जैसा भी हम सोचते हैं
वैसा लिखना चाहिए
जैसे भी हम सचमुच हैं
वैसा दिखना चाहिए।
नकली कपट कारवां से
हमको बचना चाहिए
जो मूल्य अपने हैं नहीं
उनमें न खपना चाहिए।
सदा जीवन उच्च विचार
सबमें में दिखना चाहिए
आगत बुराई के खिलाफ
समर में टिकना चाहिए
जो भाषा हम बोलते हैं
गर्व से लिखना चाहिए
भाषा तो मात्र माध्यम है
सद्ज्ञान टिकना चाहिए
है पावन संस्कृति हमारी
गौमुख तो दिखना चाहिए
सभ्यता का उत्कर्ष भी
सानन्द रखना चाहिए।
गौरवशाली है परिपाटी
स्वाद तो चखना चाहिए
आने वाली नव नस्लों को
सद्मार्ग मिलना चाहिए।