बाल संसार एक अनोखा ही संसार है,इसमें कहीं कल्पना की उड़ान है ,कहीं मनुहार, कहीं बाल हठ दीख पड़ता है बाल लीलाएं मन मोह लेती हैं। प्रस्तुत शब्दों में ऐसी ही जिद है। हठ कर बैठी बिटिया मेरी, माता से यूँ बोली–

बड़ी हो गयी हूँ मैं मम्मी अब मैं नहीं डरूंगी,

कह देना पापा से मैं अब मञ्जन नहीं करुँगी ,

बिटिया के तेवर देख माँ गोदी लेकर बोली,

क्या हो गया बिटिया तेरी बदल गयी है बोली।

 

किस बात पर मेरी बिटिया इतना गुस्सा हो ली,

घर आते ही बस्ता पटक कर तुम ऐसा क्यों बोली,

तुम्ही बताओ मम्मी, क्या सब मञ्जन करते हैं,

बिन मञ्जन के सभी जानवर कितने खुश रहते हैं।

 

बिल्ली,  कुत्ता, गैय्या, टेडी हम सब साथ रहेंगे,

कह  देना  पापा से अब हम मञ्जन नहीं करेंगे,

इतने में पापा ने जोर से दरवाजा खटकाया ,

पापा के साथ उनका स्कूटर अंदर आया।

 

देखकर नन्ही बिटिया को तब पापा मुस्काये ,

देखो बिटिया रानी तुम्हारे रसगुल्ले हैं आये,

पापा के संग बच्चों के प्यारे डॉक्टर अंकल आये थे,

वो अपने संग थैले में  एक अलबम लाये थे।

 

बिटिया का गुस्सा माँ ने फ़ोन पर बता दिया था ,

इसी लिए पापा ने डॉ 0 साहब को साथ लिया था

डॉक्टर अंकल को साथ  देखकर बिटिया  जल्दी आयी,

डॉक्टर अंकल ने प्यार से  बिटिया को अलबम दिखलाई।

 

नन्हे,  आंसू वाले , चिन्तित  बच्चे  दिए  दिखाई ,

देखकर ऐसे बच्चों को बिटिया चिन्तित हो आयी,

बोली डॉक्टर अंकल से ऐसी आफत क्यों आयी ,

दुःखी दुःखी सारे  बच्चे देते हैं दिखलाई।

 

डॉक्टर बोले इन बच्चों के दाँत में दर्द हुआ था,

क्यूंकि इन  बच्चों  ने  भी  मञ्जन नहीं  किया था,

अब नन्ही बिटिया के सारी बात समझ आयी थी,

जो दर्द, कराहट, आंसू के चित्रों ने समझायी थी।

 

नन्ही बिटिया के मानस पर फोटो तैर रहे थे,

शब्द नहीं समझा पाये फोटो बोल गए थे,

कान पकड़ कर बोली अब मैं गुस्सा नहीं करूंगी ,

कह देना मम्मा, पापा से,  मञ्जन जरूर करूंगी।

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