जीवन अपना जैसा भी है
प्रारब्धों का ही दरपन है।
सत्कर्म किए हमने जो भी
परिणामों का प्रत्यक्षण है।
सद्भावों से जुड़ते जाना
जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।
भारत मेरा जैसा भी है,
दैदीप्यमान आकर्षण है।
परिवर्तन इसमें हैं जो भी,
सब भारत को अर्पण हैं।
सद्भावों से जुड़ते जाना
जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।
लोकतन्त्र जैसा भी है
सद् भावों का संघर्षण है।
लोगों ने भाव रखे जो भी
उन भावों का प्रत्यर्पण है।
सद्भावों से जुड़ते जाना
जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।
जन जीवन जैसा भी है
मूल्यों से नहीं विकर्षण है।
लोगों के मूल्य हुए जो भी
सुन्दर शिव का सत्यर्पण है।
सद्भावों से जुड़ते जाना
जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।
अब का जगत जैसा भी है,
कल के कर्मों का वर्षण है।
घटनाक्रम घटित हुए जो भी
उनके फल का लोकार्पण है।
सद्भावों से जुड़ते जाना
जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।
सिद्धान्त क्षरण जैसा भी है,
उसका फल सबको अर्पण है।
रक्षा के प्रयास हुए जो भी
मानव के मन का तर्पण है।
सद्भावों से जुड़ते जाना
जीवन का सुन्दर लक्षण है ।।