तेरी यादों की बारातें

हमें  सोने नहीं  देतीं।

गुम होनाभी अगर चाहूँ,

तो गुम होने नहीं देतीं।।

जाने क्यों खूबसूरत से

वो मञ्जर याद आते हैं।

उन्हें ग़र भूलना चाहूँ,

भुलाने भी नहीं देतीं ।।

बूढ़ा  हो  गया  हूँ  मैं

कशिश यादों में बाकी है।

उनसे बचना  गर चाहूँ

तो बचने भी नहीं देतीं ।।

नाबीना हो गया हूँ मैं

यादों में नूर बाकी है।

चाहूँ गर्दिश में मैं खोना,

तो खोने भी नहीं देती ।।

आँधीअंधड़ की मौसम से

अजब सी, दोस्ती है ये

नाथ आँसू लरजते हैं

बरसने भी नहीं देतीं ।।

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