जोश दमखम के स्वामी थे हम, बताना चाहिए

बच्चे क्या करें, न पूछें फिर भी, बताना चाहिए,

गुमराह न हों, सत्य से वाकिफ कराना चाहिए।

सफेदी यूँही नहीं आई है, ये भी जताना चाहिए।

सचमुच बुजुर्गों को युवा दिवस मनाना चाहिए।1।

देश की सीमाएं बदलीं कैसे ये सुनाना चाहिए।

पुनः गलती न हो कहीं राह तो दिखाना चाहिए,

कहाँ, क्या चूक हुई खुल करके जताना चाहिए,

उम्र कुछ नहीं संख्या है यह भी बताना चाहिए।

सचमुच बुजुर्गों को युवा दिवस मनाना चाहिए।2।

जवानी के दिशा बोधक किस्से सुनाना चाहिए,

जो गलत है गलत है बुरी शै से बचाना चाहिए,

नशा छोड़कर,आदर्श का पाठ पढ़ाना चाहिए,

गन्दा साहित्य नाश करेगा, भेद बताना चाहिए।

सचमुच बुजुर्गों को युवा दिवस मनाना चाहिए।3।

मूल्य अवरोहण न हो, सत्पथ दिखाना चाहिए,

ग़मों से जूझते कैसे, वह रास्ता बताना चाहिए,

कुछ मानें न मानें मगर, साम्य बैठाना चाहिए,

मगरूर न हों वे, सेहत के राज बताना चाहिए।

सचमुच बुजुर्गों को युवा दिवस मनाना चाहिए।।

जितना सम्भव हो, समय दर्पण दिखाना चाहिए,

मर्यादा सीमा रेखाएं, बे झिझक बताना चाहिए,

अस्तित्वबोध जरूरी है, दॉँवपेच सिखाना चाहिए,

गुर आत्मरक्षार्थ सभी, बेटियों को बताना चाहिए।

सचमुच बुजुर्गों को युवा दिवस मनाना चाहिए।।

ठोकरों से बचें कैसे अनुभव से सिखाना चाहिए,

कार्यनिर्वहन कहकर नहीं करके दिखाना चाहिए,

निज समस्या छोड़, देशहित पाठ पढ़ाना चाहिए,

‘नाथ’ यथा समय विश्वबन्धुत्व राग सुनाना चाहिए।

सचमुच बुजुर्गों को युवा दिवस मनाना चाहिए।।

मुक्तक 

शरीर में लहू लावे की तरह बहता है

इसका वही अन्दाज़ दिखाना चाहिए

सौंप रहे हैं, विरासत जिस पीढ़ी को

संरक्षण संवर्द्धन पाठ पढ़ाना चाहिए। 

Share: