सर्जनात्मकता से आशय (Meaning of creativity) :-
इससे आशय आंग्ल भाषा के Creativity से है सर्जनात्मकता शब्द कुछ ऐसे शब्दों द्वारा भी लोगों द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है जो अर्थ में इससे अन्तर रखते हैं जैसे विधायकता, उत्पादकता, खोज आदि जबकि विधायकता से एकत्रीकरण का,उत्पादकता(Productivity) से उत्पादन का और खोज से Search या Discovery का बोध होता है। सृजनात्मकता को इसका पर्याय या सबसे करीबी माना जा सकता है जब कि सृजन में शून्य का भाव निहित है और सर्जन में वर्तमान या विद्यमान में नवीनता या मौलिकता की सृष्टि करनी पड़ती है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सर्जनात्मकता के समानान्तर सृजनात्मकता, रचनात्मक, सर्जक,उत्पन्न करना, बनाना आदि को आवश्यकता नुसार लिया जा सकता है।
सर्जनात्मकता की परिभाषाएं (Definitions of creativity) :-
विविध विद्वानों द्वारा इसे विविध रूप से पारिभाषित किया गया है स्टेन महोदय का मानना है –
“When it results in a novel work that is accept as tenable or useful or satisfying by a group at some point in time.”
“जब किसी कार्य का परिणाम नवीन हो जो किसी समय में समूह द्वारा उपयोगी मान्य हो, वह कार्य सृजनात्मकता कहलाता है। ”
एक अन्य विद्वान् मेडनिक महोदय का मानना है कि –
“Creative thinking consists of forming new combinations of associative elements. Which combinations either meet specified requirements or are in some way useful.The more mutually remote the elements of new combinations. The more creative is the process of solution.”
“सर्जनात्मक चिन्तन में साहचर्य के तत्वों का मिश्रण रहता है जो विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु संयोगशील होते हैं या किसी अन्य रूप में लाभ दायक होते हैं। नवीन संयोग के विचार जितने कम होंगे,सृजनात्मकता की सम्भावना उतनी ही अधिक होगी।”
क्रो एण्ड क्रो महोदय का विचार है :-
“Creativity is a mental process to express the original outcomes.”
“सृजनात्मकता मौलिक परिणामों को व्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है।”
एक अन्य महत्त्वपूर्ण विचारक सी० वी ० गुड महोदय का मानना है :-
“A quality of thought to be composed of broad continue upon which all members of the population may be placed in different degrees, the factors of creativity are tentatively described as associate and ideational fluency, originality adaptive and spontaneously flexibility and ability to make logical evaluation
“सर्जनात्मकता वह विचार है जो किसी समूह में विस्तृत सातत्य का निर्माण करता है सर्जनात्मकता के कारक हैं -साहचर्य, आदर्शात्मक मौलिकता, अनुकूलता,सातत्यता,लोच एवम तार्किक विकास की योग्यता।”
उक्त विचारों के आलोक में कहा जा सकता है कि सर्जनात्मकता में मौलिकता, नवीनता, उपयोगिता, संयोग से सृजन, आवश्यकतानुसार सृजन के गुण विद्यमान रहते हैं। जिनका आधार चिन्तन होता है।
विद्यार्थियों में सृजनात्मकता की वृद्धि के उपाय (Ways to increase creativity in students) –
1- विद्यार्थियों की प्रतिक्रियाओं को उचित सम्मान (Due respect to the responses of the students)
2 – कल्पना आधारित प्रस्तुतीकरण (Imagination Based Presentation)
3 – पाठ्यक्रम में क्रिया आधारित अधिगम को बढ़ावा (Promotion of action based learning in the curriculum)
4 – सूचना संग्रहण, आकलन विश्लेषण का उपयोग (Information collection, use of assessment analysis)
5 – पाठ्य सहगामी क्रियाओं से सृजनशीलता का विकास (Development of creativity through co-curricular activities)
6 – उपयुक्त शिक्षण विधियों का प्रयोग (Use of appropriate teaching methods)
7 – तार्किकता का उन्नयन (Upgrading Logic)
8 – अभिव्यक्ति के समुचित अवसर (Reasonable opportunities for expression)