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काव्य

कब तक सोओगे, पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।

January 29, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

शहीदों के खून के कतरे, ये विश्वास कर रहे हैं,

जागेगी नौजवानी इकदिन, अरदास कर रहे हैं,

जो नहीं, उनके सपनों का अहसास कर रहे हैं, 

कुछ लोग छद्मरूप रूप में, आघात कर रहे हैं,

कब  तक सोओगे,  पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।

यह कौन हैं,  जो दुश्मन जिन्दाबाद कह रहे हैं, 

ये गद्दार दूजे देश की,जय -जयकार कर रहे हैं,

हम जिनके घर निजशौर्य से आबाद कर रहे हैं,

उनमें से कुछ जन देश को, बरबाद कर रहे हैं।

कब  तक सोओगे, पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।

ये कौन हैं जो देश संग, इतना  घात कर रहे हैं,

अच्छी तरह पहचान लो,घात पे घात कर रहे हैं,

दुश्मन देश से सुर मिलाकर जो बात कर रहे हैं,

निश्चित देश से अपने वो, विश्वासघात कर रहे हैं।     

कब  तक सोओगे, पूर्वज, फरियाद कर रहे हैं।

रुख मोड़, गलत दिशा में, जज्बात कर रहे हैं,

बिनबात की बे बात ही मुखालफात कर रहे हैं,

जो हुई है और ना होनी है वही बात कर रहे हैं,

बस वो निज के स्वार्थ में मुक्कालात कर रहे हैं।     

 कब  तक सोओगे, पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।

देश का खा इस देश से भितर घात कर रहे हैं,

ये नर पिशाच  हैं देश के, फसादात कर रहे हैं,

इनपर नहीं है खुद का वश खुराफात कर रहे हैं,

किसी गैर के इशारे पर, मुश्किलात धर रहे हैं   

कब  तक सोओगे, पूर्वज फरियाद कर रहे हैं।

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काव्य

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

गंगा मेरी जमुना मेरी, हम भारत भाग्य विधाता हैं,

देशहित जान लुटाते हैं हम जागरूक मतदाता हैं।

हम इससे हैं ये हमसे है, जन्मों से हमारा नाता है,

भारत की मिट्टी पावन है, पावस यह जग नाता है।

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है ।।

दुनियाँ हमसे ही जन्नत है हम जन्नत भाव प्रदाता हैं,

कोई आतंक का कारण है हम प्रेम के अधिष्ठाता हैं।

जनगणमन अधिनायक हैं और हम शौर्य प्रदाता हैं,

सर्वे भवन्तु सुखिनः वाले हम जग के सङ्कट त्राता हैं।

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।।

करुणा की अविरल धारा गौमुख हैं तीव्र सपाटा हैं,

रुकने थकने का नाम नहीं ऊर्जा के सच्चे भ्राता हैं।

जिसका अध्याय हुआ पूरा हमको आँख दिखाता है,

रौद्ररूप नहीं दिखलाते पर आँख निकालना आता है।

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

दुष्टों के आकाओं का, अंतस  हमसे भय खाता है,

परमाणुशक्ति वाले हैं हम जोछुए हमें जलजाता है।

दोस्तों के दोस्त रहे हैं हम दुश्मन हमसे भयखाता है,

जो भी हमसे टकराता है हमें उसे मिटाना आता है।    

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

धरती पूजी नदियाँ पूजीं,पूजन से मन न अघाता है,

कृतज्ञ  वृक्ष प्रति भाव रखे, सबसे कृतज्ञता नाता है।

जो भारत उन्नति खातिर, स्वयं की बलि दे जाता है,

पूजनीय  होता  हमको, श्रद्धा का पात्र बन जाता है।

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

भगत, सुभाष का भारत है, चन्द्र शेखर से नाता है,

दिनकर भूषण जैसा मानस, गीत शौर्य के गाता है।

जो गद्दारी का काम करे और देशद्रोह भड़काता है,

वह इस पावनता के समक्ष अन्दर अन्दर थर्राता है।    

भारत जग नायक होगा, दिल हिन्दुस्तानी गाता है।

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वाह जिन्दगी !

