आज कुम्भ राशि के जातक शुभांशु शुक्ला को अधिकाँश भारतीय बुद्धिजीवी जानते हैं। माता आशा शुक्ला और पिता शम्भु दयाल शुक्ला के तीसरे बच्चे के रूप में इनका जन्म हुआ, प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के सिटी माण्टेसरी स्कूल से प्रारम्भ हुई, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA)से स्नातक करने के उपरान्त भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) बैंगलोर से M.Tech की उपाधि प्राप्त की। कालान्तर में इन्होने दन्त चिकित्सक कामना मिश्रा से विवाह किया।
2006 में भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाला यह नौजवान आज 2000 घंटे की उड़ान भर चुका है और Su -30 MKI, मिग-21, MIG -29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और AN -32 उड़ाने का अनुभव प्राप्त कर चुका है शुभांशु शुक्ला ग्रुप कैप्टन मार्च 2024 में बने।
10 अक्टूबर 1985 को जन्मे इस बालक ने 2019 में रूस के यूरी गॉगरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेण्टर से अंतरिक्ष यात्री का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इन्हें गगन यान कार्यक्रम हेतु इसरो के द्वारा चयनित किया गया और आज ये एक निजी तौर पर वित्तपोषित एक्सिओम मिशन -4 (X -4 )के पायलट के रूप में सुर्ख़ियों में हैं इस मिशन को एक्सिओम स्पेस व NASA के सहयोग से आयोजित किया गया है अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (ISS ) की यह यात्रा परम शुभ रहे। 140 करोड़ भारतीयों ने ये दुआ और कामना की है।
भारतीय प्रधान मन्त्री और शुभांशु की बातों का सार संक्षेप –
28 जून 2025 को यशस्वी भारतीय प्रधान मन्त्री श्रीयुत नरेन्द्र मोदी जी और ग्रुप कैप्टन शुभांशु की बातचीत का सार बताने से पहले यह बताना उचित होगा कि इनकी माँ जी और दादीजी दोनों का ही नाम आशा है और आज शुभांशु भारतीय आशा का अवलम्ब व मानक है –
आज से 41 वर्ष पूर्व भारत के राकेश शर्माजी अन्तरिक्ष में गए थे और तत्कालीन प्रधान मन्त्री महोदया से उनकी बात हुई थी। आज इतिहास उसे दोहरा कर आगे की पटकथा लिख रहा है – जब भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीजी ने अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन से वीडिओ लिंक के माध्यम से बात चीत की तो शुभांशु ने बताया। –
“यहां से भारत बहुत भव्य और बड़ा दिखता है। अनेकता में एकता का भाव साकार होता दिखता है। “
लगभग 1020 सेकण्ड की वार्ता में पीछे लगा भारतीय राष्ट्रीय चक्रध्वज आने वाले सशक्त भारत की आहात को हरदम महसूस करा रहा था। उत्साह से परिपूर्ण शुभांशु ने कहा -“बहुत नया अनुभव है ऐसी चीजें हो रही हैं, जो दर्शाती हैं कि हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है।”
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल ने अपनी अन्तरानुभूति को साझा करते हुए कहा की पृथ्वी से ऑरबिट तक 400 किलोमीटर की छोटी यात्रा सिर्फ मेरी नहीं मेरे देश भारत की भी यात्रा है। उन्होंने आगे कहा यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और मैं गर्व महसूस कर रहा हूँ कि मैं यहाँ अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूँ।
इस भारतीय लाल ने अन्तरिक्ष से 28000 Km /H की गति से उड़ते हुए यह अति महत्त्वपूर्ण तथ्य इंगित किया –
“पृथ्वी बिलकुल एक दिखती है, कोई सीमा रेखा दिखाई नहीं देती। ”
भारतीय वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को पोषित करने वाला यह वाक्यांश दिल को छू गया इसके आलोक में यह अक्षर स्वर्णिम आभा से दमकते हुए महसूस किये जा सकते हैं। –
सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।
अपना एक और विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा –
हम भारत को मैप पर देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है और भारत का कितना ? वह सही नहीं होता, क्योंकि हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D पेपर पर उतारते हैं। उनके शब्द –
“भारत सच में बहुत भव्य और बड़ा दीखता है जितना हम मैप पर देखते हैं उससे कहीं ज्यादा बड़ा। अनेकता में एकता का भाव साकार होता है। ”
ऐसा लगा जैसे अथर्ववेद का पुनः उद्घोष हुआ हो –
अथर्ववेद में भी विविधता में एकता के सिद्धांत का उल्लेख है- “जनं बिभ्रति बहुधा विवाचसं नानाधर्मान् पृथिवी यथौकसम्।”
इसका अर्थ है, “पृथ्वी अनेक भाषाओं और धर्मों वाले लोगों को एक घर की तरह धारण करती है।”
अन्तरिक्ष यात्री भारतीय लाल ने सूर्यास्त और सूर्योदय को लेकर कहा कि वे दिन में 16 बार सूर्य को उदय और अस्त होते हुए देख रहे हैं अपने पैरों के बंधे होने की बात बताते हुए उन्होंने प्रत्युत्तर में गाजर और मूँग दाल हलवे तथा आम रस का जिक्र भी किया।
बिना गुरुत्वाकर्षण के स्थिति कितनी जटिल होगी इसका अहसास हुआ छत, जमीन, या दीवार कहीं भी बमुश्किल सोया जा सकता है। गुरुत्वाकर्षण के अभाव में छोटी छोटी चीजें कितनी मुश्किल होंगी अनुभव करने वाला ही जान सकता है।
शुभांशु – मोदी जी – भारतीय सपना –
यह एक सुखद उम्मीद जगी है। दैनिक जागरण ने एक बॉक्स इसे सुन्दर ढंग से परिलक्षित किया और शीर्षक दिया। –
“हमें खुद का अन्तरिक्ष स्टेशन बनाना है” –
कृतज्ञता युक्त आभार के साथ दैनिक जागरण में छपे शब्द यहाँ प्रस्तुत हैं –
पी एम के कहने पर उन्होंने युवा पीढ़ी के लिए सन्देश दिया की भारत आज जिस दिशा में जा रहा है,हमने बहुत साहसिक और ऊंचे सपने देखे हैं उन सपनों को पूरा करने लिए हमें आप सभी की जरूरत है। अन्त में पी एम मोदी ने भारत के संकल्प उनसे साझा किये और कहा कि हमें मिशन गगन यान को आगे बढ़ाना है। हमें अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है चन्द्रमा पर भारतीय की लैण्डिंग भी करानी है। इन सारे मिशनों में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। भारत दुनिया के लिए अंतरिक्ष की नई सम्भावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा ,बल्कि भविष्य में नई उड़ानों के लिए मञ्च तैयार करेगा।
अन्त में शुभांशु और हमारे प्रधान मंत्रीजी ने भारत माता की जय कहकर वार्ता को विराम दिया और Education Aacharya भी यह कह कर विराम लेगा –
भारत माता की जय
धन्यवाद
जयहिन्द, जय भारत।

