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वाह जिन्दगी !

माँ का भरोसा कहीं डिग न जाए।

March 31, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

कर्मपथ समूचा लगन युक्त पथ में,

कभी भी किसी मन न हो उदासी।

कर्मठता नहीं पूर्ण तब तक बनेगी,

जब निष्ठा,लगन में रहेगी कमी सी।

रहेगा हमेशा काल का पाश यूँ ही

भले श्वांस क्रम का यहाँ ओज आए।

मनाओ महोत्सव रहे ध्यान इतना,

माँ का भरोसा कहीं डिग न जाए ।।

हो शैलजा से अमरज्योति जग में,

मगर साथ में ब्रह्मचारिणी बसेरा।

माँ चन्द्रघण्टा यहाँ साथ क्रम के,

कूष्माण्डा से कमल मन खिलेगा।

करेंगे सभी स्कन्दमाता आराधन,

मगर कात्यायनी दिशाबोध लाए।

मनाओ महोत्सव रहे ध्यान इतना,

माँ का भरोसा कहीं डिग न जाए।।

नई भावना से नित नएगीत निर्झर,

उठें सभी कालभैरवी ध्यान कर लें।

जगे धर्म की कुछ महा गूंज ऐसी,

यहाँ की धरा से अधम मार्ग भूले।

गौरी कृपा से ज्ञान पथ मार्ग उर्वर,

अमिय जा न पाए सिद्धिदात्री आए ।

मनाओ महोत्सव रहे ध्यान इतना,

माँ का भरोसा कहीं डिग न जाए।। 

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वाह जिन्दगी !

इच्छा/ Desire

by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

बहुत गम सह चुका हूँ मैं कि अब रोने की इच्छा है।

बहुत कुछ पा चुका हूँ मैं किअब खोने की इच्छा है।1।

बहु पाप कर चुका हूँ मैं कि अब धोने की इच्छा है।

बहुत सा जग चुका हूँ  मैं कि अब सोने की इच्छा है।2।

बहु ताप सह चुका हूँ मैं कि शान्त होने की इच्छा है।

बहु व्यस्त रह चुका हूँ मैं प्रभु लय होने की इच्छा है।3।

बहुत सा  थक चुका हूँ मैं प्रभु में खोने की इच्छा है।

बहु भाँति जम चुका हूँ मैं कि जड़ होने की इच्छा है।4।

दैहिक तो सह चुका हूँ मैं प्रभु घर होने की इच्छा है।

अनाथ तो रह चुका हूँ मैं प्रभु नाथ होने की इच्छा है ।5। 

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काव्य

हे वीरों तुम सबसे गर्वित……..

