सिर्फ रैली निकालने से नहीं होगा,

किया है काम तो खुद ही बोलेगा ,

तुम समाज तोड़ने का खेल खेलोगे,

इकदिन सिर पकड़ कर रो लोगे।

 

सच्चाई परतों से बाहर आती  है ,

झूठ की  बदबू भी सूँघी जाती  है।

आवाम  सरलता में मारी जाती है,

पता है कि,गलती तुमने क्या की  है।

 

कब  तलक उसे  यूँ ही  भरमाओगे,

याद रखो कि किए की सजा पाओगे।

धन- दौलत जो  भी  तुम   बनाओगे,

यहाँ से कुछ नही साथ ले जा पाओगे।

 

कर्म -फल    ही   साथ   तेरे    जाएंगे,

आँसू  रख  लो  तुम्हारे  काम  आएंगे।

पछता,पछताकर जब तुम इधर देखोगे,

अपने  दुष्कृत्यों के काले मञ्जर  देखोगे।

 

करोगे याद और हर बात याद आएगी,

तुम्हारे दुष्कर्मों से कौम  भी शर्माएगी ,

काश ये अपने  वंश में  न  पैदा होता ,

या कि मर जाता जब ही ये पैदा होता।

 

इसलिए काम नेक करने का ठेका ले लो,

बुरे  कर्मों  से   बुराई  से  तौबा  कर  लो ,

अच्छे कर्मों की गर दौलत तुम कमा लोगे,

स्वर्णिम अक्षर में  इतिहास में अमर होगे।

Share: