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शिक्षा

MEDIAN (मध्यांक)

August 10, 2024 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

मध्यांक की परिभाषा, उपयोग, गणना (Definition, Uses, Computation of Median) –

जब प्रदत्त आंकड़ों की केन्द्रीय प्रवृत्ति को ज्ञात करना हो तब माध्य के सहारे की आवश्यकता के विकल्प के रूप में माध्यिका का प्रयोग किया जाता है। मध्यांक की गणना में प्रदत्त आंकड़ों को जोड़ने की जगह उसे आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित कर गणनाकी जाती है।मध्यांक को ही माध्यिका भी कहा जाता है।

मध्यांक की परिभाषा (Definition of Median) – विविध विचारकों ने मध्यांक को पारिभाषित किया है उनमें से कुछ इस प्रकार हैं –

विकिपीडिया के अनुसार –

“माध्यिका सांख्यिकी और प्रायिकता सिद्धान्त में वह मान है जो सांख्यिकीय जनसंख्या, प्रायिकता बंटन या प्रतिचयन के पदों को दो बराबर भागों में इस प्रकार बांटता है कि आधे पद इससे बड़े तथा आधे पद इससे छोटे हों। जब पदों को परिमाण अनुसार आरोही या अवरोही कर्म में व्यवस्थित किया जाता है तब बीच वाला पद माध्यिका या मध्यक  कहलाता है। “

“Median in statistics and probability theory is the value which divides the terms of statistical population, probability distribution or sampling into two equal parts in such a way that half of the terms are bigger than it and half of the terms are smaller than it. When the terms are arranged in ascending or descending order according to the magnitude Then the middle term is called Median.

गिल्फर्ड (Guilford) महोदय के अनुसार –

“मध्यांक एक ऐसा बिन्दु होता है जिसके मापन के किसी एक स्केल पर ठीक आधे अंक ऊपर की तरफ तथा ठीक आधे अंक नीचे की तरफ होते हैं।”

“The median is defined as that point on the scale of measurement above which are exactly half the cases and below which are the other half.”

एच ई गैरट (H.E.Garrett) महोदय के अनुसार –

“जब अव्यवस्थित अंक या अन्य मापक्रम में व्यवस्थित हों तो मध्य का अंक मध्यांक कहलाता है।”

“When ungrouped scores or other measures are arranged in order of size, the median is the mid- point of series.”  

 एल आर कॉनर महोदय के अनुसार –

“माध्यिका आंकड़ों की श्रेणी का वह पद मूल्य है जो समूह को दो बराबर भागों में इस प्रकार विभाजित करता है, कि एक भाग में समस्त मूल्य माध्यिका से अधिक तथा दूसरे भाग में समस्त मूल्य माध्यिका से कम होता है। “

“The Median is that value of a series of the variable which divides the group into two equal parts, one part comprising of all values greater and the other all values less than the median.”

मध्यिका की उपयोगिता / Uses of Median –

यह स्वीकार किया जाता है कि यदि वितरण का केन्द्र विशेष रूप से मध्य में हो तो मध्यमान की अपेक्षा प्रतिदर्श विभ्रम (Sampling Error) माध्यिका में कम होती है। साथ ही इसकी विविध उपयोगिताओं को इस प्रकार क्रम दिया जा सकता है।

01 – अंक समूह का वास्तविक मध्य बिन्दु ज्ञात करने हेतु

02 – बहुलक हेतु

03 – केन्द्रीय प्रवृत्ति के अपेक्षाकृत कम शुद्ध मान हेतु।

04 – छोटे आंकड़ों के वितरण हेतु

05 – मध्यांक पर पद संख्या का प्रभाव ,पद मूल्यों का नहीं।

06 – मध्यांक का निर्धारण ग्राफ द्वारा सम्भव 

07 –असमान वितरण की स्थिति में उपयोगी

मध्यांक की गणना (Computation of Median) –

प्रदत्त आंकड़ों के आधार पर दो तरह से माध्यिका  की गणना की जाती है ।

1 – अव्यवस्थित आंकड़ों से मध्यांक की गणना

      (a )  – सम आँकड़े होने पर

      (b )  – विषम आंकड़े होने पर

2 – व्यवस्थित आंकड़ों से मध्यांक की गणना

आइए इन्हे सूत्र व उदाहरण के साथ अधिगमित करने का प्रयास करते हैं।

1 – अव्यवस्थित आंकड़ों से मध्यांक की गणना

      (a )  – सम आँकड़े होने पर – आंकड़ों की संख्या सम होने पर माध्यिका निकालने के लिए इस सूत्र को प्रयुक्त किया जाता है। लेकिन उससे पहले वितरण को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित कर लेते हैं।

