माँ बच्चे को हाथ का साथ देती है।
प्रथम गुरु रूप में योगदान देती है।
निज चेहरे पर शिकन ओढ़ लेती है
शिशु मुस्तकबिल को दिशा देती है । ।
अद्भुत पीड़ा है, जो सुकून देती है,
सब दर्दोगम सह, ओठ सी लेती है,
शिशुमुख देख खुशी से जी लेती है,
माँ तो माँ है रो लेती है,हंस लेती है ।।
धैर्य से सारा परिवार, संजो लेती है,
अपमान के अश्रुघूँट भी पी लेती है,
अपने सपनों में नवरंग नहीं लेती है
शिशु प्रगति अरमान ले जी लेती है ।।
वह स्वयम के लिए कुछ नहीं लेती,
परिवार की झोली, भर ही देती है।
सर्व न्यौछावर कर परिवार खेती है,
तिलतिल जल घर द्वारसजा देती है।
माँ कर्जे में डूब बलैयाँ ले लेती है
वो ममता हमें ऋणी कर देती है
तपस्वी तप को वही दिशा देती है,
जीवन मन्थन हलाहल पी लेती है ।।
भूख,चोट,पीड़ा सभी सह लेती है,
फूँक से भी अनन्त प्यार दे देती है,
जादुई फूँक में प्यार उड़ेल देती है,
हर लाल को कर्जदार कर देती है।।
समय का हर निशाँ चहरे पे लेती है
जो चीख कर हम सबसे कह देती है,
हर सलवट में वो दर्द छिपा लेती है
खास आसविश्वास से माँ जी लेती है ।।
आँसू पी पीकर निज ग़म खा लेती है,
पावन सद आशीष हमें वो दे देती है,
यथा शक्ति सारे अवगुण हर लेती है,
नवजीवन हेतु आत्मबोध भर देती है ।।