हाँ, असम्भव के विरुद्ध एक युद्ध होना चाहिए।

January 25, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

जिन्दगी संघर्ष है उद्घोष होना चाहिए।

मानसिक उत्थान हेतु जोश होना चाहिए ,

छोड़ देता है भरोसा खुद पे मानव आज क्यों ?

निज सफलता का उसे विश्वास होना चाहिए।

हाँ, असम्भव के विरुद्ध एक युद्ध होना चाहिए।   

व्यग्रताएं छोड़कर स्वयं बुद्ध होना चाहिए।

वास्तविक उत्थान हित चित शुद्ध होना चाहिए।

छोड़ देता है मनुज सद्ज्ञान का फिर साथ क्यों ?

स्वयम के वर्चस्व हित प्रबुद्ध होना चाहिए।

हाँ, असम्भव के विरुद्ध एक युद्ध होना चाहिए।   

संघर्ष की ललकार तो स्वीकार होना चाहिए।

परिस्थिति कैसी भी हो न रोना धोना चाहिए।

छोड़ देता है विषम स्थिति में मानव साथ क्यों ?

भविष्य में उत्थान हित लयबद्ध होना चाहिए।

हाँ, असम्भव के विरुद्ध एक युद्ध होना चाहिए।   

अदम्य साहस शक्ति का संचरण होना चाहिए।

भाग्य का अवलम्ब तज अब करम होना चाहिए।

छोड़ देता है विषम स्थिति में मानव साथ क्यों ?

जन मनस प्रवृत्ति इसके विरुद्ध होना चाहिए।

हाँ, असम्भव के विरुद्ध एक युद्ध होना चाहिए।   

मन के बल से शक्ति का अवतरण होना चाहिए।

परिस्थिति इच्छा शक्ति का ही चरण होना चाहिए।

तोड़ देता है ये हिम्मत आज का इन्सान क्यों ?

संवेदना हिम्मत के संग हमवार होना चाहिए।

हाँ, असम्भव के विरुद्ध एक युद्ध होना चाहिए।   

अन्तः करण अनवरत ही गतिशील होना चाहिए।

सदमार्ग को सद् भाव के अनुकूल होना चाहिए।

मोड़ देता है मनुज मँझधार में मनभाव क्यों ?