मध्यांक  (Me) = {N /2 वां पद +(N /2 +1) वां पद } / 2 

यहाँ  N = पदों की सँख्या

एक उदाहरण के माध्यम से इसे और अधिक स्पष्ट किया जा सकता है।

EXAMPLE – निम्न आंकड़ों से मध्यांक की गणना कीजिए

8, 4, 7, 3, 13 , 9, 11, 12, 15, 14, 17, 19

हल –

आँकड़ों को आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर

3, 4, 7, 8, 9, 11, 12 , 13, 14 , 15, 17 , 19 

यहाँ आँकड़ों की संख्या = 12 ( सम ) = N

मध्यांक  (Me) = {N /2 वां पद +(N /2 +1) वां पद } / 2 

                       = {(12/2) वां पद +(12/2 + 1) वां पद}} / 2

                       =(6 वां पद + 7 वां पद) / 2

                       =(11 + 12) / 2

                        =23/2

  मध्यांक  (Me) =11.5               

      (b )  – विषम आंकड़े होने पर – आंकड़ों की संख्या विषम होने पर माध्यिका निकालने के लिए इस सूत्र को प्रयुक्त किया जाता है। लेकिन उससे पहले वितरण को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित कर लेते हैं।

मध्यांक  (Me) = (N +1)/ 2  वां पद   

यहाँ  N = पदों की सँख्या

एक उदाहरण के माध्यम से इसे और अधिक स्पष्ट किया जा सकता है।

EXAMPLE – निम्न आंकड़ों से मध्यांक की गणना कीजिए

8, 4, 7, 3, 13, 9, 11

हल –

आँकड़ों को आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर

3, 4, 7, 8, 9, 11, 13

यहाँ आँकड़ों की संख्या = 7 ( विषम )

मध्यांक (Mdn) = {(N+1) / 2} वाँ पद

                     = (7 + 1) / 2 वाँ पद

                     = 4  वाँ पद

 मध्यांक (Mdn) = 8 

2 – व्यवस्थित आंकड़ों से मध्यांक की गणना –

व्यवस्थित आँकड़ों से मध्यांक की गणना करने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है 

मध्यांक(Mdn) = L+ {(N/2- F)/ Fm }  X  CI

एक उदाहरण के माध्यम से इसे और अधिक स्पष्ट किया जा सकता है।

EXAMPLE – निम्न व्यवस्थित आंकड़ों से मध्यांक की गणना कीजिए।

C-I47-5142-4637-4132-3627-3122-2617-21
F    3    7      5   10    9     6     7

हल-

            C-I                 C-I            F             CF
         47-51         46.5 – 51.5            347
         42-46         41.5 – 46.5            744
          37-41         36.5 -41.5             537
     ↦  32-36         31.5 -36.5             1032↦
          27-31         26.5 -31.5             922
           22-26         21.5 – 26.5             613
           17-21         16.5 – 21.5             77

                                                                                         N=47

L=31.5, N/2=47/2=23.5, F=22, Fm =10,C-I =5

मध्यांक(Mdn) = L+ {(N/2- F)/ Fm }  X  CI

मध्यांक(Mdn) =31.5+{(23.5- 22)/10}5

मध्यांक(Mdn) =31.5+0.15 X 5

मध्यांक(Mdn) =31.5+0.75

मध्यांक(Mdn) =32.25

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शिक्षा

MEAN/ माध्य 

August 4, 2024 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

माध्य  [MEAN]

माध्य की परिभाषा, उपयोग, गणना(Definition, Uses, Computation of mean) –

सांख्यिकी की दुनियाँ में केन्द्रीय प्रवृत्ति की माप एक क्रान्ति से कम नहीं है, यद्यपि इसमें कई तरह के मध्यमान,मध्यांक और बहुलांक की गणना शामिल है लेकिन इस अंक में हम यहॉं केवल माध्य जिसे कुछ लोग समान्तर माध्य या अंक गणितीय माध्य के नाम से भी जानते हैं, के बारे में अध्ययन करेंगे और इस अध्ययन में मुख्यतः इसकी परिभाषा, उपयोग और गणना को शामिल करेंगे।

