इतने सब,जो सपने आए कहाँ गए,
सपने में जो अपने आए, कहाँ गए,
देखो,हम घर बार छोड़कर बैठे हैं,
सारा कारोबार, छोड़कर बैठे हैं।
मेरी मछली खाकर वो किधर गए,
कर्जा ले भइया अब वो खिसक गए,
देखो, वो तो तिलक लगाए बैठे हैं,
सबके हिस्से का मुर्गा, खाए बैठे हैं।
उनके सिरसे बाल न जाने कहाँ गए,
नए नए टोटके उनको सिखा गए,
देखो,बालों का व्यापार चलाए बैठे हैं,
तरह तरह के गुर अजमाए बैठे हैं।
नकलची नकल में पकड़ा था हमने,
फेल हुआ, कई बार, वो कॉलेज में,
देखो कॉलेज, व्यापार बनाए बैठे हैं,
शिक्षामन्दिर पर घात लगाए बैठे हैं।
कॉलेज के पंखे टोंटी जो पचा गया,
कई लोग कहते थे जाने कहाँ गया,
देखो,नेता वाली कैप लगाए बैठे हैं,
नकली प्रगतिजाल बिछाये बैठे हैं।
वादोंका सिरमौर हुआ करता था,वो,
भाषण लच्छेदार दिया करता था,वो,
देखो खाँसखाँस,फाँस लगाए बैठे हैं,
सब दुनियाँ दागदार बताए बैठे हैं।
मोटावाला थुलथुल बाबा कहाँ गया,
चलने से लाचार फिर भी चला गया,
देखो,वेट घटे, दूकान लगाए बैठे हैं,
नकली कारोबार चलाए बैठे हैं।
सूखे,अच्छनमियाँ शहर से भाग गए,
लम्बे अरसे बाद यहाँ पर प्रकट भए,
देखो,फिटनेस दरबार लगाए बैठे हैं,
सुगठित होनेका प्रचार कराए बैठे हैं।
पैठ थी, मलाईदार पद पर चले गए,
रोग उनके लाइलाज होते चले गए,
देखो,चेहरा रॉबदार बनाए बैठे हैं,
जुए में पकड़े गए,मार खाए बैठे हैं।
अच्छे पद पर, रिश्वत लेते धरे गए,
जाने किसके पैसे खाकर चमक गए,
देखो,सर्वसुधारक बोर्ड लगाए बैठे हैं,
रिश्वत के पैसे पर, अब भी एैंठे हैं।
देशहित छोड़ स्वार्थ करते चले गए,
हमने उनको अपना माना,ठगे गए,
देखो,आपस में लड़ने तैयार बैठे हैं,
दुश्मन वहाँ नहीं,यहीं गद्दार बैठे हैं।
विद्वानों की सूची में, जो गिने गए,
सिद्धान्तों की लिस्ट दिखा,चले गए,
देखो,जेलों में दरबार लगाए बैठे हैं,
सब झूठा है संसार सिखाए बैठे हैं।