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वाह जिन्दगी !

संग्राम तय करना पड़ेगा ।Sangram Tay Karna Padega,

May 27, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

शाश्वत नियम है परिवर्तन सहज हो वरना पड़ेगा ।

जड़त्व, ठहराव, स्थिरता मोह तज चलना पड़ेगा ।।

गर इस चक्कर में पड़े तो समय तुम्हें पिछड़ा कहेगा ।

प्रगति हमराह को बदलता ताललय सुनना पड़ेगा ।1।

देखना नव प्रभात में, दिन मान पुनः ऊपर उठेगा।

आशा का दामन पकड़ विश्वास से कोपल खिलेगा।

विश्वास को तुम साध लेना फिर मनस ऊँचा उठेगा।

पुरातन इस धरातल पर, नव शुभ्र सा उगने लगेगा।2।

वेदना का मर्म जान कर नव कारवाँ जुड़ने लगेगा।

मर्माशय भेद का समझ मर्मज्ञ मनस बनने लगेगा।

सारे भावों को समझ यह मन मनन करना लगेगा।

सुशासन समागम पर शुभ लाभ नव जुड़ने लगेगा ।3।

नेपथ्य में कुछ शोर है, नेतृत्व सहज करना पड़ेगा।

भीड़ सारी दिशा हीन, दिशाबोध से जुड़ना पड़ेगा।

पत्तियों को जल दिया तो, फर्क भूतल क्या पड़ेगा।

सोच कर सब बातें हवाई जमीन से जुड़ना पड़ेगा।4।

सोचना ये सब छोड़ दें कौन कबकब क्या कहेगा।

आत्मबल केवल सद्कर्म कर संग तेरे रैला चलेगा।

सच से बिल्कुल मत भटकना धैर्य से बढ़ना पड़ेगा।

धैर्य, संयम, वीरता संग उत्साह मेल करना पड़ेगा ।5।

छोड़ दो दुर्भावना सब राष्ट्रवाद अब गढ़ना पड़ेगा।

धीमी गति कुछ नहीं अब, तीव्रता से बढ़ना पड़ेगा।

सीख है इतिहास की, कौशल बदल चलना पड़ेगा।

‘ नाथ ‘ डर कर कुछ नहीं संग्राम तय करना पड़ेगा ।6।

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काव्य

त्रास मत दीजिए।Traas Mat Deejiye,

May 23, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

मूल्य की सीढ़ियाँ सत्यपथ पर बढ़ें

त्रास मत दीजिए, त्रास मत दीजिए।

बाँसुरी का जमाना, विदा हो चुका

ओज ले वीरपथ अनुकरण कीजिए।।

इस कठिन दौर में हम सभी चल रहे

अब न आराम है, काम ही काम है।

थम गए तुम अगर लक्ष्य कैसे मिले

प्रगति जिन्दगी शुभ का नव नाम है।

कर्म पथ से, कहीं  अब  भटकें नहीं

अनुसरण कीजिए अनुसरण कीजिए।

मूल्य की सीढ़ियाँ …….. …….. ……..

कुछ सभी काम में खामियाँ खोजते

नहीं करते हैं कुछ और बस बोलते ।

उन  सभी से निवेदन,  यही है यही 

छोड़ मन भेद निश्चित कर लो अभी।

सारे आदर्श,  मिल जाएंगे  देश  में

अनुगमन कीजिए,अनुगमन कीजिए।

मूल्य की सीढ़ियाँ …….. …….. ……..

दृढ़  प्रतिज्ञा करें, आत्म निर्भर बनें

कर्म हो सर्व प्रथम फिर सपने गढ़ें।

अति कुशल, हम बनें व आगे बढ़ें

तोड़ दें रूढ़ियाँ हर दम आगे चलें।

देशहित में सभी भेद तज दें अभी

आइए सौम्यपथ का वरण कीजिए।

मूल्य की सीढ़ियाँ …….. …….. ……..

कुल घाती कुछ तो रहेंगे संग सदा

वक़्त के साथ, वो भी बदल जाएंगे।

जो भटकते रहे स्वार्थवश ही सदा

वो कब तक भला अब बच पाएँगे।

मुख्य धारा, बुलाती सदा ही  रही

नाथ अब प्रेमरस आचमन कीजिए।

मूल्य की सीढ़ियाँ …….. …….. ……..

