है ये मेरा देश भारत तक़दीर सबकी संवारता है,

जो रहता है, समर्पित भाग्य उन का निखारता है,

प्राच्यसंस्कृति है विरासत संस्कार में विशालता है,

विज्ञ जन पहचान इसकी हर कर्म में विज्ञानता है ।1।

संकट में मिल जाना सबका देश की महानता है।

 प्राचीनतम अभियान्त्रिकी है ज्ञान की संज्ञानता है,

ज्ञान संग है विनम्रता हाँ दम्भ को यह नकारता है,

रत्न बहुमूल्य गर्भ में, बस पात्रता को खंगालता है,

जाज्वल्लित आँगन देखो कौशलों को तराशता है ।2।

संकट में मिल जाना सबका देश की महानता है।

सागर सी गम्भीरता है, गुण न अपने बखानता है,

राष्ट्र वादिता जो धारता है दूर उनसे विलासता है,

कर्म उनके होते पावन, हाँ दूर रहती विकारता है,

शौर्य देखो शिखर चढ़ता राष्ट्र उनको संभालता है ।3।

संकट में मिल जाना सबका देश की महानता है।

भटके हुए कुछ आ गए हैं, हाँ रक्त में अज्ञानता है,

वो देश का ना मर्म समझे, जो पत्थर उछालता है,

देश में रह देश का खा माहौल सारा बिगाड़ता है,

देश प्यारा नहीं है उनको जो नंगापन उघाड़ता है ।4।

संकट में मिल जाना सबका देश की महानता है।

अधिसंख्य शालीन हैं, संविधान देता समानता है,

कुछ दुष्ट खोपड़ियों में स्थायी रहती विनाशता है,

सब निवासी हिल मिल रहें देश उन्हें पुकारता है,

देशहित में मिटे हैं जो आरती उनकी उतारता है ।5।

संकट में मिल जाना सबका देश की महानता है।

 ऊर्जस्विता रोपित देश में कर्म की तो प्रधानता है,

है भारती पर सब न्यौछावर संकटों से उबारता है,

परास्त कर अज्ञान को पथ पराक्रम निकालता है,

तन मन धन सब वार नाथ, देश प्रेम उभारता है ।6।

संकट में मिल जाना सबका देश की महानता है।

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