – यथोचित प्राणायाम, योग, व्यायाम (Proper pranayama, yoga, exercises) –

प्राणायाम, योग और सूक्ष्म व्यायाम किया जाना चाहिए शीतली, शीतकारी प्राणायाम अधिक उपयोगी है educationaacharya.com पर Tip to Top Exercise दो भागों में पहले दी जा चुकी हैं जो उपयोगी रहेंगी। सुविधा की दृष्टि से इसका लिंक यू ट्यूब (Education Aacharya) के डिस्क्रिप्शन बॉक्स में दे दूँगा।[ https://youtu.be/-Pw39aG5-IQ, https://youtu.be/bl2uqMUk_f8] याद रखें मानसिक शान्ति भी शारीरिक शान्ति में योग देती है।

04 – फल, सब्जी और सुपाच्य भोजन (Fruits, vegetables and nutritious food) –

शारीरिक गर्मी पर नियन्त्रण हेतु भोजन सुपाच्य ही किया जाना चाहिए और भूख से कुछ कम लिया जाना चाहिए रात्रि के भोजन पर सर्वाधिक नियंत्रण की  आवश्यकता है और यह सोने से कम से कम दो घण्टे पहले किया जाना चाहिए। भोजन से पहले आप पानी पी सकते हैं लेकिन भोजन के उपरान्त कम से कम आधा घण्टे जल न पीएं।

05 – मसालेदार, अधिक तले भुने,अधिक नमक व कैफीन युक्त पदार्थों का सेवन नहीं

       (Do not consume spicy, excessive fried, high salt and caffeinated substances) –

       इस प्रकार के पदार्थ शरीर में अनावश्यक गर्मी का कारण बनाते हैं शरीर में पित्त ,एसिड आदि की वृद्धि के साथ वात, पित्त, कफ में असंतुलन पैदा कर विकार का कारण बनते हैं।

06 –मौसम के अनुसार वस्त्र (Clothing according to the season) –

 गर्मियों में हल्के, ढीले वाले सूती वस्त्रों का प्रयोग किया जाना चाहिए।टाइट ,शरीर से चिपके वस्त्र नहीं पहनने से बचना चाहिए। रंगों के चयन में सावधानी रखें हुए हलके रंग प्रयोग में लाएं जाएँ। वस्त्र ऐसे हों जिससे शरीर को आराम मिले पूरी बाँह के वस्त्र पहनें।आवश्यकतानुसार अँगोछा लिया जा सकता है।

07 – नींद और स्नान (Sleep and bath) –

जहाँ सुबह उठकर दैनिक क्रियाओं में स्नान को स्थान मिला हुआ है वहीं निद्रा पूर्व स्नान अच्छी आरामदायक नीं दिलाता  और शरीर की गर्मी पर नियन्त्रण रखता है यदि उस समय स्नान कर सकते तो पैरों को अच्छी तरह धोना अति आवश्यक है। 

08 – पैर के तलवे की देखभाल (Foot care) –

रात्रि में सोने से पहले पैर धोने की बात ऊपर आ चुकी है यह क्रिया शीतल नैसर्गिक जल से हो बर्फ के पानी या फ्रिज के पानी से नहीं। इसके पश्चात अच्छी तरह गोले के असली तेल से तलवों की मसाज अवश्य करें और तलवे के प्रत्येक भाग को अंगुलियों के दवाब का अहसास कराएं आनन्द आएगा। इतनी मसाज करें की तेल सूख जाए।

            यद्यपि गर्मी के प्रकोप के निदान में चिकित्सकीय परामर्श सर्वाधिक आवश्यक है लेकिन इलाज से पहले सावधानी के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता।

Share:
Reading time: 1 min
वाह जिन्दगी !