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काव्य

हमें सोने नहीं देतीं।/ Hamen Sone Naheen Deteen.

May 22, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

तेरी यादों की बारातें

हमें  सोने नहीं  देतीं।

गुम होनाभी अगर चाहूँ,

तो गुम होने नहीं देतीं।।

जाने क्यों खूबसूरत से

वो मञ्जर याद आते हैं।

उन्हें ग़र भूलना चाहूँ,

भुलाने भी नहीं देतीं ।।

बूढ़ा  हो  गया  हूँ  मैं

कशिश यादों में बाकी है।

उनसे बचना  गर चाहूँ

तो बचने भी नहीं देतीं ।।

नाबीना हो गया हूँ मैं

यादों में नूर बाकी है।

चाहूँ गर्दिश में मैं खोना,

तो खोने भी नहीं देती ।।

आँधीअंधड़ की मौसम से

अजब सी, दोस्ती है ये

नाथ आँसू लरजते हैं

बरसने भी नहीं देतीं ।।

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वाह जिन्दगी !

अध बुना था स्वपन ……..

May 21, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

अध बुना था स्वपन अधबना रह गया

सिलसिला जो रुका, तो रुका रह गया। 

वक़्त ने तंग दिल चाल कुछ ऐसी चली

जो रुका जिस जगह वह वहीं रह गया।

मैंने  चलने की पुर जोर कोशिश  करी

क्या करूँ पीछे पर काफिला रह गया।

आँधिया यादों की क्यों कर भारी पड़ीं

तब मैं ज्यों बुत बना त्यों बना रह गया।

तेरी स्मृति में, अँखियाँ  भी पथरा गयीं

जिस जगह पे पड़ा था अड़ा रह गया।

मेरे मन की तपन हर दम  बढ़ने लगी

मेरा सबकुछ जला बस धुआँ रह गया।

मिलन की भावना, प्रणय  सीढ़ी  चढ़ीं

तन तो, सारा जला पर मनस रह गया।

बेरुखी ने, सितम का शिखर छू लिया

नाथ जड़वत खड़ा था, खड़ा रहगया। 

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Uncategorized•वाह जिन्दगी !

दीर्घ कालिक युवा ऊर्जा बनाये रखने के उपाय।

May 18, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

दीर्घ कालिक युवा ऊर्जा बनाये रखने के उपाय | Way to keep yourself young for long time

हमें जीवन पर्यन्त क्रियाशील रहने के लिए और शैथिल्य या बुढ़ापे में भी युवाओं जैसी ऊर्जा बनाये रखने हेतु मष्तिस्क की जाग्रत स्थिति बनाये रखने के लिए निम्न बिंदुओं पर कार्य करना होगा।

महत्त्वपूर्ण तथ्य  ( Important Facts )-

(0 1) – मष्तिस्क के वातायन में सकारात्मक विचारों के नवीनतम झोंके आने दें।

(0 2) – मष्तिस्क को आदेश दें कि हमेशा सक्रिय रहना सम्भव है।

(0 3) – हल्का व्यायाम हमारी दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए।

