ध्यान बहुत आते हैं वो छुटपन वाले दिन,
काठवाली तख्ती और खड़िया वाले दिन,
मिट्टी से बरफी, लड्डू बनवाने वाले दिन,
खेल खेल में बिनबातों हँसजाने वाले दिन।
लौटा दो हम सबको प्यारे छुटपन वाले दिन।।
कुर्सी पे पटली रख बालकटाने वाले दिन,
पुड़िया की स्याही नीलीटिक्की वाले दिन,
छोटी- छोटी रंग बिरङ्गी छतरी वाले दिन,
बालसभा में गीत सुनाते ठुमकी वाले दिन।
लौटा दो हम सबको प्यारे छुटपन वाले दिन।।
नवदुर्गों में घरघर जाकर खाने वाले दिन,
वो पत्तों पर चाट पकौड़ी लाने वाले दिन,
ठण्डीठण्डी चुस्की कुल्फी पाने वाले दिन,
रंग बिरंगे टोपी स्वेटर मफलर वाले दिन।
लौटा दो हम सबको प्यारे छुटपन वाले दिन।।
लुकाछिपी,ऊंचनीच,विषअमृत वाले दिन,
चोरसिपाही,गुल्लीडंडा, कबड्डी वाले दिन,
भाँतिभाँति की वो रंगीली पतंगों वाले दिन,
लूडो कैरम साँपसीढ़ी में झगड़े वाले दिन।
लौटा दो हम सबको प्यारे छुटपन वाले दिन।।
आलू के ठप्पों से धमाल मचाने वाले दिन,
टेसू ढाकपलाश के रंगबिखराने वाले दिन,
होली की गुझियों ईद सिवइयों वाले दिन,
भेद मिटाते मिलजुल गलेलगाने वाले दिन।
लौटा दो हम सबको प्यारे छुटपन वाले दिन।।
बरसातों में कागज नाव चलाने वाले दिन,
वो पेड़ों पर चढ़ना दौड़ लगाने वाले दिन,
बाबा दादी के किस्सों से, डरने वाले दिन,
माँ बापू की प्यारी-प्यारी डाँटो वाले दिन,
लौटा दो हम सबको प्यारे छुटपन वाले दिन।।
अन्त्याक्षरी में देर रात कर देने वाले दिन,
तोताउड़,मैनाउड़ में चाँटे पाने वाले दिन,
कोड़ा है जमालशाही में पीटने वाले दिन,
गुट्टे, लंगड़ी, तैराकी और कंचों वाले दिन।
लौटा दो हम सबको प्यारे छुटपन वाले दिन।।
फुलझड़ी,पटाखे व बमलड़ियों वाले दिन,
नईउम्र की नईनई अठखेलियों वाले दिन,
इण्टरवल के याद हैं गेंदतड़ियों वाले दिन,
शरारतों पर, गुरुजनों से पिटने वाले दिन।
लौटा दो हम सबको प्यारे छुटपन वाले दिन।।