आवृत्ति वितरण और वर्ग अन्तराल
आवृत्ति वितरण / Frequency Distribution –
जब समंक एकत्रीकरण में कोई अंक बार बार आता है या वह पुनः पुनः दीख पड़ रहा है इसे ही आवृत्ति नाम से जाना जाता है और जितनी बार वह अंक आता है उसे उसकी आवृत्ति कहा जाएगा। मान लीजिये शिक्षा शास्त्र की परीक्षा में 50 विद्यार्थियों को इस प्रकार प्राप्तांक प्राप्त हुए।
46, 57, 48, 57, 48, 76, 73, 80, 76, 83, 57, 48, 46, 57, 73, 48, 78, 48, 80, 73, 48, 76, 76, 46, 73, 81, 80, 78, 73, 76, 73, 65, 78, 83, 57, 48, 57, 46, 76, 73, 80, 73, 65, 73, 48, 46, 48, 83, 73, 76 .
प्राप्ताङ्क | आवृत्ति | संचयी आवृत्ति |
46 | 05 | 05 |
48 | 09 | 14 |
57 | 06 | 20 |
65 | 03 | 23 |
73 | 10 | 33 |
76 | 06 | 39 |
78 | 03 | 42 |
80 | 04 | 46 |
81 | 01 | 47 |
83 | 03 | 50 |
वर्ग अन्तराल (Class Interval) –
आवृत्ति वितरण को जब हम प्रदर्शित करते हैं तो ऊपरी और निचली वर्ग सीमा को तालिका के माध्यम से निरूपित करते हैं अर्थात यह प्रत्येक वर्ग की चौड़ाई ही होती है इस समूहीकृत आवृत्ति वितरण को समावेशी वर्ग अन्तराल के आधार पर क्रमबद्ध किया जा सकता है।
वर्ग अन्तराल सूत्र :-
वर्ग अन्तराल = उच्चतम सीमा – निम्नतम सीमा
अर्थात वर्ग अन्तराल ज्ञात करने के लिए किसी वर्ग की उच्चतम सीमा से उसी वर्ग की निम्नतम सीमा को घटा देते हैं.
वर्ग अन्तराल हेतु उदाहरण (Example for Class Interval) –
वर्ग अन्तराल को वास्तविक ऊपरी परास तथा निचली वास्तविक परास के मध्य जो जो वास्तविक अन्तर होता है उसे ही वर्ग अंतराल कहा जाता है इसे हम निम्न उदाहरण के माध्यम से अच्छी तरह समझ सकते हैं –
(यहाँ हम ऊपर प्रयुक्त समंकों का ही प्रयोग कर रहे हैं। )
वर्ग अन्तराल (Class Interval) or C I | आवृत्ति (Freequency) or f |
40 – 50 | 14 |
50 – 60 | 6 |
60 – 70 | 3 |
70 – 80 | 23 |
80 – 90 | 4 |
इस उदाहरण के माध्यम से तथ्य पूर्णतः स्पष्ट हो गए होंगे।