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काव्य

मेरी माटी मेरा देश।

August 9, 2023 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।

क्रान्ति का अनुपम सन्देशा, आकर हमें सुना जा।

है आज जरूरी हम को, तूँ सुन्दर स्वप्न दिखा जा।

सपने अपने करने की,  तूँ कला कोई समझा जा।

पावन भारत, सुन्दर भारत, बस ये तूँ गढ़ता जा।

‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 1 ।।

भारत के हर एक युवक में इच्छा शक्ति जगा जा।

कर्मठता का बीज मन्त्र भी आकर हमें सिखा जा।

तनमन सुन्दर करने का एक सुन्दर भाव जगा जा।

बहुत सोलिया अब तूँ, कुछ उथल पुथल करता जा।

‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 2 ।।

हो बलशाली युवा यहाँ,  सिद्धि मन्त्र सिखला जा।

अन्त निशा का हो जाए, ऐेसा दिन-मान जगा जा।

पूरब सी लाली छा  जाए, ऐसा मार्तण्ड उगा जा।

हो सदा ओज का संरक्षण दिव्य कान्ति को पा जा।   

‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 3 ।।

जो सोता है वो खोता है, मन में सोच जगा जा।

पूर्वज श्रद्धा केन्द्र बनें, वो उन्नत भाव जगा जा।

रख सीने में आग ज्ञान का वो शोला भड़का जा।

शोलों से प्रतिमान नए हर पथ में तूँ गढ़ता जा।  

‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 4 ।।

चलना उठना, उठना गिरना चलन हमें समझा जा।

उठा भाल, संग क्रान्ति ज्वाल, ये सन्देशा फैला जा।

भारत उठता, बढ़ता चढ़ता, युवा शक्ति का राजा।

बनके ज्वार इसी शक्ति का शिखरों तक चढ़ता जा।    

‘मेरी माटी मेरा देश’ ये तुझे पुकारे आजा।। 5 ।।

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काव्य

सेंगोल धारण किया है तुमने …

May 27, 2023 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

सेंगोल धारण किया है तुमने,

मर्यादा का पथ,  वर लेना।

धर्मदण्ड जो चुना है तुमने,

दायित्व का बीड़ा धर लेना ।1।

कठिन डगर है कण्टक पथ है,

दावानल प्रबल है, जल लेना।

तप निकलोगे स्वर्णिम पथ है,

स्वर्णिम पथ पर चल लेना । 2।

यह पथ ही वह कर्त्तव्य पथ है,

इस पथ को तुम वर लेना।

यह संसद वह भव्य मन्दिर है,

सद् प्राण प्रतिष्ठा कर लेना ।3।

भटकाव बहुत भटकन का डर है,

डर से, हिम्मत से, लड़ लेना।

चलना, उठना, बढ़ना, गिरना,

संस्कृति से अपनी तर लेना।4।

आँधी, पानी, बिजली, तूफाँ,

इस सीढ़ी पर तुम चढ़ लेना।

ले विजय पताका बढ़ना है,

सङ्कट इस जग के हर लेना।5।

 इस राष्ट्र का गुरु सङ्कट में है,

मुक्ति का साधन कर लेना।

स्वतन्त्र चिन्तन शक्ति बढ़े,

उस पथ के कण्टक हर लेना।6।

वर्षों का विष वमन गरल है,

बस इसको अमृत कर देना।

गर्दन भी बहुत हैं सिर भी बहुत,

राष्ट्रवादी चेतना भर देना।7।

भूमि खण्ड नहीं चेतन है भारत

चेतनता का स्वर भर देना।

राष्ट्र भक्ति ही सर्वोपरि है,

बस यही भाव हर घर देना ।8। 

जीवन का क्रम तो अविरल है,

कर्मों को सुगन्धित कर देना,

नाथ ‘नाथ’ है सक्षम है,

धर्मपथ प्रशस्त कर चल लेना ।9।

———————————————————

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काव्य

यह भारत है।

April 15, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

सहज स्वीकार्यता होना ये रहती वक़्ती जरूरत है,

सहज स्वीकार्य तब होंगे अनवरत गर अक़ीदत है।

ऐसे मौसम भी आएंगे, कुछ ख़ास अपने चिढ़ाएँगे,

चिढ़ना मत व भिड़ना मत यही असली इबादत है।

यह भारत है, ये भारत है,यह भारत है,ये भारत है ।1।

ऐेसे बन्दे भी होंगे, आचरण जिनका खिलाफत है,

वे बढ़कर गरियाएंगे,बस यही उनकी रिवायत है।

तब्दीली के दौर आएंगे, ये रोयेंगे और  चिल्लाएंगे,

विचलित मत होना जरा,समय की यह विरासत है।

यह भारत है, ये भारत है,यह भारत है, ये भारत है ।2।

आदर्श तुम सब चुन लेना, गर तुममें लियाकत है,

कोई गर बाधा बनता है तो ये उनकी हिमाकत है।

समय फेरे फिर आएंगे, ये सब के सब मारे जाएंगे,

मगर बेखौफ तुम बढ़ना सच बढ़ने की जरूरत है।

यह भारत है,ये भारत है,यह भारत है, ये भारत है।3।

कर्म पर दृढ़ हर दम रहना, नहीं कोई रियायत है,

तुम्हें मशरूफ कर देना व्यवस्था की सियासत है।

सबको गुमराह कर देंगे, हरदम लालच दिखाएंगे,

चक्कर में तुम मत आना, यह फौरी अक़लियत है।

यह भारत है,ये भारत है,यह भारत है, ये भारत है ।4।

सत्कर्म पर बस डटे रहना होगी उसकी इनायत है,

जो भी रस्ते में आएगा, समझो उसकी क़यामत है।

तुम्हारे दिन भी बहुरेंगे और अच्छे दिन भी आएंगे,

हुनर ले निखरते रहना यह ही असली शराफत है।

यह भारत है,ये भारत है,यह भारत है, ये भारत है ।5।

सजग रहना,  सरल रहना,  समय की ये नजाकत है,

तुम्हारे जैसे लोगों से, वतन की सम्भव हिफाजत है।

तुम ही सम्बल, तुम ही रहबर  ‘नाथ’ ये गुनगुनायेंगे,

वतन की उन्नति तुम करना तुम्हारे बल पर भारत है।

यह भारत है,ये भारत है,यह भारत है, ये भारत है ।6।

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वाह जिन्दगी !

