मेरी कलम आज देती है,
ऐ नव पीढ़ी यह सन्देश।
यदि आपस में बैर करोगे,
कैसे बढ़ पाएगा देश।
ऐ भारत में रहने वालो,
सजग रहो गढ़ो नवपरिवेश ।1।
जंग कभी नहीं देती है,
मधुमय याद मंगल सन्देश।
खुद का कैसे अस्तित्व रखोगे,
आज पूछता तुमसे देश।
ऐ भारत में रहने वालो,
सजग रहो गढ़ो नवपरिवेश ।2।
पूजा कभी नहीं देती है,
प्रतिष्ठानों का लूट आदेश।
दुश्मन को कैसे खोजोगे,
निष्क्रिय रह खोकर आवेश।
ऐ भारत में रहने वालो,
सजग रहो गढ़ो नवपरिवेश ।3।
संस्कृति कभी नहीं देती है,
मिथ्या तुष्टिकरण सन्देश।
निज स्वार्थों को याद रखोगे,
नहीं बचेगा कुछ अवशेष।
ऐ भारत में रहने वालो,
सजग रहो गढ़ो नवपरिवेश ।4।
धरती कभी नहीं देती है,
निज लहू बहाने का आदेश।
तुम जी कर भी क्या कर लोगे,
नहीं बचा यदि प्यारा देश।
ऐ भारत में रहने वालो,
सजग रहो गढ़ो नवपरिवेश ।5।