याद रहे यहाँ उदारवाद (Liberalism) और उपयोगितावाद(Utilitarianism) की बात करने नहीं जा रहे हैं उदारवाद व उपयोगितावाद आपके शिक्षा शास्त्र के इस पाठ्यक्रम का हिस्सा न होकर यहाँ केवल उदार प्रवृत्तियों की बात है।
शिक्षा में उदार प्रवृत्तियों से आशय (Meaning of liberal tendencies in education) –
प्रवृति का अर्थ आदत और स्वभाव होता है। शिक्षा के परिक्षेत्र में क्या उदार दृष्टिकोण उद्भवित हुआ है ? इसी का अध्ययन यहाँ किया जाना है। ज्ञान की विकास यात्रा में शिक्षा विविध काल में विविध विचारों से प्रभावित होती रही है यदि हम यूरोप के प्राचीन काल वर्णन करें तो हमें देखने को मिलता है कि उस समय स्वामी और सेवक की शिक्षा में अन्तर दृष्टिगत होता है। राजा, स्वामी, जमींदार आदि को उदार शिक्षा प्रदान की जाती थी जबकि जनसाधारण को शिल्प या व्यवसाय सिखाया जाता था। उदार शिक्षा में धर्म शास्त्र, नीति शास्त्र, राजनीति, साहित्य, कला, इतिहास, संगीत आदि प्रधान रूप से सिखाया जाता था। शिक्षा में उदार दृष्टिकोण का सम्यक विकास हेतु हर सम्भव प्रयास होते थे। जो शिक्षा स्वभाव और आदतों में उदार भाव को प्रश्रय प्रदान करे वही उदार शिक्षा की श्रेणी में आती थी।
उदार प्रवृत्ति की शिक्षा सामान्य शिक्षा है जिसमें साहित्य, कला, संगीत, इतिहास, नीति शास्त्र, राजनीति शास्त्र आदि की शिक्षा की प्रधानता होती है। जिनका सम्बन्ध उदार मन, विशाल मनस से होता है। उपयोगिता वादी शिक्षा में आर्थिक प्रश्न जुड़े रहते हैं यह व्यावहारिक, व्यावसायिक, कार्योन्मुख, क्रिया केन्द्रित, अर्थोपार्जन व जीविकोपार्जन मात्र के उद्देश्यों को लेकर चलती है।
उदार प्रवृत्ति शिक्षा के उद्देश्य / Objectives of Liberal Education –
उदार प्रवृत्ति शिक्षा सम्पूर्ण व्योम के उत्थान जैसे महती उद्देश्य को लेकर चलती है और भारत के इस उद्देश्य का ही उद्घोष करती है –
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
उदार प्रवृत्ति के आलोक में शिक्षा के उद्देश्य इस प्रकार निर्धारित किये जा सकते हैं।
1 – उदार मूल्य स्थापन
2 – चारित्रिक विकास
3 – उत्तम स्वास्थय
4 – शिवम् प्रवृत्ति
5 – सत्य आलम्बन
6 – सुन्दरम् स्थापन
7 – आध्यात्मिक उत्थान
8 – आत्मोत्सर्ग की भावना
शिक्षा के विविध अंगों पर उदार प्रवृत्तियों का प्रभाव / Impact of liberal tendencies on various parts of education –
समस्त ज्ञानालोक ही उदार प्रवृत्ति शिक्षा के परिक्षेत्र में आता है लेकिन यहॉं हम प्रमुख अंगों पर उदार प्रवृत्ति शिक्षा के प्रभावों का अध्ययन करेंगे।
1 – शिक्षक (Teacher) –
शिक्षा में उदार प्रवृत्ति के अवतरण का प्रभाव आचार्य पर साफ़ परिलक्षित हो रहा है वह वर्तमान की शिक्षण सहायक सामग्री को अधिगम प्रभावी बनाने हेतु सम्यक प्रयोग कर रहा है। आज के अध्यापक ने विविध पुरानी सड़ी गली मान्यताओं का परित्याग कर उदारता को स्वयं में प्रश्रय दिया है और समस्त विद्यार्थियों के उत्थान हेतु यथा सम्भव प्रयासरत है यद्यपि शासन अध्यापकों के साथ न्याय में असफल रहा है लेकिन अध्यापक ने कर्त्तव्य की बलिवेदी पर यथा सम्भव स्वयं की आहुति दी है घर और समाज का कलुषित वातावरण, प्रतिकूल वातावरण उदात्त भावना का बाधक नहीं बन सका है। बालक का उदार दृष्टिकोण युक्त सर्वाङ्गीण विकास विद्यालय और सच्चे अध्यापक का ध्येय है। प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री डॉ राम शकल पाण्डेय ने लिखा। –
“आओ हम अपने समस्त विवादों एवं आपसी कलह को समाप्त कर स्नेह की इस भव्य धारा को सर्वत्र प्रवाहित कर दें।”
“Let us end all our disputes and mutual discord and let this grand stream of love flow everywhere.”