धुन का पक्का होना चाहिए।

March 29, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

आप ही बताओ किस्मत में क्या रक्खा होना चाहिए,

भाग्यफल बनता कर्म से ये ज्ञान पक्का होना चाहिए,

जो करे हमें गुमराह उसे करारा धक्का होना चाहिए,

ठेकेदार जो नक़ली धर्म का हक्का बक्का होना चाहिए।

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।1।

बिना किये कुछ न होता विश्वास पक्का होना चाहिए,

मत  उड़ो ऊँचा धरा तल पर पैर रक्खा होना चाहिए,

राय  मानो तार्किक न काल्पनिक गच्चा होना चाहिए,

हो व्यूह रचना यथोचित नहीं तीरतुक्का होना चाहिए।   

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।2।

प्रतिज्ञा भीष्म सी मानस में नहीं छक्का होना चाहिए,

कर्महीन नर पावत नाहीं सो मन सच्चा होना चाहिए,

सकल पदारथ हैं जग माही यह पक्का होना चाहिए,

कर्म धुन रख अनवरत हर मुख गस्सा  होना चाहिए।

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।3।

न भटकें मृग मारीचिका में भाव अच्छा होना चाहिए,

अति पावस निर्मल रहें हम, मन  बच्चा होना चाहिए,

जो भी करें मन से करें, ना कुछ कच्चा होना चाहिए,

चरित्र बल शुभ भावयुक्त प्रबल  गुच्छा होना चाहिए।

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।4।

न हो छाप पाश्चात्य की न मिथ्या चस्का होना चाहिए,

स्वसंस्कृति विकास हित तनमन रक्खा होना चाहिए,

सृजनोत्थान हित दृढ़ श्रृंखला का नक्का होना चाहिए,

अवचेतन मस्तिष्क को राष्ट्रवादी चक्का होना चाहिए।

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।5।

तन मन धन सब राष्ट्र का, मनस पक्का होना चाहिए,

भ्रमकूप में न फँसें मन में काशी मक्का होना चाहिए,

कर्म काण्ड पुनः विवेच्य हो मत  पक्का होना चाहिए,

वादप्रतिवाद, विश्लेषणसंश्लेषण अच्छा होना चाहिए।  

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।6।

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वाह जिन्दगी !