March 30, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

देश प्रेम का गौरव जागे देश प्रेम हित आरती,

लहू देश में धरती मांगे केसरिया बाना धारती,

मातृशक्ति है देशशक्ति अपना तनमन वारती,

देश पुनः सिर मौर बने ये सारी जनता गावती।

हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती ।1।

स्वास्थय ध्यान नहीं रखते यही भावना सालती,

क्यों अपना अहित करे जनता क्यों ना मानती,

क्या उचित क्या अनुचित येकहे येसब जानती,

सारी वसुधा स्वस्थ रहे, ये वर ईश्वर से मांगती।   

 हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती । 2 ।

व्यायाम है आवश्यक दुर्बुद्धि नहीं यह मानती,

आलस्य पसन्द जिन्हे उन्हें ये दुर्भावना मारती,

मजबूत तन मन जरूरी चेतना स्व को ढालती,

स्वेद गिरा इस धरती पर वह मज़बूती पावती।

हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती। 3 ।

सभी देश पे तनमन वारें यही अदा है भावती,

इसी देशहित जियें मरें हम मर्यादा है चाहती,

आओ रूढ़ी तोड़ें सारी भारत माँ यह मांगती,

यही वक़्त की माँग, दिखा स्वदेश की जाग्रती। 

हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती। 4 ।

बहे सुरभित पवन, विकसित कुसुमित मालती,

विजय होगी निश्चित मुश्किल ठोकर से भागती,

आत्म संयम विश्वासयुक्त ये अनुशासन मांगती,

भेदभाव का मैल मिटा कल्याण भावना जागती।

हे वीरों तुम सबसे गर्वित, ये प्यारी माँ भारती। 5 ।

परिवर्तन शाश्वत नियम ये सारी दुनियाँ जानती,

जानती ये सच जगत का पर क्यों ना ये मानती,

विजय सुनिश्चित जब निर्विकल्प संकल्प धारती,

हम सब मिल संघर्ष करें, सशक्त हो माँ भारती।                

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वाह जिन्दगी !

धुन का पक्का होना चाहिए।

March 29, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

आप ही बताओ किस्मत में क्या रक्खा होना चाहिए,

भाग्यफल बनता कर्म से ये ज्ञान पक्का होना चाहिए,

जो करे हमें गुमराह उसे करारा धक्का होना चाहिए,

ठेकेदार जो नक़ली धर्म का हक्का बक्का होना चाहिए।

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।1।

बिना किये कुछ न होता विश्वास पक्का होना चाहिए,

मत  उड़ो ऊँचा धरा तल पर पैर रक्खा होना चाहिए,

राय  मानो तार्किक न काल्पनिक गच्चा होना चाहिए,

हो व्यूह रचना यथोचित नहीं तीरतुक्का होना चाहिए।   

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।2।

प्रतिज्ञा भीष्म सी मानस में नहीं छक्का होना चाहिए,

कर्महीन नर पावत नाहीं सो मन सच्चा होना चाहिए,

सकल पदारथ हैं जग माही यह पक्का होना चाहिए,

कर्म धुन रख अनवरत हर मुख गस्सा  होना चाहिए।

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।3।

न भटकें मृग मारीचिका में भाव अच्छा होना चाहिए,

अति पावस निर्मल रहें हम, मन  बच्चा होना चाहिए,

जो भी करें मन से करें, ना कुछ कच्चा होना चाहिए,

चरित्र बल शुभ भावयुक्त प्रबल  गुच्छा होना चाहिए।

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।4।

न हो छाप पाश्चात्य की न मिथ्या चस्का होना चाहिए,

स्वसंस्कृति विकास हित तनमन रक्खा होना चाहिए,

सृजनोत्थान हित दृढ़ श्रृंखला का नक्का होना चाहिए,

अवचेतन मस्तिष्क को राष्ट्रवादी चक्का होना चाहिए।

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।5।

तन मन धन सब राष्ट्र का, मनस पक्का होना चाहिए,

भ्रमकूप में न फँसें मन में काशी मक्का होना चाहिए,

कर्म काण्ड पुनः विवेच्य हो मत  पक्का होना चाहिए,

वादप्रतिवाद, विश्लेषणसंश्लेषण अच्छा होना चाहिए।  

नव भारत का नौजवान, धुन का पक्का होना चाहिए।6।

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वाह जिन्दगी !

बलिदानों की अमिट कहानी।

March 28, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

वक़्त की प्रस्तर शिला पर

हम लिखेंगे इक कहानी।

लोकतन्त्रीय देश भारत

न कोई राजा न कोई रानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।1।

पुष्प सा कोमल ह्रदय पर

फौलाद सी अपनी रवानी।

मन करे प्रभु की इबादत

जीवन हो मगर बलिदानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।2।

हे ईश्वर रक्षा करना पर

ऐसी ही है अपनी वानी।

कितनी भी करें खिलाफत

मरे नहीं आँखों का पानी। 

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।3।

विश्वशान्ति की लौ मुखरित पर

आँधी अन्धड़ मन तूफानी।

बलिदानों की अपनी रवायत  

रक्त से गाढ़ा देश का पानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।4।  

ज्वालामुखी मन में रहता पर

अधरों पर धीरज रघु वानी।

मर्यादा पर गर आई आफत

धरा रूप मदमस्त तूफानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।5।

साक्ष्य हमारा सागर दिनकर

व्यर्थ नहीं अब तक कुर्बानी।

जो देश हित से करे बगावत

समझो नाथ वह ख़तम कहानी।

भूखण्ड नहीं चेतन है भारत

बलिदानों की अमिट कहानी।6।

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वाह जिन्दगी !