माध्य की परिभाषा (Definitions of mean) – जब किसी आंकड़े में प्राप्त अंकों का योग करके उस समूह की कुल संख्या (N) द्वारा विभाजित किया जाता है और इस प्रक्रिया के माध्यम से जो संख्या प्राप्त होती है उसे उस समूह का मध्यमान (Mean) कहा जाता है।

विकिपीडिया के अनुसार –

”समान्तर माध्य वह मूल्य है ,जो किसी श्रेणी के समस्त पदों के मूल्य के योग में उसकी संख्या का भाग देने से प्राप्त होता है।“

आंग्ल अनुवाद

“The arithmetic mean is the value which is obtained by dividing the sum of the values ​​of all the terms of a series by its numbers.”

रेबर और रेबर  के अनुसार –

” मूल्यों या प्राप्तांकों के समूह को मूल्यों या प्राप्तांकों की संख्या से भाग देना ही अंकगणितीय मध्यमान कहलाता है।“

 ” Arithmetic mean is the sum of a set of value or score divided by the number of value or score.”

ग्लीट मैन के अनुसार –

“किसी अंक सामग्री के समस्त अंकों के योगफल को उन अंकों की संख्या से भाग देने से जो भाग फल प्राप्त होता है उसे मध्यमान कहते हैं।“

“The mean is the sum of the separate score of the measures divided by their number.”

माध्य का उपयोग(Uses of mean) –

01 – गणना में सरलता के कारण इसकी अधिक लोकप्रिय ढंग से उपादेयता है।

02 – अनुमानित न होने की वजह से यह यथार्थ के निकट मानकर उपयोग में लाया जाता है क्योंकि इसे ज्ञात करने की एक निश्चित विधि व सूत्र है। 

03 – केंद्रीय प्रवृत्ति में इसे तुलना का महत्त्वपूर्ण आधार मानकर प्रयोग करते हैं।

04 – वितरण के प्रत्येक अंक को स्थान मिलने के कारण इसकी विश्वसनीयता अधिक है।

 05 – अधिगम में सरलता के कारण भी यह अधिक उपयोगी है।

06 – शुद्ध और विश्वसनीय गणना हेतु इसकी अधिक उपयोगिता है।

माध्य की गणना (Computation of mean) –

अव्यवस्थित और व्यवस्थित आंकड़ों के मध्यमान हेतु  सामान्य रूप से यह विधियाँ प्रयोग में लाई जाती हैं –

1- अव्यवस्थित आंकड़ों का मध्यमान [Mean of unsystematic data]

2 – व्यवस्थित आंकड़ों का मध्यमान [Mean of systematic data]

  1. अव्यवस्थित आंकड़ों का मध्यमान [Mean of unsystematic data]-

यदि आंकड़े बिखरे हुए या अव्यवस्थित हों तो इस तरह के आंकड़ों का मध्यमान निम्न सूत्र के माध्यम से ज्ञात किया जाता है –

मध्यमान (M ) = ∑X / N

∑X = आंकड़ों का योग

N = आंकड़ों की संख्या

उदाहरण /Example –

प्रश्न  – निम्न अवव्यवस्थित आंकड़ों के मध्यमान की गणना कीजिए।

32, 36, 37, 39, 43, 47

हल – उक्त प्राप्तांकों के अनुसार

N = आंकड़ों की संख्या = 6

∑X = आंकड़ों का योग = 32+ 36+ 37+ 39+ 43+ 47 = 234

मध्यमान (M ) = ∑X / N = 234/6 = 39

प्रश्न  – इस वितरण में राम और श्याम के विगत 5 माह के प्रयुक्त विद्युत् यूनिट दिए गए हैं  दोनों का विगत 5 माह की  विद्युत खपत का मध्यमान ज्ञात कीजिए।   

