जब भारतवासी के हृदयों का सोया दावानल जागेगा,

जिस दिल में है असुर छिपा,असुर निकल कर भागेगा।

यदि तुम कायर कमजोर रहे तो दुनिया तुम्हें डरायेगी,

छोटी सी बंदरिया गुण्डों की  हमको ऑंख दिखाएगी।

 

जिस दम पलटकर एक झपट्टा अरि छाती पर मारोगे,

ना रहेगा फिर शत्रु भू पर धरती कितनी सुन्दर होगी ।

इस लिए सुनो ऐ आर्यपुत्र विषधर को विष धरना होगा,

जीना है सम्मान सहित तो निज भुजबल रखना होगा।

 

कायर,डरपोक,निकम्मे ही जब तक सब नियम बनाएंगे,

कुछ चापलूस पूंजीपति भूपति के पैरों में शीश नवाएंगे।

परख निकालो इन सबको इक दिन हम यज्ञ रचाएंगे,

तब आहुति सामग्री ना होगी, हम इनके शीश चढ़ाएंगे।

 

अब वो परिपाटी बन्द करो बिन गिन शीश गिराएंगे,

देश में छिपे गद्दारों के धड़ से हम शीश हटाएंगे।

घर का भेदी लंका ढाए पहले हम उसे ढहा देंगे,

अपने हाथों गद्दारों की हम मृत्यु सेज सजा देंगे।

 

आतताइयों ने आकर मेरा, यह देश जलाया है,

निर्दोष,निरीह,निहत्थों पर दुष्कौशल अजमाया है।

उन बहते खून के कतरों हमें यही समझाया है,

अतिथि देवो भव पर चल हमने धोखा खाया है।

 

कालचक्र के साथ ही हम   कुछ सिद्धान्त बदल देंगे,

वंशी की जगह कान्हा की तरह चक्र-सुदर्शन ले लेंगें।

अमन की बस्ती में घुसकर कब तक वो चमन उजाड़ेंगे,

बदल लिया हमने  सिद्धान्त अरि घर में घुसकर मारेंगे।

———————-डॉ 0 शिव भोले नाथ श्रीवास्तव

 

​​

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

​​

 

Share: