अपराजिता
अपराजिता एक लता है यह दो तरह की मिलती है एक पर सफ़ेद और दूसरी पर नीला फूल आता है। अपराजिता नाम हिंदी व बंगाली में लोकप्रिय है वैसे कई हिंदी भाषी क्षेत्रों में इसे कोयल नाम से भी जानते हैं। इसका पत्ता आगे चौड़ा और पीछे सिकुड़ी सी स्थिति में रहता है। काली मंदिरों में इसी लगाना विशेष शुभ समझा जाता है।
अपराजिता की वल्लरी को विष्णु कान्ता, गो कर्णी, कोयल, काजली, अश्व खुरा आदि नामों से भी जाना जाता है। मुख्यतः वर्षा ऋतू में इस पर फूल व फलियाँ आती हैं। आजकल इसे सौन्दर्य वर्धन हेतु विविध वाटिकाओं में लगाया जा रहा है इसके औषधीय गुण भी मानव का बहुत हित करते हैं।इसके बीजों का रंग काला होता है।
अपराजिता के सामान्य गुण –
अपराजिता के पौधे को घर में लगाने से धन समृद्धि में वृद्धि होती है यह वायु शोधक है इसे ईशान कोण में लगाया जाना मङ्गलकारी माना जाता है। यह महाकाल को अत्यन्त प्रिय है इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचरण होता है। इसके फूलों को भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है।
दोनों प्रकार की अपराजिता कण्ठ को पोषण प्रदान करने के साथ मेधा के विकास में महती भूमिका का निर्वहन करती हैं। यह शीतल, नेत्र विकार से बचाव में सक्षम, बुद्धि वर्धक तथा कुष्ठ, सूजन, त्रिदोष व विष के प्रभाव का शमन करती है।
अपराजिता के विविध भागों का उपयोग –
01 – अपराजिता के पत्तों का प्रयोग बालों पर लगाने व चाय के रूप में किया जाता है।
02 – अपराजिता के बीजों को खाया जा सकता है व चाय के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है।
03 – अपराजिता के फूलों से त्वचा को विशेष पोषण मिलता है व इसकी चाय स्फूर्ति प्रदाता है।
अपराजिता के औषधीय लाभ –
इसके लाभ बहुत सारे हैं उनमें से कुछ को यहां देने का प्रयास है जिन्हे बार बार सिद्ध होते देखा गया है।
01 – मानसिक स्वास्थ्य – बीज – एकाग्रता व ध्यान संकेन्द्रण में मदद
02 – हृदय का सशक्तीकरण – कोलस्ट्रॉल नियन्त्रण व नियमित रक्त संचरण
03 – पाचन सहायक – बीज – पेट में जलन व अपच में सहायक, उदरमित्र
04 – प्रतिरोधी क्षमता वृद्धि – बीज – रोग प्रतरोधक क्षमता वृद्धि, सजगता में वृद्धि
05 – त्वचा हेतु – फूल – एण्टी ऑक्सीडेंट से युक्त – चहरे पर चमक – स्वस्थ त्वचा – सूजन में कमी।
06 – केश वृद्धि व केश को झड़ने से बचाने हेतु – पत्ते – केश वृद्धि व झड़ने से रोकने में मददगार।
विविध व्याधियों में प्रयोग –
सिर दर्द – फली का 10 बूँद रस नाक में टपकाने से आराम , जड़ के रस का नस्य सूर्योदय से पहले खाली पेट देने से भी आराम मिलता है।
कुक्कुर खाँसी – जड़ का मिश्री युक्त शर्बत चटाने से लाभ
गर्भ स्थापन – श्वेत अपराजिता की 5 ग्राम छाल या पत्तों को बकरी के दूध में पीसकर व शहद मिश्रित कर देने का जादुई परिणाम देखने को मिला है।
इसकी जड़ 1-1 ग्राम दिन में दो बार बकरी के दूध में पीसकर व शहद मिश्रित कर कुछ दिन देना गिरते गर्भ को रोकने की क्षमता रखता है।
अण्डकोष वृद्धि व सूजन निवारक – इसके बीजों को पीसकर गरम कर लेप करने से सूजन मिटटी है व लाभ होता है।
सुख प्रसव – कमर पर इसकी बेल लपेटने से आराम आता है लेकिन प्रसवोपरान्त इसे तुरंत हटा देना चाहिए।
अपराजिता के नुकसान –
1 – इसका अधिक सेवन एसिडिटी, त्वचा पर रैशेज, एलर्जी, गैस्ट्राइटिस का कारण बन सकता है।
2 – कम हीमोग्लोविन वाले, गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका या इससे बनी चीजों का प्रयोग नहीं करना है।
3 – अपराजिता का अधिक सेवन से शरीर में अतिरिक्त पानी जमा हो सकता है।
4 – अधिक पित्त व रक्त की कमी वाले लोग इसका सेवन न करें।
नोट – योग्य चिकित्सक या विशेषज्ञ के निर्देशानुसार उपयुक्त मात्रा में सेवन करना चाहिए।