तनाव मुक्ति (STRESS RELIEF)

March 14, 2022 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

संसार का सर्व श्रेष्ठ प्राणी मनुष्य कहा जाता है लेकिन किसी भी मनुष्य के ऊपर हावी हो सकता है तनाव। इसने अवतारों को भी नहीं बख्शा। भले ही आप उसे लीला कह लें। जिसने इन तनावों का जितनी कुशलता से निवारण किया वह उतना अधिक सफल हुआ। तनावों से बचाने के लिए न तो आपके ऊपर मनोवैज्ञानिक भारी भारी सिद्धान्तों का बोझ डालूँगा और न धर्माचार्यों के चक्र व्यूह में आपको फँसाऊँगा। यह एक असन्तुलन है जिसे सहजता से सन्तुलन की दहलीज पर लाया जा सकता है। तमाम साहित्य और दृश्य श्रव्य सामग्री से जो जवाब नहीं मिल पाया वह लगभग 500 लोगों के विचारों से मुझे प्राप्त हुआ आपके साथ उसी प्रतिक्रिया को बिन्दुवत तनाव मुक्ति के स्वीकृत विचारों के रूप में आपसे साझा करता हूँ। विश्वास रखिये तनाव उड़न छू हो जाएगा।

 तनाव से मुक्ति के उपाय –

आप इनकी सरलता पर मत जाना ये लोगों के विचारों का सार है जिन्हें इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है।

1⇒ प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में जागरण –

सुबह चार बजे उठने से पूरे दिन की दिनचर्या व्यवस्थित हो जाती है याद रखें हमें तनाव प्रबन्धन नहीं करना है प्रबन्धन अच्छी चीजों का किया जाता है तनाव का तो समूल विनाश किया जाना है इसीलिए जब उचित समय पर जागेंगे तो सारे कार्यों को समय मिल सकेगा और तनाव उत्पत्ति के कई कारण दम तोड़ देंगे।

2⇒ शौच स्नानादि क्रिया –

दैनिक क्रियाओं का व्यवस्थित सम्पादन करेंगे मल त्याग से पूर्व पर्याप्त जल का सेवन मौसम के अनुसार करेंगे। मालिश और रगड़ रगड़ कर स्नान की आदत का अनुपालन करेंगे।दन्त धावन के पश्चात आँख पर छपाके लगाते समय मुँह में पानी अवश्य भरा हो। समय प्रबन्धन का विशेष ध्यान रखेंगे। यहीं से खुशनुमा दिन हमारी प्रतीक्षा करेगा। ध्यान रखें इन छोटी छोटी बातों का तनाव मुक्ति से सीधा सम्बन्ध है।

3⇒ चिन्तन – मनन व व्यूह रचना –

आदि शक्तियों और अच्छे अच्छे विचारों का चिन्तन मनन करने के साथ पूरे दिन के कार्यों हेतु व्यवस्थापन की व्यवस्थित रणनीति बनाई जानी चाहिए। किसी तरह का कोई बोझ मन पर नहीं रखना चाहिए। कोई बोझिल विचार लम्बे समय तक जुड़कर तनाव में परिवर्तित होता है इसीलिये उसे प्रारम्भ में ही दरकिनार कर देना चाहिए।

4⇒ आसन, प्राणायाम, व्यायाम –

आसन और व्यायाम तन के तनाव का निदान करता है और प्राणायाम मन को तनाव से बचाता है तन मन इससे तनाव मुक्त व्यवहार का निर्वहन करने का आदी हो जाता है अचेतन मष्तिस्क अपनी सम्पूर्ण शक्ति के साथ मानस में शक्ति संचरण के प्रवाह को बनाये रखता है।

5⇒ ऊर्जा स्तर उन्नयन –

हमारा शरीर एक अत्याधिक उन्नत किस्म का यन्त्र है जो अपने आप अपने को ठीक करने करने की व्यवस्था करता है और तनाव शैथिल्य हेतु दर्द, आँसू, ऐंठन, बेहोशी, उन्माद आदि का प्रगटन करता है और कालान्तर में स्वयं को ठीक कर लेता है। लेकिन लगातार तनाव उत्पादक विचार का चिन्तन इस शरीर को अपूरणीय क्षति पहुँचाता है इसीलिए हमें अपने शरीर के ऊर्जा स्तर को बनाये रखना है और हर वह सकारात्मक कार्य करना है जिससे हम अपने आप को तरोताज़ा महसूस करते हैं फिर चाहे संगीत सुनना हो ,तैरना हो, नृत्य हो, या आपकी अन्य कोई अभिरुचि का क्षेत्र। कुछ नहीं कर सकते तो पूर्ण श्वांस प्रश्वांस ही करें।

