गर कोख में हत्या कर दोगे,
उसको पढ़ने भी ना दोगे।
पिछड़ के तम को बढ़ाएगी,
गर केवल अपनी थोपोगे।
नारी की सुबह कब आएगी ?
नारी की सुबह कब आएगी ?
वैषम्य द्वार यदि खोलोगे,
अधिकार समान भी ना दोगे।
वह कैसे सेहत बनाएगी,
खाने में भेद यदि रक्खोगे।
नारी की सुबह कब आएगी ?
नारी की सुबह कब आएगी ?
कौशल से विमुख यदि कर दोगे
आर्थिक रीढ़ यदि तोड़ोगे।
निज पैरों पर कैसे खड़ी होगी,
यदि बन्धन में तुम जकड़ोगे।
नारी की सुबह कब आएगी ?
नारी की सुबह कब आएगी ?
यदि आपस में तुम उलझोगे
नारी शक्ति को ना नवस्वर दोगे।
तब घर नवज्योति क्यों आएगी,
मिलजुल जब प्रगति पथ रोकोगे।
नारी की सुबह कब आएगी ?
नारी की सुबह कब आएगी ?
यदि बाधाएं खड़ी तुम कर दोगे,
उसको केवल नव सपने दोगे।
फिर कैसे वह साम्य बनाएगी,
जब केवल भ्रम ही भ्रम दोगे।
नारी की सुबह कब आएगी ?
नारी की सुबह कब आएगी ?
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यदि छीन के हक़ तुम ले लोगी
खुद को हल्का नहीं तोलोगी।
आत्मविश्वास शक्ति बढ़ जाएगी
और पिछले सितम सब धो लोगी।
नारी की सुबह तब आएगी।
नारी की सुबह तब आएगी।
जब याचक स्वर तुम खो दोगी,
निज बाजू में ताक़त भर लोगी।
मति रूढ़ि से विमुख हो जाएगी,
प्रगतिपथ पर स्वयं ही बढ़ लोगी।
नारी की सुबह तब आएगी।
नारी की सुबह तब आएगी।
जब चिन्तन को नव दिशा दोगी
खुद बढ़ नवमार्ग तुम खोलोगी।
भावना – भेद, ख़तम हो जाएगी,
निज दम पर समरसता घोलोगी।
नारी की सुबह तब आएगी।
नारी की सुबह तब आएगी।
पढ़ लिख नवचिन्तन जोड़ोगी,
नव कौशल खुद संग जोड़ोगी।
जग प्रकृति हैरान हो जाएगी,
जब खुद को बदलकर रख दोगी।
नारी की सुबह तब आएगी।
नारी की सुबह तब आएगी।
आक्षेपों का तार्किक जवाब दोगी,
सच दुनियाँ, सम्मुख रख दोगी।
‘नाथ’ दुनियाँ कायल हो जाएगी,
जब प्रतिमान स्वयं के गढ़ लोगी।
नारी की सुबह तब आएगी ।