पहले तय करो कि आखिर जानना क्या चाहते हो।
क्या जान सत्य सिद्धान्त, यह मानना भी चाहते हो।
मानना ही सच्चा धर्म है गर जानना तुम चाहते हो।
या फिर सब जान कर, बस भागना तुम चाहते हो।
तुम कौन हो, क्यों यहाँ,क्या क्या बताना चाहते हो ।1।
क्या सत्य को असत्य बताकर बरगलाना चाहते हो।
क्यों फरेब के अम्बार में, सच्चाई दबाना चाहते हो।
अधर्म को क्यों सद्धर्म का चोला पहनाना चाहते हो।
मन की समग्र गन्दगी, कब तक छिपाना चाहते हो ।
तुम कौन हो, क्यों यहाँ,क्या क्या बताना चाहते हो ।2।
चालाक और पथभ्रष्ट हो चेहरा छिपाना चाहते हो।
हरहाल में तुम श्रेष्ठ हो यह सिद्ध करना चाहते हो।
ज़ाहिर सारे कारनामे फिर क्यों छिपाना चाहते हो।
क्या झूठ की सौन्दर्य महिमा ही दिखाना चाहते हो।
तुम कौन हो, क्यों यहाँ,क्या क्या बताना चाहते हो ।3।
झूठ को हद से बढ़ाकर सत्पथ छिपाना चाहते हो।
क्या अधर्म अच्छा बता धर्म पथ मिटाना चाहते हो।
सच से तुम नज़रें चुरा कर क्या दिखाना चाहते हो।
सच आइने सा चमकता क्योंकर घुमाना चाहते हो।
तुम कौन हो, क्यों यहाँ,क्या क्या बताना चाहते हो ।4।
खोपड़ी में कुछ नहीं स्वनाटक दिखाना चाहते हो।
जिसके पिछलग्गू हो उसे महान बताना चाहते हो।
संसार की सारी शक्तियों से, भारी होना चाहते हो।
सात्विक से तामसिक को श्रेष्ठतम बताना चाहते हो।
तुम कौन हो, क्यों यहाँ,क्या क्या बताना चाहते हो ।5।
यदि उत्थानपथ प्रशस्तकर धर्म निभाना चाहते हो।
छोड़ो सङ्कीर्णता, गर विश्वबन्धुत्व बढ़ाना चाहते हो।
जग को निर्देश मत दो यदि कुछ बताना चाहते हो।
खुदकर पूर्व दिखाओ, गर कुछ सिखाना चाहते हो।
तुम कौन हो, क्यों यहाँ,क्या क्या बताना चाहते हो ।6।