ईश्वर ईश अंश को सब गुण दे देते हैं

गुण देकर समस्त विकार वे ले लेते हैं 

तब भी मानव मन से त्रुटि हो जाती है

कृपासिन्धु क्षमा मानव को कर देते हैं। 1

शक्ति मद में चूर, प्रभु को तज देते हैं

फँस सङ्कट में नाम प्रभु का वो लेते हैं

अहंकार मद में बुद्धि खो सी  जाती है

दयानिधान दया का दान स्वतः देते हैं।2

आदत से मज़बूर गलत पथ हम लेते हैं

जानबूझ के मिथ्या आचरण कर देते हैं

यह करने में, शक्ति सारी खप जाती है

शक्तिनिधान क्षमाकर, शक्ति दे देते हैं।3

गलती का अम्बार ग़लत पथ ले लेते हैं

वरण ग़लत आदत का हम कर लेते हैं

जगें ग़लत विचार सौम्यता खो जाती है

पर मेरे ईश को बार बार दया आती है।4

जीवन, नश्वरता का बोध, वो दे देते हैं

मत खो जाना इसमें, सुबुद्धि दे देते हैं

माया भ्रम में, बुद्धि यह मारी जाती है

फिर भी वे प्रमुदित मन दिशा दे देते हैं ।5

ऐसा क्यों है  ग़लत राह हम क्यों लेते हैं

जो हम को अप्रिय, वह क्यों कर देते हैं

ऐसा करने में क्यों सुमति मारी जाती है 

कृपा अकारण ‘नाथ’ सर्वेश्वर कर देते हैं। 6 
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