2 – विद्यार्थी (Student) –
शिक्षा के उदार दृष्टिकोण से प्रभावित शिक्षा में विद्यार्थी मानवीय उदार दृष्टिकोण से युक्त होना चाहिए। हर तरह के कट्टर दृष्टिकोण से विरत होकर मानवता का उत्थान और सम्यक दृष्टिकोण का विकास उदार शिक्षा का ध्येय है। शिक्षा की उदार प्रवृत्ति विद्यार्थी में विश्वबन्धुत्व और आवश्यक गुण ग्राह्यता पर जोर देती है इसी लिए कहा गया कि –
अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्!!
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् !!
3 – पाठ्यक्रम (Syllabus) –
समय के साथ कदमताल करते हुए शिक्षा ने अपने स्वरुप में विविध परिवर्तन किये हैं पहले इसमें साहित्य, कला, सङ्गीत, इतिहास, नीति शास्त्र, राजनीति विज्ञान आदि को ही प्रश्रय मिला था लेकिन आज की आवश्यकता के अनुरूप विविध विज्ञानों व व्यावहारिक तकनीकी ज्ञान को भी अब इसमें समाहित किया गया है।
विकिपीडिया का दृष्टिकोण है –
उदार शिक्षा (Liberal education) मध्ययुग के ‘उदार कलाओं’ की संकल्पना (कांसेप्ट) पर आधारित शिक्षा को कहते है। वर्तमान समय में ‘ज्ञान युग’ (Age of Enlightenment) के उदारतावाद पर आधारित शिक्षा को उदार शिक्षा कहते हैं। वस्तुतः उदार शिक्षा’ शिक्षा का दर्शन है जो व्यक्ति को विस्तृत ज्ञान, प्रदान करती है तथा इसके साथ मूल्य, आचरण, नागरिक दायित्वों का निर्वहन आदि सिखाती है। उदार शिक्षा प्रायः वैश्विक एवं बहुलतावादी दृष्टिकोण देती है।
अतः उक्त से सम्बन्धित सभी विषय पाठ्यक्रम में समाहित होंगे।
4 – शिक्षण विधियाँ (Teaching Methods) –
अधिगम को प्रभावी बनाने हेतु पारम्परिक शिक्षण विधियों के साथ नवाचार से जन्मी शिक्षण विधियों का इस परिक्षेत्र में स्वागत है सामान्यतः प्रवचन विधि, व्याख्या विधि, प्रदर्शन विधि, तार्किक विधि, उदाहरण विधि, व्याख्यान विधि, शास्त्रार्थ, सेमीनार और विविध नव सञ्चार विधियों को इसमें सम्यक स्थान प्राप्त है। मनोवैज्ञानिक विधियों के साथ जो भी नवीन शिक्षण विधियाँ उदार शैक्षिक दृष्टिकोण विकास में सहयोग प्रदान कर सकती हैं उपयोग में लाई जा सकती हैं।
5 – अनुशासन (Discipline) –
उदार दृष्टि कोण ध्येय समर्पित है अतः इसमें ऐसी उच्छृंखलता को कोई स्थान नहीं है जो ध्येय प्राप्ति में बाधा बने। स्वतः अनुशासन ही इसमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। विविध स्वतन्त्रता यथा समय, स्थान, दृष्टिकोण, विषय चयन के साथ यह अनुशासन दिखावा नहीं चाहता। बिना स्वयं को अनुशासित किये और बिना गम्भीर प्रयासों के उदात्त दृष्टिकोण के विकास की सोच भी भ्रामक रहेगी। इसीलिये पूर्ण मनोयोग से स्वानुशासन पर विवेक सम्मत जोर देना होगा।
नई शिक्षा नीति 2020 और उदार शिक्षा प्रवृत्ति (New education policy 2020 and liberal education trend) –
NEP 2020 ने भी प्रत्येक शैक्षिक स्तर पर उदार शिक्षा प्रवृत्ति को पारिलक्षित किया है। स्नातक स्तर पर एक वर्ष पढ़ने पर सर्टिफिकेट ,दो वर्ष अध्ययन पर डिप्लोमा, तीन वर्ष अध्ययन पर डिग्री प्राप्त होना उदार शिक्षा का ही लक्षण है इसके अलावा विविध विषयों के चयन की स्वतन्त्रता, व्यावहारिक विषय से जुड़ने के अवसर प्रदान कर नई शिक्षा नीति 2020 ने उदार शिक्षा प्रवृत्ति का ही परिचय दिया है।