आह,पानी बरस रहा है
आँखें भी आज नम हैं
हमने है, तुम्हें पुकारा ,
बोलो, ये कैसा गम है ।
हवाएं भी पुरसर्द सी हैं,
यादों में भी खूब दम है,
क्यों कर लिया किनारा,
दुःख मेरा तुमसे कम है।
यादों का है बवण्डर
हर सिम्त तम ही तम है,
टूटा है तारा सुन्दर
हम पर तो बस सितम है।
वो चेहरा घूमता है
यादें हुई न कम है
कैसे करूँ किनारा
इतनी न मुझमें दम है।
सोने की कोशिशें हैं
आँखों से नींद गुम है
तुमने नहीं पुकारा
खाता हमें ये गम है।
दुनियाँ बदल रहा है
या सिर्फ मेरा भ्रम है
ना मिल सका किनारा
बस यह हमको गम है ।