(0 4) – प्रतिदिन प्राणायाम अवश्य किया जाना चाहिए।

(0 5) – टहलना एवम् खुश रहना चमत्कारिक प्रभाव देगा।  

(0 6) – सुपाच्य भोजन, फल आदि ग्रहण करके पेट ठीक रखा जाना चाहिए। 

(0 7) – जल की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें।

(0 8) – स्वच्छ वस्त्र ,शुचिता एवं एवम् उत्तम वातावरण में रहें।

(09) – आध्यात्मिक चिन्तन को दिनचर्या का अनिवार्य अंग बनाएं।

(10) – कम बोलें, खुश रहें, खुश रहने दें के सिद्धान्त पर कार्य करें।   

(11) – अपने से कम उम्र के लोगों से मिलें उनके अच्छे विचारों का स्वागत करें।

(12) –  पुरानी अनावश्यक वस्तुओं के मोह से बचें।

(13) – अनावश्यक वस्तु एवम् विचार संग्रह न करें।

(14) –  यथोचित व यथा समय पर्याप्त नींद लें।

                        उक्त तथ्यों से जुड़कर आप अवश्य कह उठेंगे, वाह जिन्दगी।

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काव्य

सर्वेश्वर कर देते हैं।/Sarweshwar Kar Dete Hain,

May 16, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

ईश्वर ईश अंश को सब गुण दे देते हैं

गुण देकर समस्त विकार वे ले लेते हैं 

तब भी मानव मन से त्रुटि हो जाती है

कृपासिन्धु क्षमा मानव को कर देते हैं। 1

शक्ति मद में चूर, प्रभु को तज देते हैं

फँस सङ्कट में नाम प्रभु का वो लेते हैं

अहंकार मद में बुद्धि खो सी  जाती है

दयानिधान दया का दान स्वतः देते हैं।2

आदत से मज़बूर गलत पथ हम लेते हैं

जानबूझ के मिथ्या आचरण कर देते हैं

यह करने में, शक्ति सारी खप जाती है

शक्तिनिधान क्षमाकर, शक्ति दे देते हैं।3

गलती का अम्बार ग़लत पथ ले लेते हैं

वरण ग़लत आदत का हम कर लेते हैं

जगें ग़लत विचार सौम्यता खो जाती है

पर मेरे ईश को बार बार दया आती है।4

जीवन, नश्वरता का बोध, वो दे देते हैं

मत खो जाना इसमें, सुबुद्धि दे देते हैं

माया भ्रम में, बुद्धि यह मारी जाती है

फिर भी वे प्रमुदित मन दिशा दे देते हैं ।5

ऐसा क्यों है  ग़लत राह हम क्यों लेते हैं

जो हम को अप्रिय, वह क्यों कर देते हैं

ऐसा करने में क्यों सुमति मारी जाती है 

कृपा अकारण ‘नाथ’ सर्वेश्वर कर देते हैं। 6 
।  

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काव्य

हे कर्म वीरों नमन है तुमको …….

by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

हे कर्म वीरों नमन है तुमको

उजाला लेकर घर आ रहे हो

हमें पता है बहुत कष्ट में हो

मुख पर स्मितभाव ला रहे हो ।

सारा जहाँ तुमसे ही है रोशन

तुम्हीं तो श्रमकण गिरा रहे हो

हम जानते हैं, तुम तप रहे हो

तप स्वर्ण आभा सी ला रहे हो ।

हे श्रम वीरों नमन है श्रम को

श्रम से ही आभा फैला रहे हो

चला कर चक्के उद्योगों के

जीवन को सुन्दर बना रहे हो ।

वर्षा, जाड़े, धूप में डट कर

मेहनत का रंग दिखा रहे हो

अपने सपने छोड़ कर सारे

आगत के सपने सजा रहे हो ।

जिन्दादिली के तुम रहबर हो

सबक मेहनत का सिखा रहे हो

खून, पसीने से सींच के भू को

प्रगति के पथ पर ले जा रहे हो।

मुहब्बत के हो सच्चे मसीहा

पैग़ाम यह ही, फैला रहे हो

उठी जो मानस में हैं दीवारें

सभी को तुम ही ढहा रहे हो।

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वाह जिन्दगी !

ये नर तन तो बस माटी है।/Ye Nar Tan To Bas Maati H,

May 14, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

ये नर तन तो बस माटी है

आओ, हम इसमें अर्थ भरें,

यह जीवन इक परिपाटी है

अतः दिशा इसकी तय करें ।1।

इस लघु मिट्टी के बरतन में

धर्म अर्थ काम व  मोक्ष भरें

अनुपात सही तय करने में

ऋषि, मुनियों का मार्ग वरें ।2।

ऋषि मुनि का सन्देश वही

हम सद्अर्थों का भान करें

पोंगा पन्थी और रूढ़ न हों

कालानुसार  व्यवहार  करें ।3।

धर्म के सच्चे अर्थ ग्रहण हों

धरम में अब  न अधर्म भरें

संहार हमारा कर्म नहीं हो

रचना पालन का कर्म करें ।4।

जिस आचार में मूल्य न हो

उस पथ पर, पग नहीं धरें

सत्यम्, शिवम्, सुंदरम हों

तो खतरा लेकर, मूल्य वरें ।5।

जनम संग मृत्यु निश्चित है

सहज भाव, स्वीकार  करें

सत, रज, तम भाव शेष है

‘ नाथ ‘ उचित संयोग करें ।6।

ये नर तन तो बस माटी है

आओ, हम इसमें अर्थ भरें,

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काव्य

मैं हूँ एक आचार्य देश का ……..

