कर्मपथ समूचा लगन युक्त पथ में,

कभी भी किसी मन न हो उदासी।

कर्मठता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,

जब निष्ठा,लगन में रहेगी कमी सी।

रहेगा हमेशा काल का पाश यूँ ही

भले श्वांस क्रम का यहाँ ओज आए।

मनाओ महोत्सव रहे ध्यान इतना,

माँ का भरोसा कहीं डिग न जाए ।।

हो शैलजा से अमरज्योति जग में,

मगर साथ में ब्रह्मचारिणी बसेरा।

माँ चन्द्रघण्टा यहाँ साथ क्रम के,

कूष्माण्डा से कमल मन खिलेगा।

करेंगे सभी स्कन्दमाता आराधन,

मगर कात्यायनी दिशाबोध लाए।

मनाओ महोत्सव रहे ध्यान इतना,

माँ का भरोसा कहीं डिग न जाए।।

नई भावना से नित नएगीत निर्झर,

उठें सभी कालभैरवी ध्यान कर लें।

जगे धर्म की कुछ महा गूंज ऐसी,

यहाँ की धरा से अधम मार्ग भूले।

गौरी कृपा से ज्ञान पथ मार्ग उर्वर,

अमिय जा न पाए सिद्धिदात्री आए ।

मनाओ महोत्सव रहे ध्यान इतना,

माँ का भरोसा कहीं डिग न जाए।। 

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