मनभाव से जय वरण को क्रमबद्ध होना चाहिए।

हाँ, असम्भव के विरुद्ध एक युद्ध होना चाहिए।

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काव्य

वक़्त का पंछी सुनहरा उड़ गया तो उड़ गया।

January 22, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

वक़्त ने करवट बदल कर गुनगुनाया सुर नया,

मन्थर गति से चल समय नया मौसम बुन गया,

तब्दीलियों ने वक़्त की फिर गीत गाया धुर नया,

समय जो हिस्से का था यह नियति है गुम गया।

वक़्त का पंछी सुनहरा उड़ गया तो उड़ गया।

विगत का वह घन घनेरा बिना बरसे उड़ गया,

वक़्त के इस सितम से सीख लो कुछ गुर नया,

मैं तुम्हारे बीच से था इसलिए तुम में गुम गया,

स्पन्दन साज खो चला, गाऊँ कैसे मैं सुर नया।

वक़्त का पंछी सुनहरा उड़ गया तो उड़ गया।

शिखरपथ गर चाहते हो सीख लो ये गुण नया,

वक़्त से मिल के चल आगत सुनहरा बुन गया,

वक़्त सबके पास था जो रुकगया वो रुकगया,

जो कुशल था नभ चितेरा वही उससे जुड़गया।

वक़्त का पंछी सुनहरा उड़ गया तो उड़ गया।

जो भी पीछे रह गया अन्धेरे पथ पर मुड़ गया,

विजयी हुंकार सुन, आतंक सुर अब चुप गया,

सर्वजन के साथ से सरगम का बनता सुर नया,

वक़्त के संग गर चले सफलतम पथ चुन गया।

वक़्त का पंछी सुनहरा उड़ गया तो उड़ गया।

ऐसे ही तो आएगा इस धरा पर अब शुभ नया,

अब जड़ता छोड़दो पथ गुम गया तो गुम गया,

त्यागकर अतीत को पथ चुन नया हाँ चुन नया,

जीत के विश्वास से  रथ विजयपथ पर मुड़गया।

वक़्त का पंछी सुनहरा उड़ गया तो उड़ गया।

मैं वक़्त के संग चलरहा नवगीत मेरा बुन गया,

जो मेरी बाधा बने थे कलुष मन अब धुल गया,

मनस पर जो बोझा पड़ा था धीरे धीरे ढुल गया,

अविरल लघु प्रयास से यह तना बाना बन गया।

वक़्त का पंछी सुनहरा उड़ गया तो उड़ गया।  

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वाह जिन्दगी !

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।

January 15, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

आओ चलो, हम हर घर बसन्त करते हैं,

जीवन कल्याणार्थ रोम रोम संत करते हैं,

क्या करें ऐसा कि सुख अभिराम हो जाए,

इस हेतु आओ दुःख की पड़ताल करते हैं।

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

मुख्य सुख आरोग्य, इस पर काम करते हैं,

स्वास्थय सुधार हेतु हम प्राणायाम करते हैं,

सुबह ब्रह्म मुहूर्त योगासन के नाम हो जाए,

योगासन के प्रसार हेतु हम प्रयाण करते हैं।

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

परम दुःख अज्ञानता इस पर वार करते हैं,

विज्ञजन उठें भ्रमण से ज्ञान प्रसार करते हैं,

सद्ज्ञान प्रसार में जनजन का साथ हो जाए,

इसके प्रसार हित विवेकयुक्त काम करते हैं।    

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

ईर्ष्या एवं क्रोध पर संयम का बाँध रखते हैं,

दूजे के सुख से न जलने का काम करते हैं,

क्यों न हम सबमें प्रति-स्पर्धा भाव हो जाए,

स्वस्थ प्रति-स्पर्धा विकास में आओ रमते हैं।

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

और,और भाव से बचने का काम करते हैं,

सन्तोषम परम सुखम पुनः प्रधान करते हैं,

केवल आवश्यकता भर इन्तज़ाम हो जाए,

न्यूनतम आवश्यकता की पहचान करते हैं।

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

हम स्वस्थ हों निरोग हों ये प्रयास करते हैं,

सभी के काम आ सकें ऐसा नाम करते हैं,

जीवन अपने ही नहीं सबके काम आ जाए,

आओ स्वहित, सर्वहित पर कुर्बान करते हैं।  

यह जीवन हम सद्भावना के नाम करते हैं।।

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वाह जिन्दगी !

नाथों का नाथ बनना होगा।/Nathon Ka Nath Bananaa Hoga.

