इस जहाँ में भाग्य लेखा बुनने का अधिकार किसको?
किस भरम में हाथ देखा, हाथ का श्रम दान किसको?
भाग्य होता, करम रेखा, गढ़ने का अधिकार हमको।
श्रम साध्य अवलम्ब देखा,बढ़ने का अधिकार उसको।
श्रम का बहुप्रकार देखा, सारे जगत का प्यार उसको।
भाग्य होता, करम रेखा, गढ़ने का अधिकार हमको।
काम देखा कौशल देखा, श्रम का है प्रतिदान उसको।
वीर रस प्रतिमान देखा, आधार देता नव फलक को।
भाग्य होता, करम रेखा, गढ़ने का अधिकार हमको।
भाग्य ने कुछनहीं फेंका दिग्भ्रमित करते हो किसको?
भाग्य का है किसका ठेका, भाग्य लिखना है हमीं को।
भाग्य होता, करम रेखा, गढ़ने का अधिकार हमको।
भाग्य गर कोई लिखके देता,सारे फल मिलते उसीको।
सड़क पर बोरे पर बैठा, वह हाथ देखे जाल किस को।
भाग्य होता, करम रेखा, गढ़ने का अधिकार हमको।
जाल में क्यों फँस कर देखा, सत्कर्म लेता ताड़ उनको।
जाहिलों ने ये पाश फेंका,क्यों बे वजह प्रणाम उनको ?
भाग्य होता, करम रेखा, गढ़ने का अधिकार हमको।