Tमहत्वपूर्ण लाभ (MAIN ADVANTAGE)
1 – 6 फुट लम्बे व 4 फुट चौड़े स्थल अर्थात कम जगह में अपने घर पर इन्हें कर कर सकते हैं।
2 – शरीर के जोड़ सक्रिय रखने में सहायक है।
3 – शरीर में जकड़न की समस्या नहीं होती।
4 – लम्बी आयु तक शरीर सक्रिय रहता है।
0 5 – शारीरिक चुस्ती फुर्ती बनी रहती है।
0 6 – मोटे तगड़े लोग भी इन्हें मेरी तरह आराम से सुविधानुसार कर सकते हैं।
0 7 – दिनचर्या व्यवस्थित करने में सहायक है।
0 8 – यह आरोग्य की ओर बढ़ाया सरल कदम है।
0 9 – इसे सुविधानुसार हर आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं।
10 – कम समय और बिना किसी साधन के किए जाना सम्भव है।
क्रिया विधि (PROCEDURE)-
प्रातः शौच आदि से निवृत्त होकर फर्श ,तखत या अधिक घनत्व वाले गद्दे पर इन्हे किया जा सकता है। क्रम इस प्रकार रख सकते हैं –
(01)-बैठने के उपरान्त पैर की अँगुलियों को आगे पीछे मोड़ें।
(02)-पैर के पूरे पंजे को आगे, पीछे,घड़ी की दिशा व विपरीत दिशा में घुमाएं।
(03)- पैर के घुटने के व्यायाम हेतु लेटकर पैरों से सायकिल के पैडिल चलाने की स्थिति का अनुकरण करें। पैरों को घड़ी चलने की दिशा व विपरीत दिशा मे चलाएं।
(04)- बैठकर जाँघों को कम्पित करें।
(05)- बैठकर चक्की चलाने की दिशा में व विपरीत दिशा क्षमतानुसार चलाएं और कमर का सम्यक व्यायाम सुनिश्चित करें।
(06)- कन्धे के व्यायाम हेतु कन्धों पर हाथ का अँगूठा टेककर घडी की सुईयों के चलने की दिशा व विपरीत दिशा में चलाएं।
(07)- रीढ़ की हड्डी के आराम हेतु लेटकर एक एक पैर को थोड़ा उठायें व कम्पन होने पर नीचे रखें इसी क्रिया को दोनों करवट ले कर करें।
(0 8)- कन्धे के व्यायाम हेतु हाथों से बड़े शून्य की आकृति क्लॉक वाइज व एन्टीक्लॉक वाइज बनाएं यह व्यायाम लेटकर पैरों से करने पर भी जांघ व पैर का सञ्चालन सुव्यवस्थित होता है।
(09)- हाथ की अँगुलियों से लड्डू बनाने की तरह आकृति बार बार बनाएं इससे अँगुलियों के हिस्सों को आराम मिलेगा।
(10)- कलाइओं के व्यायाम हेतु इसे भी क्लॉक वाइज व एण्टी क्लॉक वाइज घुमाएं।
(11)- हाथ की कोहनी को बार बार क्षमतानुसार मोड़कर धीमी गति से व्यायाम करें।
(12)- गले की माँस पेशियों के सम्यक व्यायाम हेतु अपने मुण्ड को क्लॉक वाइज व एण्टी क्लॉक वाइज क्षमतानुसार घुमाएं।
(13)- गाल की माँस पेशियों के व्यायाम हेतु प्राण वायु खींचकर मुँह फुलाकर अन्दर से दवाब बनाने का प्रयास करें।
(14)- हाथों को परस्पर रगड़कर सिर में मसाज की तरह अँगुली चलाएं।
(15 )- पुनः हाथों को परस्पर रगड़कर मुख व गर्दन के आगे पीछे मालिश की तरह हाथ चलाएं।
नोट –
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*तत्सम्बन्धी चिकत्स्कीय परामर्श व्यायाम पूर्व योग्य चिकित्सक से अवश्य लें।