January 13, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

मैं दीपक हूँ उस मिट्टी का,

जिसका जलना आवश्यक है।

मैं बाती बनूँ तुम तेल बनो

कुछ का मिटना आवश्यक है।

ज्योति जलाने की खातिर

इतना तो अब करना होगा।

दुनियाँ कितना  जहर भरे

मिलजुलकर हमें रहना होगा।

जो खोटे सिक्के चल गए हैं

उनको अब फिर मिटना होगा।

नव दीप जले नव यौवन है

उसके हित कुछ करना होगा।

सामाजिक मर्यादा हित में

सबका जगना आवश्यक है।

राष्ट्रीय एकता की खातिर

सबको सबल बनाना होगा।

भारत को गढ़ने की खातिर

अब सबको बढ़ना होगा।

यह तेरा है वह मेरा है

इस भाव से अब बचना होगा।

मेरा भारत अपना भारत

चेतनता स्वर आवश्यक है।

भारतीय चेतना के हित में

पाठ सस्वर पढ़ना होगा।

तुम साथ चलो मैं साथ चलूँ

पथ को रौशन करना होगा।

ऊँचे लक्ष्यों को पाना है

हिम्मत का वरण करना होगा। 

मिलजुल चलने वाले पथ में

निश्चित काँटे भी आएंगे।

उनको भी हमें जलाना है

अति सावधान रहना होगा।

मानसिक रुग्ण हो रुक जाओ

बाकी को तो बढ़ना होगा।

बने हो तुम इस मिट्टी से

मर्यादा में बँधना होगा।

स्वर में दमखम भरने खातिर

मिट्टी से तो जुड़ना होगा।

तुम खूब बढ़ो और शिखर चढ़ो

पर जड़ से जुड़ रहना होगा।

उत्ताल तरंगे सागर की

हमको यह ही सिखलाती हैं।

ऊँची उठ जाओ कितनी भी

पर तल पर पग रखना होगा।

पृथ्वी कहती है मुस्काकर

तू स्वर ओजस्वी और बढ़ा

रखूँगी तुझे अन्तस्तल में

नाथों का नाथ बनना होगा। 

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वाह जिन्दगी !

मुक्ति मार्ग /MUKTI MAARG

by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

मानव स्वयम को जगत का सर्वोत्कृष्ट प्राणी मानता है। विभिन्न सन्त,महन्त,धर्म गुरु इस खिताब को मानव के पक्ष में रख कर श्रेष्ठ तन के रूप में व्याख्यायित करते हैं लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य के जघन्यतम अपराध यही मानव तो कर रहा है ऐसी स्थिति में कुछ महत्वपूर्ण सवाल चिन्तन को झकझोरते हैं 

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वाह जिन्दगी !

TIP TO TOP EXERCISE (2 )

January 3, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

[ खड़े  होकर व लेट कर किए जाने वाले सरलतम व्यायाम(अन्तिम भाग)]

महत्वपूर्ण लाभ (MAIN ADVANTAGE)-

 ये समस्त लाभ TIP TO TOP EXERCISE (1  ) वाले  हैं सुविधा की दृष्टि से पुनः दे रहे हैं –

01 – 6 फुट लम्बे व 4 फुट चौड़े स्थल अर्थात कम जगह में अपने घर पर इन्हें कर कर सकते हैं।

02 – शरीर के जोड़ सक्रिय रखने में सहायक है।

03 – शरीर में जकड़न की समस्या नहीं होती।

04 – लम्बी आयु तक शरीर सक्रिय रहता है।

0 5 – शारीरिक चुस्ती फुर्ती बनी रहती है।

0 6 – मोटे तगड़े लोग भी इन्हें मेरी तरह आराम से सुविधानुसार कर सकते हैं।

0 7 – दिनचर्या व्यवस्थित करने में सहायक है।

0 8 –  यह आरोग्य की ओर बढ़ाया सरल कदम है। 

0 9 – इसे सुविधानुसार हर आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं। 

10  – कम समय और बिना किसी साधन के किए जाना सम्भव है।

 क्रिया विधि (PROCEDURE)-

प्रातः शौच आदि से निवृत्त होकर फर्श ,तखत, दरी या अधिक घनत्व वाले गद्दे पर इन्हे किया जा सकता है। क्रम इस प्रकार रख सकते हैं –

(01)-खड़े होने के उपरान्त पैर की अँगुलियों को आगे पीछे मोड़ें।

(02)-पैर के पूरे पंजे को आगे, पीछे,घड़ी की दिशा व विपरीत दिशा में घुमाएं।

(03)- पैर के घुटने के व्यायाम हेतु इन पर दबाव बनाते हुए बैठने व उठने का उपक्रम अपनी क्षमता के अनुसार करें।