6⇒ स्वास्थ्य अनुकूल व्यवहार –

हमारी सम्पूर्ण क्रियांए मर्यादित व शारीरिक क्षमता में अभिवृद्धि करने वाली हों, किसी भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक वस्तु का सेवन न करने की आदत व्यवहार में लाई जानी चाहिए। नशे की चीजों का तत्काल प्रभाव से परित्याग किया जाना चाहिए। स्वस्थ मस्तिष्क से किसी समस्या पर जितना गहन अध्ययन किया जा सकता नशे की हालत में कदापि सम्भव नहीं। स्वास्थय के अनुकूल कृत्यों को व्यवहार में लाने की आदत का परिष्करण किया जाना चाहिए।

7⇒ यथा योग्य निद्रा व जागरण –

किसी भी कार्य का अतिरेक सन्तुलन बिगाड़ने का कार्य करता है इसी लिए यथायोग्य आहार विहार के साथ नींद की उचित मात्रा भी परम आवश्यक है श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण जी ने अपने मुखारबिन्द से कहा –

युक्ताहार विहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु।

युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दुःखहा ।।

अर्थात दुःखों का नाश करने वाला योग तो यथायोग्य आहार विहार करने वाले का, कर्मों में यथायोग्य चेष्टा करने वाले का तथा यथा योग्य सोने और जागने वाले का ही सिद्ध होता है।

और जब दुखों का ही नाश हो जाएगा तो तनाव कहाँ बचेगा।

8⇒ सकारात्मक चिन्तन –

यदि नकारात्मकता हार का कारण है तो सकारात्मकता जीत की। शत प्रतिशत यह मानने की आवश्यकता है नकारात्मकता मष्तिस्क और शरीर की सबसे बड़ी दुश्मन है इससे हृदयाघात  होता है और रोग प्रतरोधक क्षमता पर बुरा असर होता है जो तनाव का प्रमुख कारण है इसीलिये सकारात्मक चिन्तन से जुड़ें। ऐसे साहित्य ,व्यक्ति, विचार का अनुकरण करें जो आपको सकारात्मक प्रेरणा देने में सक्षम हो।कितना सही कहा गया है कि –

“Positive thinking can reduce your stress level, help you feel better about yourself and improve your overall well-being and outlook.”

“सकारात्मक सोच आपके तनाव के स्तर को कम कर सकती है, आपको अपने बारे में बेहतर महसूस करने में मदद करती है और आपके समग्र कल्याण और दृष्टिकोण में सुधार करती है।”

अन्ततः कहा जा सकता है कि अपना तनाव हम स्वयम् दूर कर सकते हैं और दूसरों की मदद भी कर सकते हैं, यहाँ बताये गए तरीकों पर सकारात्मकता के साथ अमल करें बाकी सब शुभ ही होगा। मुस्कुराइए आपके जीवन प्रगति की चाभी आपके हाथ है।

Share:
Reading time: 1 min
शिक्षा

कैन्सर(कर्क रोग) लाइलाज नहीं।

February 3, 2022 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

आज आप हों चाहे मैं, इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि जिन्दगी में भाग दौड़ बढ़ी है इस भाग दौड़ और प्रतिस्पर्धा में हम कब बीमारी की गिरफ्त  जाते हैं पता ही नहीं चलता। नए नए रोग मानव को डरा रहे हैं इसी तरह की एक व्याधि है कैन्सर यानि कर्क रोग।

इसका डर इतना है कि कुछ लोग इसे सञ्चारी व्याधि मानने लगे हैं जब कि ऐसा है नहीं। यह रोगी के साथ खाना खाने, पानी पीने या सोने से नहीं फैलता।

            इससे लड़ने के लिए शारीरिक के साथ मानसिक आत्मबल विशिष्ट भूमिका का निर्वहन करता है इसीलिये डरें नहीं लड़ें। एस 0 डी 0 शर्मा ‘सन्दल’ कहते हैं –