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी …….

March 26, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

तजो संकीर्णता इतनी,

धर्म मानव निभाएंगे।

२१ दिन निभा लो तुम,

हम निश्चित मुस्कुराएंगे

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 1 ।

 करो तुम प्रार्थना इतनी

डॉक्टर काम आएंगे।

पत्रकार औ स्वास्थ्यकर्मी

कुछ अच्छा कर दिखाएँगे।

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 2 ।

बचाओ जिन्दगी अपनी

मर्यादा हम रखायेंगे।

अफवाहें न उड़ाओ तुम

मज़बूत संकल्प कराएंगे।

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 3 ।

हाथ जोड़ कर विनती,

कहो,अनुशासन निभाएंगे।

जुड़ो उस भावना से तुम

संकट से निकल जाएंगे।

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 4 ।

जरूरत कम करो इतनी

ये साधन काम आएंगे।

घर से न निकलना तुम

तभी शुभता को पाऐंगे।

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 5 ।

मदद सम्भव तुमसे जितनी

करो सब काम आएंगे।

निवेदन सबसे कर लो तुम

विनम्रता हम दिखाएंगे।

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 6 ।

कोरोना की हिम्मत कितनी

इसे हम मिल भगाएंगे।

निवेदन यह निवेदित है

मानव धर्म निभाऐंगे।

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 7 ।

रखो जिन्दादिली इतनी

सभी को हम समझाऐंगे।

कहा मानो पी एम का तुम

आफत से निकल जाएंगे।

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 8 ।

वतन की रक्षा हो इतनी

नए जीवन भी आएंगे।

आज विषम परिस्थिति है

कल अच्छे दिन भी आएंगे।

बढ़ा लो दूरियाँ इतनी,

बचेंगे पास आएंगे । 9 ।

  • SBN Srivastava
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Uncategorized•वाह जिन्दगी !

