शिक्षा मनोविज्ञान

भारत ऋषियों मुनियों की ज्ञान परम्परा से जुड़ा है। हमारे पूर्वज, ऋषि, मुनि ने आदि काल से आत्म को समझने की कोशिश की, इस नश्वर संसार से उसका क्या सम्बन्ध रहा। इस शोध में बहुत से पड़ाव और तत्व शामिल होते चले गए। क्रमशः अन्तिम सत्य और मानव व्यक्तित्व का अध्ययन करने की विशद आवश्यकता महसूस की गयी। सत्य और अंतिम सत्य की तलाश का कार्य शिक्षा के माध्यम से बखूबी अंजाम दिया गया और मानव व्यक्तित्व का ज्ञान मनोविज्ञान की श्रेणी में आया। भारत में शिक्षा मनोविज्ञान परम सत्य के दार्शनिक सत्य पर अवलम्बित रहा।

मनोविज्ञान को मन का विज्ञान, व्यवहार के विज्ञान आदि नामों से भी जाना गया। व्यावहारिक पक्ष जुड़ने की कारण इसकी आवश्यकता ने नित्य नए आकाश छुए और आज इसका परिक्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। सम्पूर्ण की बात न कर आज हम केवल शिक्षा मनोविज्ञान के सम्बन्ध में विचार करेंगे। प्रसिद्द भारतीय विचारक एस ० के ० मंगल अपनी पुस्तक शिक्षा मनोविज्ञान के पृष्ठ 21 पर लिखते हैं –

शिक्षा मनोविज्ञान व्यावहारिक मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें मनोविज्ञान विषय के नियम, सिद्धान्त एवं क्रिया विधि आदि को शिक्षा के क्षेत्र में काम में लाने का प्रयत्न किया जाता है।”

आंग्ल अनुवाद

“Educational psychology is that branch of practical psychology in which an attempt is made to use the rules, principles and methods of psychology in the field of education.” 

EDUCATIONAL PSYCHOLOGY: Concept & definitions

शैक्षिक मनोविज्ञान: अवधारणा और परिभाषाएँ –

हमारे यहाँ सब कुछ पाश्चात्य ज्ञान से तलाशने की आदत पड़ी और आजादी के बाद भी शासन उसी से प्रभावित रहा इसीलिये भी हम परमुखापेक्षी होते हुए बात की शुरुआत अरस्तु से करते हैं मनोविज्ञान विकास अवधारणा को स्पष्ट करते हुए स्किनर महोदय का मानना है कि –

शिक्षा मनोविज्ञान का आरम्भ अरस्तु के समय से माना जा सकता है। पर शिक्षा मनोविज्ञान के विज्ञान की उत्पत्ति यूरोप में पेस्टोलॉजी, हर्बर्ट, और फ्रोबेल के कार्यों से हुई, जिन्होंने शिक्षा को मनोवैज्ञानिक बनाने का प्रयास किया।” 

“Educational psychology can be traced back to the time of Aristotle. But the science of educational psychology originated in Europe with the work of Pestalozzi, Herbart, and Froebel, Who tried to make education psychological.”

शिक्षा के द्वारा सत्य विवेचित, शोधित, स्थापित होता है और मानव मन उसे निर्दिष्ट करता है विविध अवधारणायें शिक्षा मनोविज्ञान की महती आवश्यकता अनुभूत करते हैं और विविध विज्ञ जन उसे इस तरह पारिभाषित करते हैं।

सीखने सिखाने को बुनियादी आवश्यकता मानते हुए स्किनर महोदय कहते हैं –

शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षण एवम् सीखने से सम्बन्धित है।”

“Educational Psychology is that branch of psychology which deals with teaching and learning.” Skinner, 1958, p.1

कुछ इसी तरह की भावों की अभिव्यक्ति देखी जा सकती है क्रो व क्रो के इन विचारों में –

शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक के सीखने सम्बन्धी अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।”

“Educational Psychology describes and explains the learning experiences of an individual from birth through old age.” – Crow & Crow, 1973, p.7

समाज और शिक्षा को अभिन्न मानते हुए नौल व अन्य कहते हैं –

शिक्षा मनोविज्ञान मुख्य रूप से शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया से परिवर्तित या निर्देशित होने वाले मानव व्यवहार के अध्ययन से सम्बन्धित है।”

“Educational Psychology is concerned primarily with the study of human behaviour as it is changed or directed under the social process of education”

 – Noll & others: Journal of Educational Psychology, 1948, p.361

प्रसिद्द मनोवैज्ञानिक पील महोदय ने संक्षिप्त व सार गर्भित परिभाषा दी है –

शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा का विज्ञान है। “

“Educational Psychology is the science of Education.” – Peel,1956, p.8

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र

Scope of Educational Psychology-

सम्पूर्ण परिवेश नित्यप्रति बदल रहा है यह परिवर्तन प्रकृति का नियम है बदलती हुई इस दुनिया की समस्याएं भी नित्य नया नया आकार ले रही हैं ऐसी स्थिति में इसका निश्चित क्षेत्र परिसीमन सम्भव नहीं है और इसे अपरिमित स्वीकार करना पड़ेगा चूँकि यहाँ हम शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र की बात कर रहे हैं इसलिए कुछ बिन्दु स्पष्टीकरण हेतु अधिगमकर्ता के दृष्टिकोण से रखने का प्रयास है। –

01 – विशेष योग्यता अध्ययन /Special ability study

02 – वंशानुक्रम वातावरण अध्ययन / Heredity, environment study

03 – सीखने सम्बन्धी अनुभव अध्ययन / Learning experience study

04 – मूल प्रवृत्तियों का अध्ययन / Basic instinct study

05 – परिस्थितिगत व्यवहार का अध्ययन / Study of situational behaviour

06 – प्रेरणाओं के प्रभाव का अध्ययन / Study of the effect of motivations

07 – मानसिक, शारीरिक, संवेगात्मक प्रतिक्रियायों का अध्ययन / Study of mental, physical and emotional reactions

08 – तत्सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन / Study of related problems

09 – शिक्षा के अंगो सम्बन्धी अध्ययन / Study related to parts of education

10 – विविध गुण अवगुण अध्ययन / Study of various merits and demerits

उक्त कुछ बिंदु देने का प्रयास अवश्य किया गया है लेकिन इसके अतिरिक्त इससे अधिक बिन्दु इसमें शामिल किये जा सकते हैं जैसा कि डगलस व हॉलेंड के इन विचारों से स्पष्ट है –

शिक्षा मनोविज्ञान की विषय सामग्री शिक्षा की प्रक्रियाओं में भाग लेने वाले व्यक्ति की प्रकृति, मानसिक जीवन और व्यवहार है।”

“The subject matter of Educational Psychology is the nature, mental life and behaviour of the individual undergoing the process of education.” – Douglas & Holland, pp 29-30

इसकी व्यापकता को समझने हेतु स्किनर के ये शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं –

शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में वह सब ज्ञान और विधियां सम्मिलित हैं, जो सीखने की प्रक्रिया से अधिक अच्छी प्रकार समझने और अधिक कुशलता से निर्देशित करने के लिए आवश्यक है। ”

“Educational psychology takes for its province all information and techniques pertinent to a better understanding and a more efficient direction of the learning process.” – Skinner

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