बलिदानों की अमिट कहानी।

March 28, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

वक़्त की प्रस्तर शिला पर

हम लिखेंगे इक कहानी।

लोकतन्त्रीय देश भारत

न कोई राजा न कोई रानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।1।

पुष्प सा कोमल ह्रदय पर

फौलाद सी अपनी रवानी।

मन करे प्रभु की इबादत

जीवन हो मगर बलिदानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।2।

हे ईश्वर रक्षा करना पर

ऐसी ही है अपनी वानी।

कितनी भी करें खिलाफत

मरे नहीं आँखों का पानी। 

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।3।

विश्वशान्ति की लौ मुखरित पर

आँधी अन्धड़ मन तूफानी।

बलिदानों की अपनी रवायत  

रक्त से गाढ़ा देश का पानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।4।  

ज्वालामुखी मन में रहता पर

अधरों पर धीरज रघु वानी।

मर्यादा पर गर आई आफत

धरा रूप मदमस्त तूफानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।5।

साक्ष्य हमारा सागर दिनकर

व्यर्थ नहीं अब तक कुर्बानी।

जो देश हित से करे बगावत

समझो नाथ वह ख़तम कहानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।6।

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काव्य

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

January 29, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

गंगा मेरी जमुना मेरी, हम भारत भाग्य विधाता हैं,

देशहित जान लुटाते हैं हम जागरूक मतदाता हैं।

हम इससे हैं ये हमसे है, जन्मों से हमारा नाता है,

भारत की मिट्टी पावन है, पावस यह जग नाता है।

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है ।।

दुनियाँ हमसे ही जन्नत है हम जन्नत भाव प्रदाता हैं,

कोई आतंक का कारण है हम प्रेम के अधिष्ठाता हैं।

जनगणमन अधिनायक हैं और हम शौर्य प्रदाता हैं,

सर्वे भवन्तु सुखिनः वाले हम जग के सङ्कट त्राता हैं।

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।।

करुणा की अविरल धारा गौमुख हैं तीव्र सपाटा हैं,

रुकने थकने का नाम नहीं ऊर्जा के सच्चे भ्राता हैं।

जिसका अध्याय हुआ पूरा हमको आँख दिखाता है,

रौद्ररूप नहीं दिखलाते पर आँख निकालना आता है।

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

दुष्टों के आकाओं का, अंतस  हमसे भय खाता है,

परमाणुशक्ति वाले हैं हम जोछुए हमें जलजाता है।

दोस्तों के दोस्त रहे हैं हम दुश्मन हमसे भयखाता है,

जो भी हमसे टकराता है हमें उसे मिटाना आता है।    

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

धरती पूजी नदियाँ पूजीं,पूजन से मन न अघाता है,

कृतज्ञ  वृक्ष प्रति भाव रखे, सबसे कृतज्ञता नाता है।

जो भारत उन्नति खातिर, स्वयं की बलि दे जाता है,

पूजनीय  होता  हमको, श्रद्धा का पात्र बन जाता है।

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

भगत, सुभाष का भारत है, चन्द्र शेखर से नाता है,

दिनकर भूषण जैसा मानस, गीत शौर्य के गाता है।