क्रमाङ्क  12345
राम के यूनिट  142145168131150
श्याम के यूनिट  232243254212249

हल – उक्त प्राप्तांकों के अनुसार

N = माह की संख्या = 5

∑X = राम के यूनिट  का योग = 142+ 145 + 168 + 131+ 150 = 736

राम के यूनिट  का मध्यमान (M ) = ∑X / N = 736/5 = 147.2

N = माह की संख्या = 5

∑X = श्याम  के यूनिट  का योग = 232 + 243 + 254 + 212 + 249 = 1190

श्याम के यूनिट  का मध्यमान (M ) = ∑X / N = 1190/5 = 238

2 – व्यवस्थित आंकड़ों का मध्यमान [Mean of systematic data]  –

अभी जिन आंकड़ों का मध्यमान ऊपर निकाला गया है वह सरल है क्योंकि सीमित अर्थात कम आंकड़ों का प्रयोग किया है जब आँकड़े बहुत ज्यादा होते हैं तो मध्यमान को अन्य विधियों द्वारा ज्ञात किया जाता है। विस्तृत, जटिल तथा व्यवस्थित आंकड़ों से मध्यमान ज्ञात करने की दो विधियाँ प्रचलित हैं।

मध्यमान (दीर्घ विधि द्वारा गणना) – दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है –

मध्यमान (M ) = ∑f. X / N

M = मध्यमान (Mean)

∑ = योग का चिन्ह

f  = आवृत्ति

X = वर्गान्तर का मध्य बिन्दु 

N = आवृत्तियों का योग

f. X = आवृत्ति और वर्गान्तर मध्यमान का गुणनफल

इस सूत्र के प्रयोग को निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है ।

उदाहरण /Example –

प्रश्न  – निम्न आवृत्ति वितरण से दीर्घ विधि द्वारा मध्यमान की गणना कीजिए।

वर्ग अन्तराल0-45-910-1415-1920-2425-29
f479111514

 हल – उक्त प्राप्तांकों के अनुसार

वर्ग अन्तराल C- Iमध्य बिन्दु ( X)आवृत्ति( f)f. X
25-292714378
20-242215330
15-191711187
10-14129108
5-977  49
0-424    8
  N = 60∑f. X = 1060

 दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है –

मध्यमान (M ) = ∑f. X / N

M = मध्यमान (Mean)

∑ = योग का चिन्ह

f  = आवृत्ति

X = वर्गान्तर का मध्य बिन्दु 

N = आवृत्तियों का योग

f. X = आवृत्ति और वर्गान्तर मध्यमान का गुणनफल

मध्यमान (M ) = ∑f. X / N

                         =1060 / 60

                         = 17.666

                         =17.67

मध्यमान (लघु विधि द्वारा गणना) – दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु निम्न सूत्र का प्रयोग किया जाता है –

मध्यमान (M ) = A,M + (∑f. d / N) x i

M = मध्यमान (Mean)

A.M = कल्पित माध्य

∑ = योग का चिन्ह

f  = आवृत्ति

d= कल्पित मध्यमान से विचलन

N = आवृत्तियों का योग

f. d = आवृत्ति और मध्यमान से विचलन का गुणनफल

उदाहरण /Example –

प्रश्न  – निम्न आवृत्ति वितरण से लघु विधि द्वारा मध्यमान की गणना कीजिए।

वर्ग अन्तराल0-45-910-1415-1920-2425-29
f479111514

हल – उक्त प्राप्तांकों के अनुसार

वर्गअन्तरालC-Iआवृत्ति( f)कल्पित मध्यमान से विचलन (d)fXd
25-2914342
20-2415230
15-1911111
10-14 (कल्पित माध्य वर्ग)900
5-97-1-7
0-44-2-8
 N = 60 ∑f.d=68

– दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु  सूत्र  –

मध्यमान (M ) = A,M + (∑f. d / N) x i

M = मध्यमान (Mean)

A.M = कल्पित माध्य

∑ = योग का चिन्ह

f  = आवृत्ति

d= कल्पित मध्यमान से विचलन

N = आवृत्तियों का योग

f. d = आवृत्ति और मध्यमान से विचलन का गुणनफल

–दीर्घ विधि द्वारा गणना करने हेतु  सूत्र  –

मध्यमान (M ) = A,M + (∑f. d / N) x i

A,M =(10+14)/2=12

∑f. d = 68

N = 60

I = 5

मध्यमान (M ) = A,M + (∑f. d / N) x i

                      =12+(68/60) X 5

                      =12 +5.666

                      =17.666

                      =17.67

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