यारब उसी को मंजिले मक़सूद हो नसीब

गिर गिर के राहगीर जो दौरे सफर में है।

            निरन्तर जिन्दादिली से सफर में रहने के लिए आत्म प्रेरित होकर ये उपाय अपनाए जा सकते हैं। याद रखें प्रारम्भिक स्तर पर सचेष्ट हो जाने से 60 % कैन्सर की रोकथाम सम्भव है।

कैंसर की रोकथाम के उपाय –

मानव को जीत के आत्मविश्वास के साथ परिस्थिति से भिड़ने को तैयार रहना चाहिए। गजलकार एस डी शर्मा ने कहा –

दुश्मन नहीं है मौत ही इन्सान की फ़क़त

खुद जिन्दगी के हाथ भी इन्सां भँवर में है।

इस भँवर से बचाने हेतु एक दर्जन उपाय  कैंसर से बचने के यहाँ प्रस्तुत हैं –

1- शराब, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, सिगार, सुपारी, पान मसाला, गुटका आदि किसी भी नशे का सेवन कदापि न करें।  

2- हरी सब्जी, फल, दालें, रेशे वाला व विटामिनयुक्त भोजन ग्रहण करें।  

3- फलों, सब्जियों और ऐसे पदार्थों जो कीटनाशक व खाद्य संरक्षण रसायनों के प्रभाव में हैं अच्छी तरह से धोकर खाने चाहिए। 

4- तलने हेतु उसी तेल का बारम्बार प्रयोग या रिफाइंड का प्रयोग तत्काल प्रभाव से बन्द कर दें।

5- नियमित प्राणायाम, व्यायाम व भ्रमण को दिनचर्या में स्थान दें। आत्म विश्वास से युक्त प्रेरणादायक मुस्कान से खुद को सजाएं।

6- तले, भुने,अधिक चटपटे भोज्य पदार्थों की जगह उबले सादे भोजन को तरजीह दें।  

7- प्रदूषण मुक्त वातावरण में प्रकृति के सानिध्य में रहने का प्रयास करें।

8- त्वचा, जिह्वा, होंठ, पित्ताशय, गुर्दा, मूत्राशय, मुख में किसी तरह का दाग, धब्बा और बार बार होने वाला घाव असामान्य है तुरन्त चिकित्स्कीय परामर्श लें।

9- शरीर में होने वाली गाँठों की जाँच आवश्यक है नज़र अंदाज न करें। सभी गाँठ कैंसर की नहीं होतीं।

10- लगातार किसी भी तरह का रक्त स्राव घातक है तत्सम्बन्धी टैस्ट हेतु तुरन्त कुशल चिकित्सक से सम्पर्क कर समाधान करें।

11- शरीर में होने वाला असामान्य परिवर्तन खतरे का संकेत है चाहे तेजी से वजन का गिरना ही क्यों न हो, निरीक्षित कराया जाना चाहिए। 

12- गेहूँ का जवारा, होम्यो पैथी, आयुर्वैदिक उपचार प्रारम्भिक स्तर पर ही चिकित्सक की देख रेख में लिया जाना चाहिए।

            उक्त उपायों के साथ स्वयं सकारात्मक रूप से प्रेरित रहें। युवराज, सोनाली बेन्द्रे, आयुष्मान खुराना की पत्नी और डाइरेक्टर ताहिरा कश्यप ,संजय दत्त, मनीषा कोइराला, नफीसा अली, लीसा रे आदि ऐसे व्यक्तित्व हैं जो कैंसर को मात देकर जिन्दादिली के हमराह बने। इनके अलावा बहुत से ऐसे आम नाम हैं जिनसे सभी परिचित तो नहीं लेकिन वे आपके आस पास के परिक्षेत्र में हैं  और यथार्थ प्रेरणा स्रोत हैं। आज कैंसर से जीता जा सकता है अन्त में  शीश महल की पंक्तियाँ जेहन में उकरती हैं –

आदमी वो है मुसीबत से परेशां न हो     

कोई मुश्किल नहीं ऐसी के जो आसान न हो।

Share:
Reading time: 1 min
Uncategorized•वाह जिन्दगी !