क्रोध पतन है…………

March 25, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

क्रोधाग्नि से तजकर सुधबुध मानस तम में खो जाता है,

तम का जब बढ़ता प्रभाव सारा विवेक ही सो जाता है,

साँसे तेजी से चलने लगतीं, मुख रक्त वर्ण  हो जाता है,

तामस तत्व क्रोध कहलाता मृदु भावों को खो आता है।

क्रोध पतन है ज्ञात सभी को फिर क्यों यह हो जाता है।1।

गुस्सा अहम प्रभाव बढ़ाता तन मन वहमी हो जाता है,

क्रोध ज्वाल रिश्ते नाते खा बस बीज नाश बो जाता है,

सारे सम्बन्ध तिरोहित होते जग अन जाना हो जाता है,

संसार खोखला सा लगता क्रोध जब हावी हो जाता है।

क्रोध पतन है ज्ञात सभी को फिर क्यों यह हो जाता है।2।

दुर्वासा सा स्वभाव होता मन सम्मोहन में खो जाता है,

स्मृति भ्रम तब होने लगता हरण बुद्धि का हो जाता है,

कारण पतन का बुद्धिभ्रम प्राण का संकट हो जाता है,

आनन्द मार्गी स्रोतों का मृदुजल कहाँ पर खो जाता है।

क्रोध पतन है ज्ञात सभी को फिर क्यों यह हो जाता है।3।

तन क्रोध का कारण बनता खो क्रोध ऋषि हो जाता है,

क्रोध नियन्त्रित हो जाने पर मन शीतल सा हो जाता है,

शीतलता भाव बढ़ते जाने से सौम्य स्वभाव हो जाता है,

मृदु सौम्यभाव प्रगति पाने से, अहंकार ही खो जाता है।

क्रोध पतन है ज्ञात सभी को फिर क्यों यह हो जाता है।4।

क्रोधानल में घी ना पड़ता जागरण विवेक हो जाता है,  

प्यार पे गुस्सा नहीं पौढ़ता, प्यार में गुस्सा खो जाता है,

क्रोधी आवरण खो जाने से देवत्व अंकुरण हो जाता है,  

सरल आचरण हो जाता, सम्पूर्ण क्रोध ही खो जाता है।

क्रोध पतन है ज्ञात सभी को फिर क्यों यह हो जाता है।5।

शुभ चिन्ह प्रगट होते सत हावी रज तम पे हो जाता है,

आवेग आनन्दम बढ़ जाता क्रोध तिरोहित हो जाता है,

बढ़ता जब सत का प्रभाव सर्वत्र आनन्दम हो जाता है,

कलुष सभी मानस के मिटते चरित्र निर्मल हो जाता है।

क्रोध पतन है ज्ञात सभी को फिर क्यों यह हो जाता है।6।

जीवन जब सम्यक तपजाता क्रोध किधर खो जाता है,

गुण न गरल का तब बढ़ता पुरुषोत्तम तन हो जाता है,

मर्यादा की भावना बढ़ती, विनयशील मन हो जाता है,

पतन का कारण होता ज्ञात सत का उद्भव हो जाता है।       

क्रोध पतन है ज्ञात सभी को फिर यह क्यों हो जाता है।7।

गुस्से का विप्लवी भाव ऐसा पथ लहूलुहान हो जाता है,

मानव जब गुस्सा खो देता वह मन मोहक हो जाता है,

वैराग्य विनय वो कारण है कलुषित मानस धो जाता है,

क्षरित क्रोध होने से ‘नाथ’ पावस अन्तस्तल हो जाता है।

क्रोध पतन है ज्ञात सभी को फिर यह क्यों हो जाता है।8।

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वाह जिन्दगी !

कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।

March 23, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

आओ देखो ईश्वर यहाँ आराम कर रहे हैं,

उनके बनाए पुतले सारा काम कर रहे हैं,

आफत से लड़ने का इन्तज़ाम कर रहे हैं,

ध्यान है सभी का अपना काम कर रहे हैं।

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।1।

अपनी हिक़मत को सब, आम कर रहे हैं,

जानबूझ कर घर से सब काम कर रहे हैं,

विशिष्ट सेवा बहाली, इन्तजाम कर रहे हैं,

हाथ मिलाने की जगह, प्रणाम कर रहे हैं।

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।2।

जीतने को जंग हम सब पयाम कर रहे हैं,

अपने दूर दूर दूर से बस काम कर रहे हैं,

बारम्बार हाथ धो नुस्खा, आम कर रहे हैं,

खाँसी छींक ज्वर हमें सावधान कर रहे हैं।

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।3।

स्वच्छता,संयम सहित ये काम कर रहे हैं,

परम परा शक्ति को यूँ प्रणाम कर रहे हैं,

शुचिता व्यहवहार चलन आम कर रहे हैं,  

न पशु पे प्रभाव इसका एलान कर रहे हैं।

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।4।

धर्मस्थल मानसशक्ति से काम कर रहे हैं,

सर्व जन प्रयासरत स्वच्छ धाम कर रहे हैं,

सब प्रबलआत्मशक्ति से काम कर रहे हैं,

मानव हैं, मानवता वाला काम कर रहे हैं।

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।5।

सर्वे भवन्तु सुखिनः वाला काम कर रहे हैं,

भीड़ से बच कर रहो ये एलान कर रहें हैं,

एकान्तवास को सादर प्रणाम  कर रहे हैं,

नमः शिवाय राधेराधे, रामराम कर रहे हैं।

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।6।

नन्ही विषाणु क्षमता को सलाम कर रहे हैं,

महाशक्ति ये देख नमस्ते आम कर रहे हैं,

गाल बजावन वाले अपना काम कर रहे हैं,

कार्य करने वाले जमीनी  कार्य  कर रहे हैं।

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।7।

सैनिक, पुलिस सेवा धर्मी कार्य कर रहे हैं,   

स्वच्छता चिकित्सा क्षेत्र स्वकर्म कर रहे हैं,

कुछ तो मूक रह कर सब  काम कर रहे हैं,

हम चन्दन वन्दन इन्हें बारम्बार कर रहे हैं।           

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।8।

दिव्यात्माओं खैरमक़दम आम कर रहे हैं,

डमरू, घण्टा एवम शँख नाद कर रहे हैं,

तालीथाली मधुर भावना प्रसार कर रहे हैं,   

‘नाथ’ सारे कर्मवीरों को प्रणाम कर रहे हैं।

खास कोरोना भगाने का काम कर रहे हैं।9।

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वाह जिन्दगी !

मैं कहाँ, क्यों, किधर जा रहा हूँ ।

March 18, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

करना धरना नहीं कुछ भी मुझको,

मैं बात ही बात किए जा रहा हूँ।

है ये दुनियाँ, दिखावे की दुनियाँ,

घोर संत्राश ही मैं जिए जा रहा हूँ ।

मैं कहाँ क्यों किधर जा रहा हूँ ।1 ।

खोयी सम्वेदना खोये सपने सभी,

ताप पर ताप ही मैं पिए जा रहा हूँ।

मीत संग गीत है भावनाओं की कमियाँ,

फिर भी आलाप दिए जा रहा हूँ ।

मैं कहाँ, क्यों, किधर जा रहा हूँ ।2।

मेरे अपने ही छलते हैं देखो सभी,

घात पर घात सहे जा रहा हूँ।

खोए साथी खोई मन की दुनियाँ,

गम के सागर से मैं गा रहा हूँ।

मैं कहाँ, क्यों, किधर जा रहा हूँ  ।3।

खोई खुशियाँ खोए गीत अपने सभी,

गम की हालत मैं सुन पा रहा हूँ।

विश्वास करने पर भटका मैं गालियाँ,

बस घाव ही घाव मैं पा रहा हूँ

 मैं कहाँ क्यों किधर जा रहा हूँ ।4।

आगे पीछे नहीं कोई मेरे कभी,

गरल सन्ताप पिए जा रहा हूँ।

जिनके हर काम में ही थीं कमियाँ,

उनसे निर्देश मैं पा रहा हूँ

मैं कहाँ क्यों किधर जा रहा हूँ ।5।

मरना तो एक दिन है सबको कभी,

फिर क्यों क्रन्दन किए जा रहा हूँ।

बदली नज़रें गिरीं फिर बिजलियाँ,

बस मैं खुद में खोया जा रहा हूँ

मैं कहाँ, क्यों,किधर जा रहा हूँ ।6।

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दर्शन

तार्किक प्रत्यक्ष वाद के मूल भूत सिद्धान्त (Basic Principles Of LOGICAL POSITIVISM) 

March 16, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

तार्किक प्रत्यक्ष वाद के मूल भूत सिद्धान्त (Basic Principles Of LOGICAL POSITIVISM) –

तार्किक प्रत्यक्षवाद को समझने हेतु विविध तरीके हो सकते हैं सामान्यतः इसके मूल भूत सिद्धान्तों को जानकार अधिगमित किया जा सकता है। यहाँ सबसे सरलतम रूप रूप से समझाने का प्रयास किया गया है आपको केवल एक शब्द EDUCATION याद रखना है यहाँ एजुकेशन में शामिल एक एक अक्षर के आशय द्वारा समझाने का लघु प्रयास है –

E – Empowerment of Scientific And Logical Thinking.

D – Direct and Indirect Verifiability a Prominent Fact.

U – Universe an Independent Creation.

C – Comforts of Human beings a Priority.

A – All round development of a child is must.

T – Truthfulness of the world.

I – Imagination of God is illusion.

O – Obtained knowledge a basic necessity.

N – Necessity of scientific method,

उक्त आधार पर तार्किक प्रत्यक्ष वाद के मूल भूत सिद्धान्त (Basic Principles Of LOGICAL POSITIVISM)  की सरलतम अधिगमन सम्भव है।

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