May 13, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

मैं हूँ एक आचार्य देश का

सीधे मन से बोल रहा हूँ।।

आचार्यों की स्थिति क्या है

राज सिरे से खोल रहा हूँ

बात पुरातन की अब क्या है

नए सिरे से सोच रहा हूँ ।1 ।

आज़ादी के काल से सोचो

मैं बिन भाव बिन मोल रहा हूँ

नेताओं इस देश के सोचो

आश्वासन कबसे तौल रहा हूँ ।2 ।

तुमने पाली सारी समस्या

मैं समाधान का घोल रहा हूँ

तुमने भ्रम में डाली तपस्या

मैं बस मारग खोज रहा हूँ ।3।

तुम सारे झगड़े की जड़ हो

मैं बस मट्ठा घोल रहा हूँ

तुम साधन के भारी गढ़ हो

मैं टकरा सर फोड़ रहा हूँ ।4।

तुमने केवल अपनी सोची

मैं दुनियाँ की सोच रहा हूँ

तुमने चमकाई निज कोठी

मैं झोंपड़ सिर मौर रहा हूँ ।5।

शिक्षा मद में खर्च न करते

मैं जन आशा ढोल रहा हूँ

तुम भौतिकता में रत रहते

मैं आदर्शवादी खोल रहा हूँ ।6।

अस्तित्व हमारा सङ्कट में है

सिंहासन कहता सोच रहा हूँ

जीवन रथ अब कण्टक में है

वे कहें सोच के बोल रहा हूँ ।7।  

तुम लक्ष्मी पूजा में रत हो

मैं चिथड़ों को ओढ़ रहा हूँ

न शिक्षा पर शासन कवच है

मैं असहाय सा डोल रहा हूँ ।8।

शिक्षा को बौना कर दोगे

मन की गाँठे खोल रहा हूँ

ना सोचोगे मिट जाओगे

चाणक्य चोटी खोल रहा हूँ ।9।

खुद को नीति नियन्ता कहते

आशय इसका खोज रहा हूँ

तुम अनीति में डूबे रहते

‘नाथ’ मूल्य मैं खोज रहा हूँ ।10।

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काव्य

मनन है अब भी अधूरा/Manan H Ab Bhi Adhoora.

May 11, 2020 by Dr. Shiv Bhole Nath Srivastava No Comments

हड़बड़ा कर उठ गया था स्वप्न ने क्या रंग दिखाए

जो भी मानस पटल पर थे दृश्य सुन्दर मन रिझाए

कल्पना संजोए उड़ रहा था चित्र बन पाया न पूरा

मनन  है अब भी  अधूरा, मनन  है अब भी अधूरा ।1।

योग की शाला लगी थी शृद्धा तन – मन में भरी थी

पूर्ण सारी हो रही थी, मन में  मधुर आशा लगी थी

आशा नहीं वो लालसा थी ज्यों बेल पत्री संग धतूरा 

मनन  है अब भी  अधूरा, मनन  है अब भी अधूरा ।2।

यज्ञपूजन चल रहा था यजमान भी सब हवन में थे

मन्त्रोच्चारण हो रहा था पर भाव यूँ  ही अनमने थे

मानव सबसे श्रेष्ठ रचना पर ध्यान हो पाया न पूरा  

मनन  है अब भी  अधूरा, मनन  है अब भी अधूरा ।3।

यम नियम का भान भी था, ज्ञान का संज्ञान भी था

आसन व प्राणायाम भी था समाधि इन्तजाम भी था

लेकिन फिरभी दिख रहा था धारणा कारज अधूरा   

मनन  है अब भी  अधूरा, मनन  है अब भी अधूरा ।4।

ज्वार जैसा उठ रहा था सद् भावनाएं भी प्रबल थीं

समन्दर पूरे उरोज पर था घनघटाएं उमड़ रहीं थीं

चला पूरे जोश में था पर आत्म विश्वास संग फितूरा   

मनन  है अब भी  अधूरा, मनन  है अब भी अधूरा ।5।

तन प्रयाण कर रहा था तब साथी सम्बन्धी भी आये

लोक कार्य सब कर चला था मोक्ष के सपने न आए

मृदङ्ग, ढोलक बज रहा था ‘ नाथ ‘ संग था तानपूरा      

मनन  है अब भी  अधूरा, मनन  है अब भी अधूरा ।6।   

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