जो गद्दारी का काम करे और देशद्रोह भड़काता है,

वह इस पावनता के समक्ष अन्दर अन्दर थर्राता है।    

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

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काव्य

मैं मिट्टी हूँ,मैं मिट्टी हूँ।

February 24, 2019 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

सृष्टि का आधार सृजन और प्रलय है,जड़ जंगम,सागर,ग्रह उपग्रह ,समस्त भावनाओं,विनाश लीलाओं गर्वीले भाषण,युद्धोन्माद के आदि और अन्त का निरीक्षण हमें बताता है कि अन्ततः सब मिट्टी है।

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वाह जिन्दगी !

मरना सिखाना होगा। [MARNA SIKHANA HOGA ]

January 5, 2019 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

भारत को फिर से गढ़ने में बहुतों को रीतना होगा।

भूले जो पाठ हैं परिश्रम का लगन से सीखना होगा।

दूजे को दिशा देने से पहले निजको सवाँरना होगा।

अपनी समस्या, प्रश्नों का हल खुद निकालना होगा।

 

न फँसे भौतिकता में हम, सादगी से विचारना होगा।

चकाचौँध जीवनोद्देश्य नहीं पीढ़ी को उबारना होगा।

धूम्रपान व मय प्याले में डूबे प्राणों को जगाना होगा।

क्या से क्या हो गया जीवन ये जगाकर बताना होगा।

 

खुद का जमीर गढ़, शेष जमीरों को जगाना होगा।

क्या अच्छा,क्या बुरा खुद सीखकर सिखाना होगा।

घनीभूत आग के दरिया से गुजर आगे जाना होगा।

झंझावातों से टकराने हेतु, मज़बूत तो बनना होगा।

 

सितमो ग़ुरबत की दुनियाँ में टूटने से बचाना होगा।

कैसे बचना, कैसे लड़ना है,तदबीर सिखाना होगा।

कैसे जीते हैं कद्दावर होके, खुद्दारी सिखाना होगा।

पैसा साधन है,साध्य नहीं हिकमत से बताना होगा।

 

रिश्ते जो टूटा है बाज़ारों में फिर से संभालना होगा।

सम्बन्धों के बिगड़ैल हाथी को खूँटे से बाँधना होगा।

शीशमहल की किरचों को सलीके से लगाना होगा।

जीना गर सिखा पाए नहीं तो, मरना सिखाना होगा।

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काव्य

सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् का भी भान होना चाहिए।

January 1, 2019 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

जिन्दादिली से जीवन का वर्तमान जीना चाहिए,

मौसम हो चाहे सुअवसर, सानन्द रहना चाहिए।

जीवन का यही शुभ है ये सत जान लेना चाहिए,

वक़्त नहीं रुकता है इतना पहचान लेना चाहिए।

 

परिवर्तन न होगा विगत में, यह जान लेना चाहिए,

भविष्य की निश्चिचता नहीं, यह मान लेना चाहिए,

भूत,भविष्य की चिन्ता से न परेशान होना चाहिए,

वर्तमान में निज जीवट का इम्तिहान लेना चाहिए।

 

साथ चलते हुए पल को मनभर के जीना चाहिए,

मौजूदा वक्त के साथ, कदमताल करना चाहिए,

व्यथित करने वाले अतीत को,भूल जाना चाहिए,

आत्मसम्बल से लगन का पल्ला पकड़ना चाहिए।

 

हरपल चरित्रबल साध का उपक्रम होना चाहिए,

हर क्षण गरिमा युक्त निज आचरण होना चाहिए,

सत्,चित्,आनन्द के सत् स्वरुप का भान चाहिए,

अतःवर्तमान पर ही सर्वाधिक ध्यान होना चाहिए।

 