(04)- खड़े होकर कमर को क्लॉक वाइज व एन्टी क्लॉक वाइज चलाने का प्रयास करें।

(05)- हाथ की अँगुलियों से लड्डू बनाने की तरह आकृति बार बार बनाएं इससे अँगुलियों के हिस्सों को आराम       मिलेगा।

(06)-  कलाइओं के व्यायाम हेतु इसे भी क्लॉक वाइज व एण्टी क्लॉक वाइज घुमाएं।

(07)-  हाथ की कोहनी को बार बार क्षमतानुसार मोड़कर धीमी गति से व्यायाम करें।

(0 8)-  खड़े हो कर कन्धे के व्यायाम हेतु दाएं व बाएं हाथ से बड़े शून्य की आकृति क्लॉक वाइज व एन्टीक्लॉक वाइज बनाएं।

(09)- गले की माँस पेशियों के सम्यक व्यायाम हेतु अपने मुण्ड को क्लॉक वाइज व एण्टी क्लॉक वाइज क्षमतानुसार घुमाएं। यदि घूमाने में दिक्कत है तो ऊपर नीचे व दाएं बाएं भी घुमाया जा सकता है।  

(10)- बड़े शून्य की आकृति लेटकर दाहिने व बाएं पैरों से बनाने पर भी जांघ व पैर का सञ्चालन सुव्यवस्थित होता है।

(11)-  हाथों को परस्पर रगड़कर सिर में मसाज की तरह अँगुली चलाएं।

(12)-  पुनः हाथों को परस्पर रगड़कर मुख व गर्दन के आगे पीछे मालिश की तरह हाथ चलाएं।

नोट –

 *   इन समस्त क्रियाओं को  YOU TUBE पर Education Aacharya नाम से तलाश कर देखा व सब्सक्राइब किया जा सकता है। जिससे इस तरह के समस्त  वीडिओ आप तक पहुँच सकें।

*  गाल व कमर के व्यायाम पूर्व TIP TO TOP EXERCISE -1 की तरह ही होंगे।

 *  तत्सम्बन्धी चिकत्स्कीय परामर्श व्यायाम पूर्व योग्य चिकित्सक से अवश्य लें।       

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वाह जिन्दगी !

सद्भावों से जुड़ते जाना जीवन का सुन्दर लक्षण है ।

January 1, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

जीवन अपना जैसा भी है

प्रारब्धों का ही दरपन है।

सत्कर्म किए हमने जो भी

परिणामों का प्रत्यक्षण है।

सद्भावों से जुड़ते जाना

जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।

भारत मेरा जैसा भी है,

दैदीप्यमान आकर्षण है।

परिवर्तन इसमें हैं जो भी,

सब भारत को अर्पण हैं।

सद्भावों से जुड़ते जाना

जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।

लोकतन्त्र जैसा भी है

सद् भावों  का संघर्षण है।

लोगों ने भाव रखे जो भी

उन भावों का प्रत्यर्पण है।

 सद्भावों से जुड़ते जाना

जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।

जन जीवन जैसा भी है

मूल्यों से नहीं विकर्षण है।

लोगों के मूल्य हुए जो भी

सुन्दर शिव का सत्यर्पण है।

सद्भावों से जुड़ते जाना

जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।

अब का जगत जैसा भी है,

कल के कर्मों का वर्षण है।

घटनाक्रम घटित हुए जो भी

उनके फल का लोकार्पण है।

सद्भावों से जुड़ते जाना

जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।

सिद्धान्त क्षरण जैसा भी है,

उसका फल सबको अर्पण है।

रक्षा के प्रयास हुए जो भी

मानव के मन का तर्पण है।

सद्भावों से जुड़ते जाना

जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।

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