ये दुनियाँ है ये रिश्तों को नया आयाम देती है,

जहाँ हम लड़खड़ाते हैं ये बढ़कर थाम लेती है,

पर भारत में हमारे जन, भरोसा तोड़ देते हैं।

गद्दारों को यदि पकड़ें सियासत साथ देती है।

यही बातें,  यही बातें,  एकता तोड़ देती हैं  ।1।

उर्वर है यही धरती ये शिव को जन्म देती है

ये भी इसकी आदत है भस्मासुर को सेती है

ये भस्मासुर देश का विकासपथ तोड़ देते हैं

इन मौकापरस्तों का कुछ कौमें साथ देती हैं   

यही बातें, यही बातें, एकता तोड़ देती हैं।2।

इतने घने कुहासे में राष्ट्रवादिता जन्म लेती है

जननी की ही शक्ति है सीमा को लाल देती है

देश रक्षा हितार्थ लाल प्राण भी छोड़ देते हैं

ये अबकी सियासत है जो उलटा बोल देती है      

यही बातें, यही बातें, एकता तोड़ देती हैं ।3।

जवानी का लालच ऐसा बचपना छीन लेती है

अमीरी का भरम ऐसा, जवानी लील लेती है

कैसे बन्धन हैं दिल के वो सपने मोल देते हैं

कीमत देने के बाद भी भौतिकता तोड़ देती है     

यही बातें, यही बातें, एकता तोड़ देती हैं ।4।

जातीयता, प्रान्तीयता जहर सा घोल देती है

प्रेम के पावन -पथ पर, लावा उड़ेल देती है

लोगों का शगल ये है गलती को हवा देते हैं

हवा बदले है अन्धड़ में,बस्ती उजाड़ देती है       

यही बातें, यही बातें, एकता तोड़ देती हैं ।5।

अस्पृश्यता क्षेत्रीयता बातों को झोल देती है

लिपटी हुई ये बातें कलई सब खोल देती हैं

हमारे ही विविध नेता विष बेल रूप देते हैं

बेलें विषवमन करके तमस सा घोल देती हैं

यही बातें, यही बातें, एकता तोड़ देती हैं ।6।       

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