दीर्घ कालिक युवा ऊर्जा बनाये रखने के उपाय।

May 18, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

दीर्घ कालिक युवा ऊर्जा बनाये रखने के उपाय | Way to keep yourself young for long time

हमें जीवन पर्यन्त क्रियाशील रहने के लिए और शैथिल्य या बुढ़ापे में भी युवाओं जैसी ऊर्जा बनाये रखने हेतु मष्तिस्क की जाग्रत स्थिति बनाये रखने के लिए निम्न बिंदुओं पर कार्य करना होगा।

महत्त्वपूर्ण तथ्य  ( Important Facts )-

(0 1) – मष्तिस्क के वातायन में सकारात्मक विचारों के नवीनतम झोंके आने दें।

(0 2) – मष्तिस्क को आदेश दें कि हमेशा सक्रिय रहना सम्भव है।

(0 3) – हल्का व्यायाम हमारी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए।

(0 4) – प्रतिदिन प्राणायाम अवश्य किया जाना चाहिए।

(0 5) – टहलना एवम् खुश रहना चमत्कारिक प्रभाव देगा।  

(0 6) – सुपाच्य भोजन, फल आदि ग्रहण करके पेट ठीक रखा जाना चाहिए। 

(0 7) – जल की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें।

(0 8) – स्वच्छ वस्त्र ,शुचिता एवं एवम् उत्तम वातावरण में रहें।

(09) – आध्यात्मिक चिन्तन को दिनचर्या का अनिवार्य अंग बनाएं।

(10) – कम बोलें, खुश रहें, खुश रहने दें के सिद्धान्त पर कार्य करें।   

(11) – अपने से कम उम्र के लोगों से मिलें उनके अच्छे विचारों का स्वागत करें।

(12) –  पुरानी अनावश्यक वस्तुओं के मोह से बचें।

(13) – अनावश्यक वस्तु एवम् विचार संग्रह न करें।

(14) –  यथोचित व यथा समय पर्याप्त नींद लें।

                        उक्त तथ्यों से जुड़कर आप अवश्य कह उठेंगे, वाह जिन्दगी।

Share:
Reading time: 1 min

Recent Posts

  • भारतीय युवा वर्ग की विवशता
  • GURU JAMBHESHWAR UNIVERSITY, MURADABAAD
  • APTITUDE
  • स्वतन्त्रता दिवस
  • रक्षा बन्धन

My Facebook Page

https://www.facebook.com/EducationAacharya-2120400304839186/

Archives

  • September 2025
  • August 2025
  • July 2025
  • June 2025
  • May 2025
  • April 2025
  • March 2025
  • February 2025
  • January 2025
  • December 2024
  • November 2024
  • October 2024
  • September 2024
  • August 2024
  • July 2024
  • June 2024
  • May 2024
  • April 2024
  • March 2024
  • February 2024
  • September 2023
  • August 2023
  • July 2023
  • June 2023
  • May 2023
  • April 2023
  • March 2023
  • January 2023
  • December 2022
  • November 2022
  • October 2022
  • September 2022
  • August 2022
  • July 2022
  • June 2022
  • May 2022
  • April 2022
  • March 2022
  • February 2022
  • January 2022
  • December 2021
  • November 2021
  • January 2021
  • November 2020
  • October 2020
  • September 2020
  • August 2020
  • July 2020
  • June 2020
  • May 2020
  • April 2020
  • March 2020
  • February 2020
  • January 2020
  • December 2019
  • November 2019
  • October 2019
  • September 2019
  • August 2019
  • July 2019
  • June 2019
  • May 2019
  • April 2019
  • March 2019
  • February 2019
  • January 2019
  • December 2018
  • November 2018
  • October 2018
  • September 2018
  • August 2018
  • July 2018

Categories

  • Uncategorized
  • काव्य
  • दर्शन
  • बाल संसार
  • मनोविज्ञान
  • वाह जिन्दगी !
  • विविध
  • शिक्षा
  • शोध
  • समाज और संस्कृति
  • सांख्यिकी

© 2017 copyright PREMIUMCODING // All rights reserved
Lavander was made with love by Premiumcoding