वर्तमान में जीने हेतु विगत को भूल जाना चाहिए,

आगत की व्यर्थ सोच से न हलकान होना चाहिए,

कल्पनाओं से न डरडरकर परेशान होना चाहिए,

कुण्ठा का वर्तमान से नहीं गठबंधन होना चाहिए।

 

वर्तमान में सुधार दुःख काअवसान होना चाहिए,

यह समय है कर्मयोग का, यह जान लेना चाहिए,

शुभ स्थापन का सच्चे मन से प्रयास होना चाहिए,

नश्वर,ईश्वर,प्रकृति,पुरुष का विश्वास होना चाहिए।

 

हर छण ही आनन्द का सरस पान होना चाहिए,

शाश्वत है वर्तमान का,स्वागतगान  होना चाहिए,

दुःखे सुखे समे कृत्वा की, पहचान होनी चाहिए,

जीवन है चलने का नाम, यह जान लेना चाहिए।

 

भारत में भारतवाली ही, रीति-नीति होनी चाहिए,

इसीपल से हम सबकी, सच्ची प्रीति होनी चाहिए,

मौत आनी है और आएगी,शुभ ज्ञान होना चाहिए,

सत्यम्, शिवम्, सुंदरम् का भी भान होना चाहिए।

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काव्य

ऊर्ध्वगमन पथ राष्ट्र का आलोकित करना है।[Urdhvgaman Path Rashtr Ka Aalokit Karanaa Hea.] 

December 7, 2018 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

यदि मानव हो मानवता वाला काम करना है,

जीवन भर करना काम, ना विश्राम करना है,

जटिल स्थिति हों मन में, ना नैराश्य भरना है,

विषम परिस्थिति में खुदपर विश्वास करना है।

 

अवलम्बन को अखिलेश्वर का ध्यान करना है,

इक दूजे के सब कष्टों को मिल-जुल हरना है,

परिस्थिति कैसी भी हो, हम सबको लड़ना है,

हर रात का निश्चित  प्रभात विश्वास  करना है।

 

जीवन संघर्षों का रण, हर-पल याद रखना है,

प्रकृति प्रदत्त मस्तिष्क से सद्प्रयास करना है,

जीवन यापन नियत  सभी को काम करना है,

अथक परिश्रम लायक शरीर तैयार करना है।

 

ब्रह्म मुहूर्त में तज आलस प्राणायाम करना है,

सम्भव यदि हो सके उचित व्यायाम करना है,

जीवट का कर सद्प्रयोग   चेतनता  भरना है,

वन्दन कर स्व ईष्ट का निश्चित काम करना है।

 

यथोचित सुन्दरअवसर की पहचान करना है,

प्रतिस्पर्धा में निजक्षमता पर विश्वास करना है,

राष्ट्र वाद के सुपोषण हित उपयुक्त बनना है,

ना हो भारत अवमान जाग्रत प्रहरी बनना है।

 

बदलते समय अनुसार, कदम-ताल करना है,

निश्चित होंगे कामयाब सहज विश्वास भरना है,

प्रतिकूल परिस्थितियों  में ना हमको डरना है,

इकदूजे की बन प्रेरणा हमको जय करना है।

 

केवल कल्पना-लोक में ना विचरण करना है,

यथार्थ के धरातल पर दृढ़ अटलपग धरना है,

वेद और वैदिकता का सच्चाअर्थ समझना है,

उत्कृष्टता भारत की जगत में सिद्ध करना है।

 

गर इन्सां हो इन्सानियत का पोषण करना है,

इक दूजे  पर ना मिथ्या दोषारोपण करना है,

स्व राष्ट्र-ध्वज का शान से आरोहण करना है,

ऊर्ध्वगमन पथ राष्ट्र का आलोकित करना है।

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